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आयुर्वेद, रसायन का महत्व बाल रोगों के लिए / Child Care


आजकल के दौर में बच्चे, बुजर्गों से ज्यादा बीमार पड़ रहे हैं। जबकि पहले समय में बीमार होना बुढ़ापे से जुड़ा होना माना जाता था और बच्चों का बीमार होना न के बराबर था। लेकिन आज के समय में स्थितियां बदल चुकी हैं। आयुर्वेद में बाल रोगों के लिए रसायन का बहुत अधिक महत्व है। आज इस लेख के द्वारा जानेंगे उन सभी के बारे में–

Children( Child Care)

 

बच्चे पौष्टिक आहार खाने के बजाय ब्रेड, चाउमीन, बिस्किट्स, पिज़्ज़ा, बर्गर, मोमोज़ तथा नूडल्स (मैगी) खाना ज्यादा पसंद करते हैं जिससे बच्चों की जठर अग्नि कमज़ोर हो जाती है और शरीर में आम बनता है, जो आगे कई बीमारियाँ पैदा करता है। दूसरा कारण है, बच्चे बाहर आउटडोर गेम्स नहीं खेलना पसंद करते बल्कि वह अपना अधिकतर समय टीवी देखने, मोबाइल व कंप्यूटर पर गेम्स खेलने में निकालते हैं। व्यायाम न करने से वज़न बढ़ जाता है। वहीँ दूसरी तरफ शरीर की चुस्ती फुर्ती ख़त्म हो जाती है। इसके अलावा खाद्यान्न में होने वाली मिलावट, हर तरफ बढ़ता प्रदूषण और पढ़ाई के दौरान सताने वाला मानसिक तनाव आदि बच्चों की रोग प्रतिरोधक शक्ति को और भी दुर्बल बना देते हैं।

आयुर्वेद में रसायन का महत्व —

Fruits and Vegetables (Child Care)

फल एवं सब्ज़ियां 

बच्चों को बीमारियों से बचाने के लिए आयुर्वेद में रसायन का बहुत महत्व है। आयुर्वेदिक रसायन बच्चों का शारीरिक, मानसिक एवं भावनात्मक बल प्रदान करते हैं तथा उनकी रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं। आयुर्वेद के अनुसार हमारा शरीर सात धातुओं से बना है। शरीर के सभी अंग कोई न कोई धातुओं से बने हैं।

सात धातुओं का निर्माण–

इन सात धातुओं का निर्माण पांच तत्वों से मिलकर बना है। हर एक धातु में किसी एक तत्व की अधिकता होती है। यह सात धातुऐं क्रमशः इस प्रकार हैं – रस, रक्त, मांस, मेद(वसा), अस्थि, मज्जा(बोन मैरो), शुक्र(प्रजनन ऊतक)

हम जो भी खाते हैं वो हमारी जठराग्नि द्वारा धातुओं में बदल जाता है। आगे चलकर यही भोजन दो भागो में बट जाता है, सार व मल। सार के द्वारा ही हमारे शरीर को पोषक तत्व व ऊर्जा मिलती है जबकि मल अपशिष्ट पदार्थ है, जो शरीर से बाहर निकल जाता है। यही सार वायु की मदद से खून में पहुंचता है। फिर खून के माध्यम से पूरे शरीर में फैल जाता है व धातु बनाता है।

रसायन के लाभ–

रसायन द्वारा दीर्घ आयु, प्रबल स्मरण शक्ति व बुद्धि, वृद्धावस्था में युवाओं की तरह दिखना, आरोग्य, कांति, तेज़, मधुर स्वर व उत्तम बल की प्राप्ति होती है। सभी अंग सुचारु रूप से अपना कार्य करें, रोगप्रतिरोधक शक्ति अच्छी रहे, इसके लिए धातुओं का स्वस्थ होना आवश्यक होता है।

रसायन प्रदान करने वाले खाद्य पदार्थ —

  दूध और दूध से बने खाद्य पदार्थ —

 Milk _ Child Care

दूध

हमारे आहार में बहुत से ऐसे द्रव्य हैं, जो उत्तम रसायन हैं। दूध तथाऔर दूध से बने हुए खाद्य पदार्थ जैसे मक्खन छाछ एवं घी इसके उत्तम उदहारण है। दूध एक पूर्ण आहार माना जाता है। विशेषकर गाय का दूध सर्वोत्तम माना जाता है। गाय के दूध से मस्तिष्क तेज़ व स्मरण शक्ति प्रबल बनती है। दूध में विभिन्न विटामिन्स व मिनरल्स पाए जाते है। इसमें पाए जाने वाला कैल्शियम हड्डियों का पोषण करता है।

सर्वोत्तम रसायन —

दूध से प्राप्त घी को तो सबसे उत्तम रसायन कहा गया है।घी एक तरफ शरीर के धातुओं को बल देता है, दूसरी तरफ बुद्धि, मेधा, स्मृति को भी मजबूती प्रदान करता है। शरीर के साथ- साथ बच्चों को मानसिक स्तर पर भी मजबूत बनाता है। इसी वजह से घी को आयुर्वेद में नित्य रसायन भी कहा जाता है। एकाग्रता का आभाव, इम्तेहान में वक़्त पर याद न आना, रात को अच्छी नींद न आना, बाल जल्दी सफ़ेद होना आदि समस्याओं से आजकल बच्चे पीड़ित होते हैं। ऐसे में दूध व दूध से बने उत्पाद बहुत लाभदायक होते हैं।

मेवे (ड्राई फ्रूट्स) —

 Dry fruits

मेवे 

घी की तरह मस्तिष्क को पोषण करने वाले और दो रसायन है — बादाम तथा अखरोट। एक तरफ अखरोट जहाँ बुद्धि एवं स्मरण शक्ति को बढ़ाकर बच्चों को पढ़ने में तेज बनाता है, वहीं बादाम शरीर को पौष्टिक तत्व प्रदान करके बुद्धि को तेज़ करता है।

इसके अलावा मीठे खजूर, किशमिश तथा छुआरा लौह, कैल्शियम, पोटैशियम आदि धातुओं से परिपूर्ण होते हैं। यह शरीर में रक्त, अस्थि आदि धातुओं को बढाने का कार्य करते हैं।

एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन C, विटामिन E आदि द्रव्यों से परिपूर्ण किशमिश तथा मुनक्का बच्चों को पसंद आते हैं। हड्डियां, दांतों, मसूड़ो को मजबूत बनाने वाले ये दोनों द्रव्य बच्चों को मल अवरोध से भी बचाते हैं।

शहद —

 Honey

शहद 

शहद एक सर्वश्रेष्ठ रसायन है। जिन बच्चों को निरंतर जुखाम व खांसी हो जाती है, उन्हें शहद का सेवन अवश्य करना चाहिए। मधुर होने की वजह से बच्चे बहुत पसंद करते हैं। यह पेट में होने वाले कृमियों को नष्ट करता है।शहद बलगम को हटाकर श्वसन संस्था के सभी विकारों से बच्चों को बचाता है।

शहद, शरीर की हर धातु तक पोषक तत्वों को पहुंचाने का रास्ता खोलने में महत्व पूर्ण कार्य करता है। जैम या सॉस खाने के बजाय शहद अदरक रस का नियमित रूप से सेवन करना बच्चों के लिए लाभदायक है। श्वसनसंस्था की अस्थमा, ब्रोंकाइटिस जैसी सभी बीमारियाँ इसके सेवन से बच्चों के आस पास भी नहीं आती हैं।

ठंडाई —

ठंडाई  Thandai_

ठंडाई  

मगज, बादाम, खसखस आदि द्रव्यों को मिलाकर दूध से बनाई गई ठंडाई भी एक तरह से शारीरिक तथा मानसिक स्तरों पर रसायन का ही कार्य करती है।

आंवले का मुरब्बा —

आवलाँ मुरब्बा 

आवलाँ मुरब्बा 

जैसा कि हम सभी जानते हैं, आंवला विटामिन C का अच्छा स्रोत है। यह भी अपने आप में एक पूर्ण रसायन है। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। च्यवनप्राश भी रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है।

संतुलित भोजन —

संतुलित भोजन  ( Balanced DIET)
संतुलित भोजन  

प्रतिदिन संतुलित भोजन, जिसमे अनाज के साथ फल एवं हरी सब्ज़ियाँ को लेना भी एक प्रकार से रसायन लेना जैसा ही है।

प्राणायाम —

प्राणायाम ( PRANAYAMAS)

प्राणायाम 

बच्चों के मन को स्थिरता देने वाला प्राणायाम भी एक तरह का रसायन ही है। बच्चों का भावनात्मक पोषण ठीक हो इसलिए उनको माता पिता से प्यार, समर्थन एवं संस्कार मिलना जरूरी है।

इसलिए ये विधियां भी रसायन स्वरुप हैं। ऐसी चीज़ों की मदद से बच्चों का शारीरिक, मानसिक तथा भावनात्मक विकास करना और उन्हें बिमारियों से बचाना संभव है।


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