Mathura | 6 प्रसिद्ध मंदिर मथुरा धार्मिक स्थल के
श्रद्धालु हर वर्ष तीर्थ स्थानों पर जाते हैं। यहाँ आ कर उन्हें आत्म शांति, ज्ञान व अध्यात्म की प्राप्ति होती है। इनमे से कुछ ऐसे स्थान हैं जिनका सम्बन्ध सीधे हमारे ईश्वर से जुड़ा हुआ है, क्योंकि यह स्थान उनकी जन्मस्थली व कर्मस्थली रहे हैं। आज हम Mathura -6 प्रसिद्ध मंदिर मथुरा धार्मिक स्थल के बारे में बात करेंगे। मथुरा को बहुत ही धार्मिक स्थल माना जाता रहा है। यह उत्तर प्रदेश में स्थित है और भगवान् श्री कृष्ण की जन्म स्थली के रूप में जाना जाता है। यहाँ आ कर एक अलग प्रकार की शांति का अनुभव होता है।
Mathura-श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर :
श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर |
श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर हिन्दुओं का एक धार्मिक व पवित्र तीर्थ माना जाता है। प्राचीन ग्रंथों के अनुसार भगवान् श्री कृष्ण ने यहाँ जन्म लिया था। भगवान् श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्णपक्ष की अष्टमी के दिन कंस के कारागार में हुआ था। यह कारागार मल्लपुरा क्षेत्र के कटरा केशवदास में है। श्री कृष्ण जन्म स्थान पर आक्रमण कारी और लुटेरे महमूद गजनवी ने हमला किया था। यह मंदिर तीन बार तोड़ा गया और चार बार बनाया जा चुका है।
इसका निर्माण सन १९८२ में पूरा हुआ था। वर्तमान मंदिर का निर्माण कार्य जिसे मदन मोहन मालवीय जी की प्रेरणा से प्रसिद्ध उद्दोगपति बिड़ला जी ने करवाया था। आज भी इस मंदिर में वो शिला है जिस पर छोटे कन्हैया ने जन्म लिया था। जन्माष्टमी व होली के अवसर पर इस मंदिर की भव्यता देखते ही बनती है।
दर्शन का समय : सुबह 5 : 30 से 12 : 00, शाम 4 : 00 से 8 : 00 बजे तक
Mathura-द्वारकाधीश मंदिर :
द्वारकाधीश मंदिर
भगवान् श्री कृष्ण को द्वारकाधीश अर्थात द्वारका के राजा के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि भगवान् ने अपनी सारी बाल लीलाएं मथुरा वृन्दावन में की थीं। लेकिन बाद में वह द्वारका चले गए थे, जहाँ उन्होंने शासन किया। मथुरा का द्वारकाधीश मंदिर सन 1814 में सेठ गोकुल दास पारिख ने बनवाया था। यह मंदिर यमुना नदी के किनारे विश्राम घाट के नज़दीक है। इसकी भव्यता देखते ही बनती है।
यहाँ सुन्दर नक्काशी, कला और चित्रकारी का बेहतरीन नमूना देखा जा सकता है। छत व दीवारों पर भगवान् श्री कृष्ण की अनेकों लीलाओं का चित्रण किया गया है। मंदिर में भगवान् श्री कृष्ण व उनके बायीं ओर श्री रुक्मणि जी विराजमान हैं। इसके अलावा श्री राधा कृष्ण के अन्य रूप व लड्डूगोपाल भी विराजमान हैं।
श्री द्वारकाधीश मंदिर में भगवान् श्री कृष्ण के अन्य मंदिर भी हैं जैसे :- भगवान् श्री शालीग्राम और श्री गिरिराज महाराज के मंदिर भी हैं। इस मंदिर के अंदर मुख्य आकर्षण है मंदिर के प्रांगण में सुनहरे रंग का श्री द्वारकाधीश का झूला। त्योहारों के अवसर पर मुख्य रूप से जन्माष्टमी व होली पर ये मंदिर बहुत ही सुन्दर लगता है। पूरा माहौल कृष्णमयी हो जाता है।
दर्शन का समय : सुबह 6 : 30 से 1 : 00, शाम 5 : 00 से 9 : 30 बजे तक
Mathura-केशवदेव मंदिर :
केशवदेव मंदिर
केशवदेव मंदिर हिन्दुओं का एक पवित्र धार्मिक स्थान है जो कि मथुरा में मुख्य कृष्ण जन्मभूमि परिसर के पास स्थित है। यह श्री कृष्ण भगवान् का मंदिर है। ऐसा माना जाता है कि श्री कृष्ण भगवान् के प्रपौत्र, श्री वज्रनाभा ने सर्वप्रथम वास्तविक मूर्ति यहीं स्थापित की थी। यहाँ जन्माष्टमी और होली के अवसर पर मंदिर के प्रांगण में विभिन्न आयोजन किये जाते हैं। इस मंदिर की लट्ठ मार होली व छप्पन भोग बहुत प्रसिद्द हैं।
दर्शन का समय : सुबह 8 : 00 से शाम 8 : 00 बजे तक
गीता मंदिर :
गीता मंदिर मथुरा वृन्दावन मार्ग पर स्थित है। इसे बिड़ला मंदिर भी कहा जाता है। मंदिर का निर्माण सेठ जुगल किशोर बिड़ला जी ने करवाया था। इस मंदिर की यह विशेषता है कि श्रीमद भगवत गीता के 18 अध्यायों के श्लोक व भगवान् श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को दी गयी शिक्षाएं, मंदिर की दीवारों पर अंकित हैं।
यहाँ के सुन्दर वातावरण में आकर अत्यंत शांति का अनुभव होता है। इधर यात्रियों के ठहरने के लिए धर्मशाला भी है। जन्माष्टमी के अवसर पर यहाँ विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। इस अवसर पर मंदिर फूलों और लाइट से जगमगा उठता है।
दर्शन का समय : सुबह 6 : 00 से शाम 7 : 00 बजे तक
Mathura-बाबा जयगुरुदेव मंदिर :
बाबा जयगुरुदेव मंदिर
बाबा जयगुरुदेव मंदिर को योग साधना मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह दिल्ली और आगरा के बीच नेशनल हाईवे 2 पर स्थित है। इस मंदिर को बाबा जय गुरुदेव ने अपने गुरु की याद में बनवाया था तथा उनको ही समर्पित कर दिया। मंदिर के द्वारा एक चैरिटेबल संस्था और आश्रम भी चलाया जाता है।
इसके आलावा यहाँ वर्ष में एक बार भंडारे का भी आयोजन किया जाता है। यहाँ की सुंदरता भव्य है। यह सफ़ेद संगमरमर से बना है। जिसमें गुम्बद व मीनारें बनी हुई हैं जो थोड़ा बहुत ताज महल जैसी दिखती हैं। लोग इसकी संरचना की वजह से भी इस मंदिर की तरफ़ आकर्षित होते हैं।
दर्शन का समय : सुबह 7 : 00 से शाम 6 : 00 बजे तक
चामुंडा देवी मंदिर :
चामुंडा देवी मंदिर
यह मंदिर 51 शक्तिपीठ में से एक है। माँ चामुंडा का मंदिर मथुरा वृन्दावन मार्ग पर स्थित माँ गायत्री तपोभूमि के सामने बना हुआ है। कहते हैं कि इस स्थान पर माँ भगवती के केश गिरे थे। इस मंदिर का वर्णन श्रीमद भगवत में भी मिलता है। ऐसा माना जाता है, कि यह मंदिर शांडिल्य ऋषि की तपोभूमि भी थी। मंदिर में माँ चामुंडी देवी विराजमान हैं जो नंदबाबा की कुल देवी थी।
कहा जाता है कि नंदबाबा ने अपने साथियों के साथ सरस्वती कुंड पर श्री कृष्ण का मुंडन कराया था। तत्पश्चात माँ चामुंडा के दर्शन किये। नवरात्र के दिनों में यहाँ श्रद्धालु लोग भारी मात्रा में माँ के दर्शनों के लिए आते हैं। इसके अलावा यहाँ रविवार को भी बहुत भीड़ होती है। अक्षय नवमी व देवोत्थान एकादशी पर्व यहाँ बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। यहाँ मंदिर में माँ की कोई प्रतिमा नहीं है। बल्कि माँ स्वयंभू प्रकट हुई है। इस मंदिर में आने वाले भक्तों की सभी मुरादें पूरी होती हैं।
दर्शन का समय : सुबह 6 : 30 से 12 : 00 , शाम 4 : 00 से 9 : 00 बजे तक
निष्कर्ष —
इस प्रकार यह Mathura के 6 प्रसिद्ध मंदिर इस धार्मिक स्थल के हैं। वैसे तो मथुरा मंदिरो की नगरी है। यहाँ के कण-कण में श्री राधा कृष्ण बसते हैं। मथुरा जाकर ऐसा भक्तिमय माहौल हो जाता है कि हर कोई मोहित हो जाता है। इन मंदिरों के दर्शन का सौभाग्य जरूर उठाना चाहिए। आप को जानकारी कैसी लगी इसके विषय में अपनी राय कमेंट बॉक्स में दें।
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