Sattu-गर्मियों का एक ठंडा पौष्टिक पेय/Healthy Super Food
यदि हम अपने दिन की शुरुआत किसी पौष्टिक आहार से करते हैं, तो दिन भर स्फूर्ति, ऊर्जा एवं तरों- ताज़ा बने रहते हैं। आयुर्वेद के अनुसार आहार का विशेष महत्व होता है। हम जैसा भोजन करते हैं, वैसे ही हमारे तन और मन पर प्रभाव पड़ता है। पौष्टिक आहार की श्रेणी में सत्तू का नाम भी आता है। Sattu गर्मियों का एक ठंडा पौष्टिक पेय है। काफी पहले से ही यह यूपी, बिहार, झारखण्ड एवं बंगाल में प्रचलित है। लेकिन आज कल यह दुनिया भर में सेहत का ख्याल(Diet conscious) रखने वालों की यह पहली पसंद बन गया है।
Sattu क्या है ?
चना, मक्का, जौं आदि जैसे मोटे और पोषक अनाजों को बालू या रेत में भूनने के बाद, जो आटा पिसवाया जाता है उसे ही सत्तू कहते हैं। यह एक बेहतर प्रोटीन से भरपूर पेय (drink) है। यह पाउडर ( चूर्ण ) की तरह होता है। जिसे आप किसी भी रूप में खा सकते हैं चाहे वह तरल रूप में ( liquid) या किसी व्यंजन के रूप में लिया जा सकता हैं।
Sattu – Super Food
सत्तू में प्रोटीन की प्रचुर मात्रा पायी जाती है। इसके अलावा इसमें कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, मैंगनीज, कार्बोहाइड्रेट्स और फाइबर पाया जाता है, जो इसकी पौष्टिकता को बढ़ाने के साथ ऊर्जा भी प्रदान करता है। आज कल डायटीशियन इसको उन सभी लोगों को पीने के लिए कह रहे हैं जो अपना वजन कम करना चाहते हैं। इस सुपर फ़ूड को अपनी डाइट में शामिल करके आप कैलोरी इन्टेक को काफी कम कर सकते हैं। क्योंकि इसे पीने के बाद काफी समय तक भूख नहीं लगती है।
At What Time Should Sattu be consumed(सेवन किस समय करना चाहिए)?
सत्तू एक सम्पूर्ण भोजन कहा जा सकता है। पौष्टिक तत्वों से भरा होने के कारण इसका सेवन प्रातः काल नाश्ते के रूप में करना ज्यादा फायदेमंद रहता है। वैसे आप इसको दोपहर में भी ले सकते हैं।
Sattu Drink-Beneficial in Summer( गर्मियों में क्यों फायदेमंद) ?
सत्तू एक ठंडा पेय है। इसकी तासीर ठंडी होने की वजह से यह गर्मियों में ही पीना चाहिए। गर्मियों में जब तापमान बढ़ता है तब ठंडा पीने की इच्छा अकसर सभी को होती है। ऐसे में सत्तू पीना फायदेमंद रहता है क्योंकि यह एक ठंडा पौष्टिक पेय है जो हमें लू से बचाता है और शरीर में पानी की कमी को भी पूरा करता है।
Sattu – Types and Benefits
जौ का सत्तू :
सर्वप्रथम जौ को धोने और साफ़ करने के बाद सुखाया जाता है। इसके बाद भूनने व पीसने पर सत्तू तैयार होता है। यह गुणों में शीतल एवं थोड़ा भारी होता है। आयुर्वेद की दृष्टि से देखा जाए तो यह रस में मधुर, अग्नि प्रदीपक, कब्ज़ नाशक होने के साथ- साथ कफ व पित्त शामक तथा वात वर्धक होता है। यह सुपाच्य होता है और तुरंत शक्ति प्रदान करने वाला बलवर्धक पेय होता है। इसमें प्रोटीन्स 11.5% तथा कार्बोहाइड्रेट्स लगभग 70% होते है।
जौ- चने का सत्तू :
चने को भूनने के बाद छिलका हटाकर पिसवाने के बाद उसमे लगभग चौथाई भाग जौ का सत्तू मिलाने से जौ-चने का सत्तू तैयार होता है। यह गुणों में शीतल होने के साथ कफ, पित्त, रक्त शामक एवं वात वर्धक होता है। इसमें लगभग 18% प्रोटीन्स तथा 61% कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं। चने का सत्तू मधुमेह, रक्त विकार तथा अम्लपित्त के रोगियों के लिए यह अत्याधिक लाभदायक होता है।
गेहूँ का सत्तू :
गेहूँ स्निग्ध, मधुर, शीतल एवं पचने में भारी होता है। यह वात, पित्त शामक तथा कफ वर्धक होता है। गेहूँ का सत्तू पचने में गेहूँ से हल्का होता है।
जौ- चने और गेहूँ का सत्तू :
एक किलो चने की दाल, आधा किलो गेहूँ और दो सौ ग्राम जौ को एक साथ भुनवा कर पीसने से सत्तू तैयार होता है। तीनों आहार के होने से यह शरीर को पूरा पोषण प्रदान करता है। यह ऊर्जा वर्धक और पचने में सुपाच्य होता है।
Ways to Consume Sattu (सत्तू सेवन करने के तरीके)
सत्तू का सेवन अनेक विधियों से किया जा सकता है–
पतले पेय के रूप में :
किसी भी प्रकार के सत्तू को ताजे पानी अथवा छाछ के साथ पतला पेय बनाकर पिया जा सकता है। घड़े का ठंडा पानी हो तो ज्यादा बेहतर रहेगा। इसमें आप अपने स्वाद के अनुसार नमक या चीनी/ शक्कर कुछ भी मिलाकर पी सकते हैं।
गाढ़े घोल के रूप में :
सत्तू को गाढ़े घोल के रूप में भी लिया जा सकता है। बस इसके लिए आपको कम पानी मिलाना होगा और सत्तू की मात्रा अधिक रखनी होगी। इसमें फिर स्वाद अनुसार मीठा या नमकीन बनाने के लिए शक्कर या नमक मिला लीजिए।
अन्य पकवान के रूप में :
लिट्टी चोखा
सत्तू की पूड़ी, टिक्की, रोटी एवं पराठा बनाकर भी खाया जा सकता है। इसके अलावा लिट्टी चोखे प्रचलित व्यंजन में, लिट्टी में सत्तू भर सकते हैं। दाल बाटी में भी सत्तू को बाटी में भरकर खाया जाता है।
Benefits Of सत्तू (सत्तू के फायदे )
गर्मियों में शरीर को ठंडक प्रदान करना :
दाल बाटी घी के साथ
सत्तू की तासीर ठंडी होने की वजह से यह गर्मियों का एक ठंडा पौष्टिक पेय है। गर्मियों में लू का प्रकोप बढ़ जाता है ऐसे में यह एक एनर्जी ड्रिंक का काम करता है और लू से बचाता है।
डायबिटीज को कंट्रोल करने में फायदेमंद :
सत्तू डायबिटीज के रोगियों के लिए एक सुपर फ़ूड है क्योंकि सत्तू का glycemic index(GI 28-35 के बीच) काफी कम होता है। यह ब्लड का शुगर लेवल कम करता है। काले चने का सत्तू डायबिटीज में ज्यादा फायदेमंद होता है।
वज़न कंट्रोल करने में :
आजकल डायटीशियन वज़न करने के लिए सत्तू को खाने का सुझाव देते हैं। सत्तू प्रोटीन एवं विटामिन से भरपूर होता है। इसको नाश्ते में खाने से पेट भी भर जाता है और ज्यादा समय तक खाने की इच्छा नहीं होती है। इस प्रकार आप अपनी भूख पर भी कंट्रोल कर पाएंगे। यही नहीं सत्तू फाइबर का भी अच्छा स्रोत है।
मेटाबोलिज्म को मजबूत बनाता :
सत्तू हमारे पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है। इसमें पाए जाने वाला फाइबर पेट साफ़ रखता है जिससे गैस एवं कब्ज नहीं रहता है। इस तरह यह हमारे मेटाबोलिज्म को बढ़ाता है।
Sattu – Nutritional Value
यदि 100 ग्राम सत्तू की बात कही जाए तो उसमे लगभग 356 कैलोरीज होती हैं। कार्बोहायड्रेट 53 ग्राम, प्रोटीन 20 ग्राम, वसा 6 ग्राम और फाइबर लगभग 10 ग्राम होता है। इसके अलावा विटामिन्स की बात करें तो प्रतिदिन की जरूरत के हिसाब से आयरन 25%, फोलेट 100%, मैग्नीशियम 38%, मैंगनीज 74% एवं कॉपर 42% तक पाया जाता है। देखा जाए तो सत्तू एक हाई न्यूट्रिशनल वैल्यू फ़ूड है।
Precautions While Eating Sattu(सत्तू खाते समय सावधानियाँ)
- खाना खाने के बाद सत्तू का सेवन नहीं करना चाहिए।
- सत्तू कम मात्रा में ही लेना चाहिए। इसे पेट भरकर खाना या पीना नहीं चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से पेट में गैस अधिक बन सकती है।
- सत्तू का सेवन प्रातः काल ही करना चाहिए। रात के समय सत्तू का सेवन नहीं करना चाहिए।
- सत्तू के साथ पानी की अधिक मात्रा नहीं रखनी चाहिए।
- बारिश के मौसम में सत्तू का सेवन नहीं करना चाहिए।
- जिन्हें चने से एलर्जी है या पथरी है उन्हें सत्तू नहीं खाना चाहिए।
निष्कर्ष —
आयुर्वेद के अनुसार सत्तू एक पूर्ण आहार है। क्योंकि इसमें सभी पोषक तत्व मौज़ूद हैं। यह गर्मियों का एक ठंडा पौष्टिक पेय है जो आपके शरीर को गर्मी के प्रकोप से बचाता है और स्वस्थ्य रखता है।
तो आइए इस गर्मी का स्वागत सत्तू के साथ करते हैं। आपको यह लेख कैसा लगा अपनी राय कमेंट बॉक्स में लिखें।