Nirgundi | निर्गुन्डी के फायदे, जोड़ों के लिए दर्द निवारक
आज के भागदौड़ से भरे जीवन में, मनुष्य प्रकृति से दूर होता जा रहा है। हम सभी लोगों की जीवन शैली व दिनचर्या भी बदल गई है। जिसके परिणाम स्वरुप, विभिन्न प्रकार के रोगों का शरीर में प्रवेश करना एक समस्या बन गयी है। इस सन्दर्भ में यदि देखें तो जोड़ों की समस्या एक आम समस्या है। पहले तो यह सिर्फ बुजुर्गों में दिखाई देती थी। लेकिन आजकल बच्चों और जवानों में भी हो रही है। आयुर्वेद में एक ऐसे पौधे का जिक्र मिलता है, जिसे Nirgundi (निर्गुण्डी) कहते हैं। यह जोड़ों के लिए दर्द निवारक एवं शरीर के लिए वरदान है। तो आइए जानते हैं निर्गुन्डी के फायदे के बारे में।
लेकिन यह भी परम सत्य है कि जहाँ समस्या है, वहाँ समाधान भी है। इसके लिए यह जरूरी है कि हम प्रकृति से जुड़े। ऐसा इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि यह बहुत सी बिमारियों को ठीक करने के चमत्कारिक गुण रखता है।
Nirgundi का क्या अर्थ है ?
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| निर्गुण्डी का पौधा |
निर्गुण्डी शब्द का अर्थ है, कि एक ऐसा तत्व जो शरीर से रोगों को निकालते हुए शरीर की रक्षा करता है। इस औषधि में शरीर के अंदर द्रवों के जमाव को रोकने की क्षमता भी है तथा जोड़ों की सूजन कम करने में भी सहायक है। आयुर्वेद शास्त्र में इसे कई नामों से पुकारा जाता है जैसे सिंदुवर, सिन्दुक, सिंदुवरक, शैफाली और सुबह। इसका साइंटिफिक नाम है VITEX NEGUNDO और अंग्रेजी में इसे CHASTE TREE भी कहते हैं।
Nirgundi Plant Structure (संरचना व आकार)

निर्गुन्डी प्लांट
निर्गुण्डी का पेड़ 10 मीटर की ऊंचाई तक बढ़ता है। पत्तियां पतली, संकरी और तिरछापन लिए होती हैं। इसकी मुख्य रूप से दो प्रजातियाँ मिलती हैं। रंगों के आधार पर नीले व सफ़ेद फूलों वाली तथा पत्तियों के आकार के आधार पर पाँच पत्ते व तीन पत्तों वाली।
निर्गुण्डी कहाँ पाया जाता है ?
यह एक हरा-भरा पेड़ है, जो अकसर जंगली इलाकों और खेतों की मेड़ो पर पाया जाता है। निर्गुण्डी का पौधा देखने में इतना आकर्षक नही होता है, जितना कि इसमें औषधीय गुण कूट-कूट कर भरे होते हैं। यही कारण है कि सदियों से इसे आयुर्वेद में औषधि बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है।
Nirgundi – Pain Reliever and Boon for The Body (जोड़ों के लिए दर्द निवारक एवं शरीर के लिए वरदान)
निर्गुण्डी हल्की, गर्म, शुष्क और सूक्ष्म होने के कारण यह कफ और आम को बनने से रोकती है। दीपन गुण के कारण जठराग्नि को बढ़ाता है और विषैले तत्वों का पाचन करता है। यह जोड़ों के विकारों और रोगों को दूर करने में बहुत असरदार माना जाता है।
सभी प्रकार के जोड़ों के रोगों का उपचार करने में यह हमेशा से आयुर्वेद की सर्वश्रेष्ठ औषधियों में से एक है। यह कफ और वात को नष्ट करता है। दर्द को कम करने में विशेषकर जोड़ों के लिए दर्द निवारक एवं शरीर के लिए वरदान है। क्योंकि यह विभिन्न रोगों को ठीक रखने की क्षमता रखती है।
निर्गुण्डी के किस भाग में औषधीय गुण?
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| निर्गुण्डी |
हालाँकि आयुर्वेद में मुख्य रूप से निर्गुण्डी की पत्तियों का ही इस्तेमाल होता है। लेकिन इस पौधे के सभी भागों में जैसे छाल, बीज, जड़े और फूल में भी औषधीय गुण होते हैं।
How Nirgundi Useful For Joint Pain (जोड़ों के रोग में कैसे उपयोगी है)?
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| जोड़ों के दर्द व सूजन |
निर्गुण्डी को अनेक प्रकार के रोगों में उपयोग किया जा सकता है, लेकिन आयुर्वेद के अनुसार इसका मुख्य उपयोग जोड़ों के रोग में ही है। इसके वात और कफ कम करने वाले गुणों के कारण, यह जोड़ों के रोगों को दूर करने वाली सर्वश्रेष्ठ औषधि मानी जाती है। निर्गुण्डी विषैले तत्वों से हुए रुकावटों को हटाते हुए वात के सामान्य प्रवाह को बनाए रखता है। इसलिए जोड़ों के रोगो के लिए यह बहुत प्रभावी है।
यह एनाल्जेसिक के रूप में भी काम करता है और नसों में रुकावटों को हटाकर जोड़ों के दर्द को कम करता है। निर्गुण्डी नसों में रुकावटों को हटाकर और मूत्र विसर्जन को बढ़ाते हुए जोड़ों की सूजन भी कम करता है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि यह जोड़ों के लिए दर्द निवारक एवं शरीर के लिए वरदान है।
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Nirgundi Kwath (निर्गुण्डी का ताज़ा कवाथ कैसे तैयार किया जाए)
यदि आपको जोड़ों में दर्द की समस्या है, तो निर्गुण्डी का कवाथ इस परेशानी से आपको आराम दिला सकता है। आप इसे घर में भी बना सकते हैं। निर्गुण्डी की 100 ग्राम ताज़ी पत्तियाँ लें। पत्तियों को ताज़े पानी से धो लें। 500 मिली० पानी को निर्गुण्डी के साथ तब तक उबालें जब तक पानी आधा यानी 250 मिली० न रह जाए। इस मिश्रण को छान लें। अब इस मिश्रण में स्वाद के लिए थोड़ा सा सेंधा नमक या शहद मिला लें। हररोज़ इस कवाथ का 10 से 20 मिली० दिन में दो या तीन बार लें।
Benefits Of Nirgundi (निर्गुण्डी के फायदे अन्य बिमारियों में )
Power Enhancing Property (शक्ति वर्धक गुण)
निर्गुण्डी के बीजों का वीर्य को गुणवत्ता और मात्रा बढ़ाने के लिए भी जाना जाता है। इसे बुढ़ापे में नई शक्ति प्रदान करने वाले टॉनिक के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है।
For Liver Disorder (लिवर विकारों के लिए)
निर्गुण्डी के फूल लिवर के विकारों में बहुत लाभदायक है।
Pain Relieving Property (दर्द निवारक गुण)
निर्गुण्डी के पत्तों को पानी में घिसकर लेप बनाकर इसे माथे पर लगाने से सर दर्द में लाभ मिलता है। इसके अलावा निर्गुण्डी के ताज़े पत्तों का रस यदि कान में 1-2 बूंदें डालने से माइग्रेन के दर्द को भी ठीक करता है।
Brain Tonic (मस्तिष्क टॉनिक)
यह एक प्रकार से मस्तिष्क टॉनिक के रूप में भी काम करता है, जो हमारी स्मरण शक्ति को बढ़ाकर हमें अवसाद व चिंता मुक्त रखता है।
For Sciatica (साइटिका के लिए)
निर्गुण्डी के प्रयोग से साइटिका का रोग भी ठीक हो जाता है। इसके लिए आपको निरंतर दिन में दो बार इसके पत्तों का काढ़ा(Herbal tea ) बनाकर पीना होगा।
Nirgundi Oil Good For Hairs (बालों के लिए लाभदायक)
निर्गुण्डी के पत्तों से बने तेल के द्वारा बालों का गिरना व अन्य बालों की समस्याएँ ठीक हो जाती हैं। बाल मजबूत बनते हैं और उनकी ग्रोथ भी बढ़ती है।
For Seasonal Fever And Cold (मौसमी बुखार व सर्दी के लिए)
निर्गुण्डी का कवाथ व काढ़ा बुखार व मौसमी सर्दी ज़ुकाम को भी ठीक करता है।
Antibacterial Property (एंटीबैक्टीरियल गुण)
निर्गुण्डी के ताज़े पत्तों या इसके तेल को यदि चोट वाले स्थान पर लगाया जाए तो, घाव जल्दी भरता है। इसके साथ दर्द व सूजन में भी आराम मिलता है। यह होता है इसके एंटीबैक्टीरियल गुण के कारण।
Reducing Inflammation (सूजन कम करने में लाभदायक)
निर्गुण्डी में सूजन को कम करने के प्राकृतिक व चमत्कारिक गुण मौजूद होते हैं। इसके पत्तों से बने काढ़े का प्रयोग किसी भी प्रकार की सूजन में बहुत लाभ देता है।
Enhance Digestion Power (पाचन शक्ति वर्धक)
निर्गुण्डी के निरंतर प्रयोग से पाचन शक्ति मजबूत होती है। पेट दर्द व पेट की एसिडिटी को भी ठीक करती है।
Suppression Of Kapha Dosha (कफ दोष का दमन)
निर्गुण्डी में कफ को कम करने का प्राकृतिक गुण मौजूद होता है जिसकी वजह से यह खाँसी, दमा, निमोनियाँ आदि रोगों को ठीक करने में सक्ष्म है।
Anti Inflammatory and Analgesic Property (एंटीइन्फ्लमेट्री व एनाल्जेसिक गुण)
निर्गुण्डी में एंटीइन्फ्लमेट्री व एनाल्जेसिक गुण पाए जाते हैं, जिसकी वजह से यह हाथ-पैरों की जलन को दूर करती है। इसके साथ जांघों के सुन्नपन को भी ठीक करती है।
For Slip Disc (स्लिपडिस्क के लिए)
स्लिपडिस्क के इलाज में भी निर्गुण्डी विशेष रूप से लाभ प्रदान करती है। इस रोग में होने वाले दर्द व जकडाहट को कम करती है।
Suppression Of Vata Dosha (वात दोष का दमन)
निर्गुण्डी, नसों के दर्द को कम करने में सक्ष्म है क्योंकि इसमें वात दोषों का दमन करने की अद्भुद शक्ति पायी जाती है।
For Skin Diseases (चर्म रोग के लिए)
त्वचा रोगों को ठीक करने में भी निर्गुण्डी का उपयोग विशेष लाभ प्रदान करता है। इसके पत्तों का लेप व तेल (Nirgundi Oil ) लगाने से एक्ज़िमा, खुजली, दाद व अन्य चर्म रोग ठीक हो जाते हैं।
For Sore Throat (गले के रोग के लिए)
गले के दर्द व टॉसिल में भी निर्गुण्डी का तेल (Nirgundi Oil), हलके गर्म पानी में मिलकर कुल्ला करने से दूर व ठीक होता है।
Nirgundi Precautions (सेवन से जुड़ी सावधानियाँ )
निर्गुण्डी के तेल व पत्तियों का लेप बनाकर आप लम्बे समय तक भी प्रयोग कर सकते हैं लेकिन यदि इसके काढ़े का सेवन आप कर रहे हैं , तो 1-2 महीने तक करना उचित रहेगा। फिर कुछ समय छोड़कर आप दुबारा भी इसका सेवन शुरू कर सकते हैं। निर्गुण्डी के काढ़े का अधिक मात्रा में प्रयोग नहीं करना चाहिए और पित्त प्रकृति के लोगों को इसका सेवन कम या नहीं करना चाहिए।
इसकी उचित मात्रा 10-20 ml या 3-5 gram, दिन में दो बार लेना ठीक रहता है। निर्गुण्डी के अत्यधिक सेवन से पेट में जलन व सिर दर्द की समस्या हो जाती है।
Conclusion (निष्कर्ष)
इस प्रकार निर्गुण्डी जोड़ों के लिए दर्द निवारक होने के साथ-साथ शरीर के लिए वरदान है बशर्ते इसकी सही मात्रा का ध्यान, उपयोग करते समय रखा जाए। इसके अलावा यह अन्य समस्याओं में भी लाभदायक है।
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