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Kainchi Dhaam – बाबा नीम करौली महाराज जी का चमत्कारिक धाम


Kainchi Dhaamबाबा नीम करौली का चमत्कारिक धाम है, जो उनके इष्ट भगवान हनुमान जी को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण बाबा जी ने सन 1964 में करवाया था। बाबा जी हनुमान जी के परम भक्त थे। उन्होंने तपस्या एवं साधना के द्वारा हनुमान जी की सिद्धियां प्राप्त कर रखी थीं। वह देखने में बहुत साधारण व्यक्तित्व के थे लेकिन उनके द्वारा किये गए चमत्कार असाधारण थे। उनके भक्त भारत में ही नहीं अपितु विदेशों में भी बहुत हैं। जिनमे साधारण आम आदमी से लेकर देश विदेश के प्रतिष्ठित व्यक्ति सभी बाबा की कृपा प्राप्त कर चुके हैं।

Kainchi Dham ( कैंची धाम)

Image credit : Google(soulitude.in)

कैंची धाम

Kainchi Dhaam /कैंची धाम कहाँ स्थित है ?

कैंची धाम उत्तराखंड राज्य में नैनीताल से लगभग 17 किमी दूर नैनीताल-अल्मोड़ा  मार्ग पर स्थित है। यहाँ का निकटतम रेलवे स्टेशन 37 किमी दूर काठगोदाम है। यदि निकटतम एयरपोर्ट की बात करें तो पंतनगर है, जो कि 71 किमी दूर है।   

 Kainchi Dhaam /कैंची धाम का प्राकृतिक सौंदर्य –

कैंची धाम का शांत वातावरण, हरे भरे पेड़ों से घिरा, ऊँचे पहाड़ और कलकल बहती शिप्रा नदी अपनी मनमोहक आवाज से इस वातावरण को और सुहावना बना देती है। इस धाम को कैंची इसलिए कहते हैं क्योंकि जहाँ यह धाम स्थित है वहां मार्ग पर दो तीव्र U टर्न हैं, जो देखने में कैंची के समान लगते हैं। इस स्थान पर आकर आपको एक अलौकिक शक्ति का अहसास होगा। सकारात्मक ऊर्जा से आपका मन मस्तिष्क भर जाएगा। आज भी भक्तों का मानना है कि इस धाम में हनुमान जी एवं बाबा नीम करौली महाराज जी की शक्ति का अहसास होता है।

बाबा नीम करौली कौन थे ? 

बाबा नीम करौली जी एक चमत्कारिक  सिद्ध संत थे। यह हनुमान जी के परम भक्त थे। इन्होनें तपस्या एवं साधना द्वारा अनेक सिद्धियां प्राप्त कर रखीं थी। बाबा के भक्तों की संख्या लाखों करोड़ों में होगी जिनमे भारत के ही नहीं विदेशों में रहने वाले भक्त भी हैं। बाबा आडम्बरों से दूर रहते थे और सबका भला करते थे। उनके चमत्कारों को देखकर सभी भक्त हैरान रह जाते थे।

Neem Karoli Baba Ji _ Kainchi Dhaam

नीम करोली महाराज जी

बाबा नीम करौली जी का जन्म एवं परिवार —

बाबा नीम करौली जी का जन्म उत्तर प्रदेश के फ़िरोज़ाबाद जिले के अकबरपुर गावं में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम दुर्गा प्रसाद शर्मा था। जबकि बाबा जी का वास्तविक नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा था। 

इनकी प्रारंभिक शिक्षा किरहीनं ग्राम में हुई थी। 11 वर्ष की आयु में बाबाजी का विवाह एक ब्राह्मण कन्या के साथ हो गया था। लेकिन विवाह के बाद उन्होंने गृहस्थ जीवन त्याग दिया।   

घर छोड़ने के बाद बाबा जी गुजरात चले गए। वहां वैष्णव मठ में दीक्षा ली। लगभग 9 वर्षों तक वह गुजरात में अलग-अलग स्थानों  पर रहें। और बवानिया मोरबी में उन्होंने तपस्या की। इस समय लोग बाबा जी को तलैया बाबा के नाम से भी जानते थे। इसके अलावा लोग उन्हें हांडी वाला बाबा और तिकोनिया वाला बाबा के नाम से पुकारते थे। नीम करौली बाबा जी को 17 वर्ष की आयु में ज्ञान प्राप्त हो गया था।

जब बाबाजी तपस्या करके लौटे तो किसी ने इस बात की खबर उनके पिता को दे दी। तब उनके पिता ने घर चलने एवं गृहस्थ जीवन जीने का आदेश दिया। पिता की आज्ञा मानकर वह चले गए। बाद में उनके दो पुत्र एवं एक पुत्री हुई। लेकिन गृहस्थ जीवन में रहकर भी वह सामाजिक कार्यों से जुड़े रहें।            

बाबा नीम करौली नाम कैसे पड़ा —

इससे सम्बंधित एक कथा है या यूँ कहिए कि बाबा के चमत्कारों में से एक है। एक बार बाबा जी ट्रेन में सफर कर रहे थे, लेकिन उन्होंने टिकट नहीं ख़रीदा था। जब टिकट चेकर ने  देखा कि बाबा जी बिना टिकट यात्रा कर रहे हैं, तो उन्होंने बाबाजी को ट्रेन से उतार दिया। जिस स्थान पर बाबा जी को उतारा था वह नीब करौरी गांव था। ट्रेन चलाने का आदेश दिया गया लेकिन ट्रेन टस से मस नहीं हुई।

जब बहुत प्रयास के बाद भी ट्रेन नहीं चली तब यात्री उतर कर आए। जिनमे एक मजिस्ट्रेट भी थे उन्होंने बाबाजी को पहचान लिया। उन्होंने टिकट चेकर को बाबाजी के विषय में बताया और कहा कि जब तक वह उन्हें ट्रेन में नहीं बैठाएंगे तब तक ट्रेन नहीं चलेगी। सभी यात्री भी शोर करने लगे तब टिकट चेकर ने बाबा जी मांफी मांगी और उन्हें ट्रेन में चलने के लिए आग्रह किया। बाबाजी मान गए और ट्रेन कुछ ही सेकंड में चल पड़ी। तब से बाबा जी को नीम करौरी या नीम करौली के नाम से लोग बुलाने लगे।

Kainchi Dhaam – बाबा नीम करौली से जुड़े चमत्कार :

भंडारे के प्रशाद में घी कम पड़ गया – 

एक बार की बात है बाबा जी के इसी आश्रम में भंडारे का आयोजन किया गया। भक्त बहुत बड़ी संख्या में पहुँच गए जितना अनुमान लगाया गया था उससे कहीं ज्यादा। प्रशाद कम पड़ गया तो भक्तों की संख्या देखते हुए और बनाया जाने लगा। तभी हलवाई बताते हैं कि घी ख़त्म हो गया। यह खबर कर्मचारियों द्वारा बाबा नीम करौली जी तक पहुंचाई गई।

बाबा जी ने आदेश दिया कि चिंता की कोई बात नहीं जाओ शिप्रा नदी से जल भर लाओ। कर्मचारी असमंजस में पड़ गए कि बाबा जी जल क्यों लाने के लिए बोल रहे हैं, जबकि घी ख़त्म हुआ है। बाबा जी की आज्ञा का पालन करते हुए वह शिप्रा नदी से कनस्तरों में जल भर लाए। जब वह आश्रम पहुंचे तो देखा जल से भरे कनस्तर घी में बदल गए। 

कुएं का खारा पानी बन गया मीठा –

एक बार की बात है जब बाबा जी फरुखाबाद में थे, तो वहाँ के एक निवासी ने बाबा जी को बताया कि यहाँ एक कुआं है। जिसका पानी पीने योग्य नहीं है बहुत खारा है। तब बाबाजी ने अपने शिष्य को कहा कि इस कुएं में एक बोरी भरकर चीनी डाल दो पानी मीठा हो जाएगा। शिष्य ने वैसा ही किया। सभी नीम करौली बाबा के चमत्कार से हैरान रह गए। कुऍं का पानी पीने लायक बन गया।

डॉक्टरों ने भी आशा छोड़ दी, तब बाबा नीम करौली जी ने बचाया – 

बाबाजी जी के भक्त मेहरोत्रा जी की पत्नी दिल की बीमारी एंजाइना पेक्टोरिस से पीड़ित थीं। डॉक्टरों ने भी सभी आशा खो दी थी। कोशिशों के बाद भी उनके ह्रदय में रक्त संचार कम होता जा रहा था। उस समय बाबा जी कानपुर थे। जब उन्हें पता चला वह लखनऊ पहुँच गए। उस वक़्त वह होश में नहीं थी। बाबा नीम करौली महाराज जी ने अपने पैर का अंगूठा उनके माथे पर रख दिया। कुछ समय बाद बाबा जी की कृपा से वह होश में आ गई। फिर महाराज जी ने उन्हें प्रशाद दिया जिसे खाकर वह धीरे-धीरे स्वस्थ्य होने लगीं।

बाबा नीम करौली जी के भक्त जब रास्ता भटक गए –

यह घटना बाबा जी के एक भक्त की है जो इलाहबाद में रहते हैं। एक बार उन्हें किसी गावं में जाना था। रात्रि का समय था वह रास्ता भटक गए। तब उन्होंने देखा कि एक गुफा दिखाई दे रही है, जिसमे रोशनी दिख रही थी। वह गुफा के अंदर गए तो वहां बाबा जी को देखा। बाबा जी ने  उन्हें भोजन कराया और कहा कि तुम्हारा मार्ग उस तरफ है। तुम रास्ता भटक गए हो। फिर वह भक्त बाबा जी के बताए रास्ते पर चल पड़ा तो उसी गावं का रास्ता मिल गया जहाँ जाना था। जब उसने पीछे मुड़कर देखा तो वहां कोई गुफा नहीं थी।   

बाबा नीम करौली जी के प्रताप से बारिश थम गई –    

बाबा जी के चमत्कार की श्रेणी में एक और किस्सा है। बात उस समय की है जब हनुमानगढ़ी मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा था। तेज़ बारिश होने लगी जो रुक नहीं रही थी। जिसकी वजह से मंदिर निर्माण के कार्य में अड़चन आ रही थी। तब बाबा जी बहार आए और जल से भरे काले बादलों को देखने लगे और जोर से बोले “पवन तनय बल पवन समाना”। बस फिर क्या था देखते ही देखते तेज़ हवा चली जो काले बादलों को उड़ा कर ले गई। 

बाबा जी के चमत्कारों की अनेक कथाएं हैं जो उनके भक्तों द्वारा बताई गईं हैं।

Kainchi Dhaam – बाबा नीम करौली के देश-विदेश में स्थित शिष्य : 

बाबा नीम करौली के शिष्य भारत देश में ही नहीं विदेशों में भी फैले हुए हैं। इन शिष्यों में आम आदमी से लेकर ख़ास आदमी तक सभी शामिल हैं। क्योंकि बाबा जी आडम्बरों से दूर, सरल स्वभाव एवं व्यक्तित्व तथा आमिर गरीब में कोई भेद नहीं करते थे। इसके साथ उनके चमत्कार विश्व विख्यात थे।

रिचर्ड अल्बर्ट –

बाबाजी जी के भक्तों में रिचर्ड अल्बर्ट का नाम भी आता हैं। यह हारवर्ड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थे। यह नशे के आदि हो गए थे। यह एलएसडी की कई गोलियां प्रतिदिन खाने लगे थे। एक बार यह अध्यात्म की खोज में भारत आए। यहाँ इनकी मुलाकात नीम करौली बाबा से हो गई।

उन्होंने बाबा जी के सामने एलएसडी की गोलियां खाई और इसके विषय में बाबा जी को बताया। बाबा जी ने कहा कि यह गोलियां उन पर कोई असर नहीं करेंगी। रिचर्ड माने नहीं उन्होंने बाबा जी को भी गोलियां खाने को दी। बाबा जी साडी गोलियां एक साथ खा गए लेकिन उन पर वह निष्क्रिय थी। बाबा जी आराम से वैसे ही बैठे रहे।

 

यह देखकर रिचर्ड अल्बर्ट बाबा जी को मान गए और उनके शिष्य रामदास बन गए। रिचर्ड अब समझ चुके थे कि अध्यात्म का जो अनुभव है वह सर्वोत्तम है। बाद में रामदास ने बाबा के चमत्कारों पर एक पुस्तक भी लिखी जिसका नाम मिरेकल ऑफ़ लव(Miracle of Love) था। उन्होंने कई संस्थाओं से जुड़कर भारत और विदेश में अध्यात्म और जनकल्याण के लिए कार्य किए।

स्टीव जॉब्स –

एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स भी बाबा जी के भक्तों में से एक थे। उन्होंने एक बार इंटरव्यू के दौरान बताया था कि एक बार वह भारत आए थे। उस समय उनकी कंपनी एप्पल काफी बुरे दौर से गुजर रही थी। हालाँकि कैंची धाम में उस समय बाबा नीम करौली शारीरिक रूप से नहीं मिले क्योंकि बाबा जी उस समय देह त्याग कर चुके थे। कैंची धाम में उनकी शक्ति आज भी मौजूद है जो भक्तों का कल्याण करते हैं। स्टीव जॉब्स वापस जब लौटे उसके बाद से ही परिस्थितियां बदली और एप्पल कंपनी ने ऊंचाइयों को छुआ।

मार्क जुकरबर्ग –

फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था। फेसबुक अपने शुरआती दौर में काफी परेशानियों से गुजर रही थी। मार्क जुकरबर्ग इस बात को लेकर बहुत चिंतित थे। उन्होंने इस बात का जिक्र अपने गुरु स्टीव जॉब्स से किया। तब स्टीव जॉब्स ने बताया कि तुम्हें एक बार भारत में स्थित कैंची धाम जाकर नीम करौली बाबा के दर्शन करने चाहिए। वहीँ तुम्हारी समस्या का समाधान जरूर निकलेगा।

फिर क्या था मार्क जुकरबर्ग बाबाजी के आश्रम पहुंचें। हालाँकि बाबाजी तो नहीं मिले लेकिन उन्होंने वहां शांति से एक दो दिन गुज़ारे। फिर वह लौट आये उन्होंने फिर फेसबुक को दुबारा जोश के साथ परेशानियों से निकालने का प्रयास भी किया जिसमे वह सफल भी

जूलिया रॉबर्ट्स –       

हॉलीवुड एक्ट्रेस जूलिया रॉबर्ट्स भी अध्यात्म से जुड़ना चाहती थी। जब वह भारत आईं तो बाबा नीम करौली के आश्रम कैंची धाम से जुडी। उनपर इतना प्रभाव पड़ा कि उन्होंने अध्यात्म को अपना लिया। वह भी बाबाजी की भक्त बन गई।

इसके अलावा बाबा नीम करौली के भक्तों में बड़े बड़े व्यापारी, उद्योगपति, नेता, अभिनेता और अनेक साधारण लोग भी शामिल हैं।

कैंची धाम – मेला :

कैंची धाम में हर वर्ष मेले का आयोजन किया जाता है। मेला प्रति वर्ष 15 जून को लगता है जिसमे देश विदेश से बाबा के अनेक भक्त शामिल होते हैं। इस मेले में बहुत बड़ी सख्या में लगभग एक लाख भक्तों के लिए भंडारे का प्रबंध किया जाता है।   

कैंची धाम – रुकने का स्थान :

कैंची धाम एक मंदिर ही नहीं अपितु आश्रम भी है, जहां आप रुक सकते हैं। यहाँ भक्तों के रुकने के लिए अनेक कमरे बने हुए हैं। यहाँ एक दो दिन आप रुक कर फुर्सत के कुछ क्षण बिताकर आत्मध्यान कर सकते हैं। यहाँ भक्त आकर सकारात्मक ऊर्जा से भर जाते हैं और जब वापस लौट कर जाते हैं, तो बाबा नीम करौली महाराज के आशीर्वाद से बहुत कुछ पाकर जाते हैं। इसके लिए भक्तों को पत्र या मेल द्वारा रेजिस्ट्रशन करना पड़ता है। वैसे आप नैनीताल या भोवाली में भी होटल में रुक सकते हैं।       

कैंची धाम के अलावा बाबा नीम करौली के आश्रम : 

बाबा नीम करौली जी ने अपने जीवन में अनेक मंदिर एवं आश्रम बनाए हैं। इसके अलावा बाबा जी के अनुयायियों ने भी उनके नाम से अनेक मंदिर एवं आश्रम बनाए। जो देश विदेश में फैले हुए हैं। आज भी बाबा जी के भक्त उनके आश्रम में जाकर अपनी मनोकामना पूरी करते हैं। 

वृन्दावन आश्रम में बाबा नीम करौली का निधन : 

Neem Karoli baba samadhi sthal vrindavan

नीम करोली बाबा का समाधि मंदिर वृन्दावन

बाबा नीम करौली महाराज जी ने अपने जीवन के अंतिम क्षण वृन्दावन आश्रम में बिताए। इसी आश्रम में उन्होंने 10 सितम्बर सन 1973 के दिन अपनी देह का परित्याग किया। यहाँ बाबाजी का समाधि स्थल बना हुआ है।

तो यह थी बाबा नीम करौली महाराज के चमत्कारिक धाम की जानकारी। आपको कैसी लगी कमेंट करके बताइए।       

 

 

 

 


Kavita Singh

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