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Tirupati Balaji Mandir विश्व का प्रसिद्ध चमत्कारिक मंदिर


हमारा देश अनेक प्राचीन और चमत्कारिक मंदिरों की धरोहर से परिपूर्ण है। उनमे से एक है Tirupati Balaji Mandir-विश्व का प्रसिद्ध  चमत्कारिक मंदिर। यह तिरुपति वैंकटेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ हर वर्ष लाखों करोड़ो की संख्या में भक्त दर्शन के लिए आते हैं। ऐसा कहा जाता है कि प्रतिदिन 80 हज़ार से 1 लाख तक श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। जो भी भक्त श्रद्धा व विश्वास से भगवान वैंकटेश्वर से माँगता है, उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है।

Tirupati Balaji Mandir
तिरुपति बालाजी

1. Tirupati Balaji Mandir कहाँ स्थित है ? 

  • Tirupati Balaji Mandir आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित है। यह समुद्र तल से 3200 फ़ीट ऊंचाई पर स्थित तिरुमाला की पहाड़ियों पर बना है।
  • यह तिरुमला की पहाड़ियों में निर्मित भगवान विष्णु के 8 स्वयंभू मंदिरों में से एक है। यह पहाड़ियाँ तिरुपति के चारों ओर स्थित हैं। शेष नाग के सात फनों के आधार पर सप्तगिरि कहलाती हैं।
  • श्री वैंकटेश्वर का यह मंदिर सप्तगिरि की सातवीं पहाड़ी पर स्थित है जिसे वेंकटाद्रि के नाम से जाना जाता है। यह श्री स्वामी पुष्करणी नामक तालाब के किनारे स्थित है। यही कारण है की यहाँ बालाजी को भगवान वैंकटेश्वर भी कहते हैं और इस मंदिर को TEMPLE OF SEVEN HILLS भी कहते हैं।

2. Tirupati Balaji Mandir का इतिहास —

  • Tirupati Balaji Mandir का इतिहास काफी प्राचीन है। तमिल के प्राचीन संगम साहित्य में तिरुपति बाला जी के मंदिर का वर्णन मिलता है। इसमें तिरुपति को त्रिवेंगदम कहा गया है।
  • इतिहासकारों में इस मंदिर के विषय में अलग-अलग मतभेद हैं। लेकिन ऐसा माना जाता है कि 5 वी शताब्दी तक यह एक प्रमुख धार्मिक केंद्र के रूप में था।
  • ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर को बनवाने में आर्थिक रूप से चोल, होयसल और विजयनगर के राजाओं ने अपना योगदान दिया था।
  • वैसे तो तिरुपति बालाजी का मंदिर 5 वी शताब्दी तक स्थापित हो गया था। लेकिन इसके इतिहास के प्रारम्भ का वर्णन 9 वी शताब्दी से मिलता है। उस समय कांचीपुरम के शासक वंश पल्लवों ने इस स्थान पर अपना शासन स्थापित किया।
  • 15 वी शताब्दी के विजयनगर शासक के समय इस मंदिर की ख्याति सीमित रही थी। लेकिन 15 वी शताब्दी के बाद इस मंदिर की प्रसिद्धि दूर दूर तक फैलने लग गई थी।
  • अंग्रेजों के शासन काल के समय 1843 से 1933 ई० तक इस मंदिर का कार्य भार हातीराम जी मठ के महंत के द्वारा संभाला गया था।
  • तत्पश्चात 1933 में मद्रास सरकार ने इसका कार्य भार एक स्वतंत्र प्रबंधन समिति तिरुमाला- तिरुपति को सौप दिया था।

 

  • Tirupati Balaji Mandir
    तिरुपति बालाजी मंदिर

3.  Tirupati Balaji Mandir की वास्तुकला —

  • तिरुपति बालाजी मंदिर, विश्व प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यदि यह कहा जाए कि यह सबसे संपन्न मंदिरों की श्रेणी में आता है तो यह कहना गलत नहीं होगा।
  • यह मंदिर वास्तुकला की दृष्टि से भी श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करता है। इसका निर्माण दक्षिण द्रविड़ शैली में किया गया है।
  • मंदिर का मुख्य भाग  ‘ अनंदा निलियम ‘ देखने में काफी आकर्षक है। यहाँ भगवान श्री वैंकटेश्वर अपनी सात फुट ऊँची प्रतिमा के साथ विराजमान हैं। जिसका मुख पूर्व की तरफ बना हुआ है। गर्भ गृह के ऊपर का गोपुरम पूर्ण रूप से सोने की प्लेट से ढका हुआ है जो दिखने में बहुत सुन्दर और आकर्षक लगता है।
  • इसके अतिरिक्त तिरुपति बालाजी मंदिर में तीन परकोटे हैं। जिन पर बने स्वर्ण कलश यहाँ आने वाले लोगों को प्रभावित करते हैं। मंदिर का मुख्य द्वार पड़ी कवाली महाद्वार कहा जाता है। जिसका आधार चतुर्भुज की तरह है।
  • मंदिर के अंदर कई अन्य खूबसूरत मूर्तियाँ भी हैं। जिसमे हनुमान जी, लक्ष्मी, नरसिम्हा, वैष्णव आदि।
  • तिरुपति बालाजी मंदिर के परिक्रमा पथ में रंगा मंडपम, सलुवानरसिम्हा मंडपम, प्रतिमा मंडपम, ध्वजस्तंब मंडपम, तिरुमाला राया मंडपम और आइना महल समेत कई बेहद सुन्दर मंडप भी बने हुए हैं।

4. तिरुपति बालाजी मंदिर से जुड़ी पौराणिक रोचक कथाएँ —

  • जब सागर मंथन हुआ तब विष के अलावा चौदह रत्न निकले थे। इन रत्नो में से एक रत्न माता लक्ष्मी भी थीं। लक्ष्मी जी का रूप अति भव्य और सुन्दर था। जिनके आकर्षण से कोई नहीं बच पाया। जिसके फलस्वरूप सभी चाहे देवता हों या दैत्य, यही चाहते थे कि लक्ष्मी जी उन्हें वर के रूप में चुने। परन्तु लक्ष्मी जी को उनमे कुछ न कुछ कमी नज़र आई।
  • लेकिन विष्णु जी को देखकर वह मुग्ध गई और उन्होंने विष्णु जी के गले में वरमाला पहना दी। इस प्रकार विष्णु जी ने भी देवी लक्ष्मी को अपने वक्ष पर स्थान दिया। क्योंकि ह्रदय में तो प्रभु ने संसार के पालन हेतु अपने कर्तव्यों को प्रथम स्थान दिया हुआ था। जिससे वह विमुख नहीं होते हैं।
  • एक कथा के अनुसार जब धरती पर विश्व कल्याण की भावना से यज्ञ किया गया, तब यह सवाल उठा कि इस यज्ञ का फल किसे मिलना चाहिए ? इस समस्या का समाधान करने के लिए भृगु ऋषि को चुना गया। भृगु ऋषि सर्वप्रथम ब्रह्माजी के पास गए तत्पश्चात महादेव जी के पास गए। लेकिन उन्हें इस कार्य के लिए उपयुक्त नहीं पाया। फिर वह भगवान विष्णु के पास गए।
  • विष्णु जी आराम से शेष शैया पर लेटे हुए थे, उनकी दृष्टि भृगु ऋषि पर नहीं पड़ी। तब ऋषि भृगु ने क्रोध में आकर भगवान विष्णु के वक्ष पर ठोकर मार दी। इस पर विष्णु भगवान ने उनके चरण पकड़ लिए और बोले आपको चोट तो नहीं आई। इस पर ऋषि भृगु प्रसन्न हो गए और उन्होंने यज्ञ फल के लिए विष्णु जी को सर्वश्रेष्ठ माना।
  • लेकिन इस घटना को देखकर लक्ष्मी जी रुष्ट हो गई। क्योंकि जिस वक्षस्थल को भृगु ऋषि ने ठोकर मारी थी, वहां लक्ष्मी जी का वास है। लेकिन विष्णु भगवान ने क्रुद्ध होने की जगह भृगु ऋषि से क्षमा माँगी। इस  पर लक्ष्मी जी विष्णु लोक को त्याग कर चली गई।
  • विष्णु भगवान ढूंढते हुए धरती लोक पर पहुँच गए। यहाँ उन्होंने श्री निवास के रूप में जन्म लिया और लक्ष्मी जी ने पद्मावती के रूप में जन्म लिया। यहाँ दोनों का विवाह हो गया। इस विवाह में सभी देवता सहित भृगु ऋषि भी आए, उन्होंने लक्ष्मी जी से क्षमा माँगी। लक्ष्मी जी ने भी ऋषि भृगु को क्षमा कर दिया।
  • ऐसा भी कहा जाता है कि इस विवाह के लिए भगवान विष्णु ने कुबेर से धन उधार लिया था। जिसे वह कलियुग के समाप्त होने तक चुका देंगे। इस प्रकार भक्त जो भी मंदिर में धन चढ़ाता है, उसे यह माना जाता है, कि वह भगवान विष्णु के ऊपर कुबेर के क़र्ज़ को चुकाने में मदद कर रहा है। अतः भगवान  भी अपने भक्त को खाली हाथ नहीं जाने देते हैं। वह उसकी सभी मनोकामनाएँ पूरी करते है।
  • जब भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, तब वह तिरुपति बालाजी के मंदिर में पुनः आकर अपने बालों को कटवाकर दान करते हैं। यह प्रथा भक्त की तरफ से यहीं दर्शाती है कि वह अपने अहम को प्रभु के समक्ष नष्ट कर रहा है।

 

  • Venkateshwar Swami _ Tirupati Balaji Mandir
    वैंकटेश्वर स्वामी

     

5. तिरुपति बालाजी मंदिर के रोचक तथ्य जो किसी चमत्कार से कम नहीं– 

  • बालाजी की मूर्ति स्वयंभू मूर्ति है।
  • भगवान बालाजी के सिर पर रेशमी केश हैं जो कभी उलझते नही हैं, बिल्कुल सजीव से लगते हैं। यहीं प्रभु के साक्षात होने का प्रत्यक्ष प्रमाण है।
  • भगवान बालाजी गर्भ गृह के बिल्कुल मध्य भाग में विराजमान हैं। लेकिन बाहर से देखने पर ऐसा लगता है कि वह दाई तरफ के कोने में खड़े हैं।
  • गर्भ गृह में जलने वाला दीपक, हज़ारों से जल रहा है। ऐसा कहा जाता है कि बिना तेल और घी डाले ही यह जलता रहता है।
  • भगवान वैंकटेश्वर की अदभुत मूर्ति में कान लगाकर सुनने से समुद्र की ध्वनि सुनाई देती है।
  • यही नही भगवान की पीठ नम भी देखी गई है। उन्हें पसीना आता है, जो बार बार पोछने पर भी पीठ पर नमी बनाए रखता है।
  • गुरूवार के दिन बालाजी का श्रृंगार उतारा जाता है। उन्हें स्नान कराकर चंदन का लेप लगाया जाता है। उस वक़्त ह्रदय पर लगे चंदन में देवी लक्ष्मी की छवि दिखती है। जो किसी चमत्कार से कम नही है।
  • भगवान वैंकटेश्वर की मूर्ति पर पचाई कपूर लगाया जाता है। वैज्ञानिको के अनुसार यदि पचाई कपूर को किसी पत्थर पर लगाया जाता है, तो वह कुछ समय बाद चटक जाता है। लेकिन प्रभु की प्रतिमा पर कोई असर नहीं होता है। यह भी तिरुपति बालाजी के साक्षात होने का प्रत्यक्ष प्रमाण है।
  • मंदिर से लगभग 23 किमी दूर एक गांव है। वहाँ बाहरी व्यक्ति का जाना मना है। भगवान तिरुपति बालाजी के लिए फूलों से लेकर दूध, दही, मक्खन आदि सभी वस्तुएँ यहीं से आती हैं।
  • गर्भ गृह में चढ़ाई गई किसी भी वस्तु को बाहर नहीं लाया जाता है। अपितु बालाजी के पीछे जलकुंड है, जहाँ बिना देखे उनका विसर्जन किया जाता है। जो कि 20 किमी दूर वेरपेडु में बाहर आ जाती है।
  • तिरुपति बालाजी के मंदिर में मुख्य द्वार पर एक अनोखी छड़ी रखी हुई है। ऐसा कहा जाता है कि बचपन में इस छड़ी से ही तिरुपति बालाजी की पिटाई हुई थी। जिससे उनकी ठुड्डी पर चोट लग गई थी। यही कारण है, कि भगवान की ठुड्डी पर चंदन का लेप लगाया जाता है। जिससे उनकी चोट ठीक हो जाए।

6. Tirupati Balaji Mandir  के प्रमुख त्यौहार —

  • आपको यह जानकर हैरानी होगी कि भगवान तिरुपति बालाजी के मंदिर में 433 त्यौहार मनाए जाते हैं। जिसे ‘ नित्य कल्याणं पच्चा तोरणं कहा ‘ जाता है।
  • यहाँ का प्रमुख त्यौहार ब्रह्मोत्सवं है। जो कि, जब सूर्य कन्या राशि में प्रवेश करते हैं, तब मनाया जाता है। यह 9 दिनों तक चलता है।
  • इसके अलावा यहाँ एकादशी पर भक्तों की भीड़ लगी होती है। एकादशी तिथि पर दर्शन करना बहुत फलदायी होता है।

7. तिरुपति बालाजी मंदिर की गुप्त रसोई —

  • Tirupati Balaji Mandir में एक गुप्त रसोई बनी हुई है, जिसे पोटू भी कहा जाता है।
  • यहाँ प्रतिदिन 3 लाख लड्डुओं का प्रसाद तैयार होता है। जिन्हें 300 साल पुरानी पारंपरिक विधि से बनाया जाता है।

 

  • Padmavati Devi Lakshmi _ Tirupati Balaji Mandir
          पद्मावती देवी लक्ष्मी

     

8. तिरुपति के आस पास के स्थानीय मंदिर —

  • श्री गोविन्द राजा स्वामी मंदिर —

    श्री गोविंदराज स्वामी, भगवान बालाजी के बड़े भाई है। यह बहुत प्राचीन मंदिर है। इसका निर्माण संत रामानुजाचार्य ने 1130 ई० में कराया था। यह तिरुपति रेलवे स्टेशन के पास स्थित है। इस मंदिर में कई अन्य छोटे-छोटे मंदिर और संग्राहलय भी है। यहाँ भगवान की मुख्य प्रतिमा निद्रा लीन अवस्था में है।

  • श्री पद्मावती सरोवर मंदिर —

    (तिरुचनूर ) इसे अलमेलुमंगपुरम भी कहते हैं। यह तिरुपति से 5 किमी दूर है। यह मंदिर भगवान वैंकटेश्वर की पत्नी श्री पद्मावती(लक्ष्मी देवी) को समर्पित है।माना जाता है कि तिरुमाला की यात्रा तब तक पूरी नहीं होती, जब तक इस मंदिर में दर्शन न करें।

  • श्री कोदण्डरामस्वामी मंदिर —

    यह मंदिर तिरुपति के मध्य में स्थित है। इसकी दूरी तिरुपति रेलवे स्टेशन से लगभग 1 किमी है। यहाँ भगवान राम, सीता जी और लक्ष्मण जी की पूजा होती है। कहते हैं लंका से लौटते समय श्री राम जी, सीता व लक्ष्मण सहित यहाँ पधारे थे।

  • श्री कपिलेश्वरस्वामी मंदिर —

    यह तिरुपति में स्थित शिवजी का एक मात्र मंदिर है। यह तिरुपति शहर से तीन किमी दूर है। कहते हैं कपिल मुनि द्वारा यहाँ शिवलिंग की स्थापना की गई थी। इसलिए इसे कपिलेश्वर मंदिर कहते हैं। यहाँ पर कपिलातीर्थम नामक पवित्र नदी भी बहती है। वर्षा ऋतु में यहाँ का वातावरण बहुत सुहावना लगता है।

  • श्री निवासामंगापुरम —

    यह एक छोटा सा गाँव है जो कि तिरुपति से 12 किमी दूर स्थित है। यहीँ श्री कल्याण वैंकटेश्वर स्वामी मंदिर स्थित है। ऐसा माना जाता है कि श्री पद्मावती से शादी के बाद तिरुमाला जाने से पहले भगवान यहीँ ठहरे थे।

  • नारायणवनम —

    यह एक छोटा शहर है जो तिरुपति से 22 किमी दूर स्थित है। कहते है यही वह स्थान है, जहाँ भगवान वैंकटेश्वर और राजा आकाश की पुत्री देवी पद्मावती का विवाह हुआ था। तत्पश्चात राजा आकाश ने यहाँ मंदिर का निर्माण कराया था। इसमें श्री कल्याण वैंकटेश्वरस्वामी की पूजा होती है।

  • श्री वेदनारायणस्वामी मंदिर —

    नगलपुरम का यह मंदिर तिरुपति से 70 किमी दूर स्थित है। माना जाता है कि भगवान विष्णु ने मत्स्य रूप में अवतार लेकर सोमकुडु नामक राक्षस का वध किया था। यहाँ भगवान मत्स्य रूप में विराजमान हैं, जिनके दोनों ओर श्री देवी और भू देवी है। इसे विजयनगर के राजा श्री कृष्णदेव राय ने बनवाया था।

  • श्री प्रसन्ना वैंकटेश्वरस्वामी मंदिर —

    भगवान वैंकटेश्वर ने श्री पद्मावती से विवाह के बाद यहीं सिद्धेश्वर और अन्य शिष्यों को आशीर्वाद दिया था। ऐसा माना जाता है कि आनुवांशिक रोगो से पीड़ित व्यक्ति, यदि यहाँ आकर वायु देव की मूर्ति के समक्ष प्रार्थना करे तो वह ठीक हो जाता है।

  • श्री वेणुगोपाळस्वामी मंदिर —

    यह मंदिर तिरुपति से 58 किमी दूर कारवेतिनगर में स्थित है। यहाँ भगवान वेणुगोपाल के साथ उनकी पत्नियाँ श्री रुकमणी एवं श्री सत्यभामा विराजमान है।

  • पेरुमला स्वामी मंदिर —

    यह मंदिर तिरुपति से 51 किमी दूर नीलगिरी में स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि यहीं पर भगवान विष्णु ने मकर को मारकर गजेंद्र नामक हाथी को बचाया था। इस घटना का वर्णन महाभागवत में गजेन्द्रमोक्ष के नाम से जाना जाता है।

 

Swami PUSHKARNI Jalkund _ Tirupati Balaji Mandir
स्वामी पुष्करिणी जलकुंड

 

9. तिरुमाला के दर्शनीय स्थल —

  • स्वामी पुष्करिणी

    इस पवित्र जलकुंड के पानी का प्रयोग केवल मंदिर के लिए होता है। यह जलकुंड मंदिर से बिल्कुल समीप है। इसके दर्शन मात्र से व्यक्तियों के सभी पाप धुल जाते हैं और भक्तों को सभी सुख प्राप्त होते हैं। ऐसा माना जाता है कि वैकुण्ठ में भी भगवान पुष्करिणी कुंड में ही स्नान करते हैं। अतः गरुण जी भगवान वैंकटेश्वर के लिए इसे धरती पर लाए थे।

  • आकाश गंगा —

    यह एक जलप्रपात है, जो कि तिरुमाला मंदिर से 3 किमी दूर स्थित है।

  • टी टी डी गार्डन —   यह 460 एकड़ में फैला गार्डन है। यहाँ विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे हैं। अनेक प्रकार के फूलों के पौधे हैं। इन फूलों का प्रयोग भगवान के मंदिर को सजाने में किया जाता है।
  • श्री वैंकटेश्वर संग्रहालय —

    इसकी स्थापना 1980 में हुई थी। यह एक मेडिटेशन केंद्र व फोटो गैलरी भी है। इसके अलावा यहाँ वास्तुशिल्प से सम्बंधित वस्तुओं का प्रदर्शन किया गया है।

10. तिरुपति में भोजन की व्यवस्था — 

  • तिरुमला में मंदिर से लगभग 1 किमी दूर नित्य अन्ना दाना हॉल है। यहाँ शाकाहारी भोजन निःशुल्क मिलता है। लगभग 25-30 हज़ार लोग यहाँ प्रतिदिन भोजन करते हैं।
  • तिरुमला में सभी रेस्टोरेंट्स में खाने की कीमत टी टी डी तय करती है।
  • इसके अलावा तिरुपति में भी बहुत से रेस्टोरेंट्स हैं।

 

Garun Shila _ Tirupati Balaji Mandir
 गरुण शिला

 

11. अन्य उपयोगी बातें

  • यहाँ तिरुपति बालाजी मंदिर में दर्शन के लिए आप हवाई मार्ग, रेल मार्ग व बसों के द्वारा आराम से जा सकते हैं।
  • यहाँ निशुल्क व सशुल्क सभी प्रकार से दर्शनों की व्यवस्था है।
  • यहाँ मंदिर के आस पास रहने की भी अच्छी व्यवस्था है। यहाँ विभिन्न श्रेणियों के होटल व धर्मशालाएं हैं। जो यात्रियों की सुविधा को देखते हुए बनाये गए हैं। इनकी बुकिंग टी टी डी के केंद्रीय कार्यालय से कराई जाती है।
  • यहाँ मुख्यतः तेलगु भाषा बोली जाती है। इसके साथ तमिल, कन्नड और अंग्रेजी भी लोगो द्वारा बोली जाती है।
  • यहाँ वर्ष भर गर्मी रहती है। लेकिन तिरुमला की पहाड़ियों पर ठंडा वातावरण रहता है।
  • यहाँ घूमने का उपयुक्त समय सितम्बर से फरवरी के बीच है।

निष्कर्ष —

तो यह थी Tirupati Balaji Mandir-विश्व का प्रसिद्ध चमत्कारिक मंदिर से जुडी कुछ रोचक बातें, जो भगवान वैंकटेश्वर के साक्षात वास को दर्शाती हैं। इन सभी का अनुभव हमें अपने जीवन काल में, वहाँ जाकर अवश्य करना चाहिए। आप को यह जानकारी कैसी लगी इसके विषय में अवश्य  कमेंट करें।

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