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Jaisalmer Fort-इतिहास, वास्तुकला, रोचकतथ्य, मुख्यआकर्षण


Jaisalmer Fort को सोनार किला या स्वर्ण किला के नाम से भी जाना जाता है। यह किला राजस्थान के जैसलमेर शहर में स्थित है, जो अपने आप में ऐतिहासिक गौरव, विरासत, शाही भव्यता समेटे हुए है। यह विश्व के सबसे बड़े पूर्ण रूप से संरक्षित किलेबंद शहरों में गिना जाता है।    आज हम इस लेख में जैसलमेर फोर्ट- इतिहास, वास्तुकला, रोचक तथ्य, मुख्य आकर्षण और निकट पर्यटन स्थल के बारे में जानेंगे।

Jaisalmer Fort

जैसलमेर फोर्ट

जैसलमेर किला जीवित किला क्यों है ?

यह किला विशाल थार रेगिस्तान के बीच त्रिकुटा पहाड़ी पर स्थित है, इसी कारण इसे त्रिकुटगढ़ के नाम से भी पुकारा जाता है। भारत के अधिकतर किलों की तरह, जैसलमेर किला सिर्फ पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र नहीं है बल्कि यह विश्व के जीवित किलों में से एक है क्योंकि प्राचीन शहर की एक चौथाई आबादी अभी भी इस किले के अंदर रहती है। 

इस किले में संग्राहलय, होटल, दुकानें, रेस्त्रां, मंदिर, बाजार और प्राचीन हवेलियां आज भी हैं जहाँ कई लोग रहते हैं। जो आज भी इसको जीवित किए हुए हैं। सन 2013 में इस किले को विश्व धरोहर के रूप में घोषित कर दिया गया था। यही नहीं किले में उपस्थित कुओं से आज भी मीठा जल प्राप्त होता है। 

Jaisalmer Fort – इतिहास      

जैसलमेर का किला सन 1156 में भट्टी राजपूत शासक महाराजा रावल जैसल द्वारा बनवाया गया था। उन्होंने राजपूतों के प्रभुत्व, शक्ति और राजसत्ता को स्थापित करने के लिए थार रेगिस्तान के बीच स्थित त्रिकुटा पहाड़ियों को चुना जिस पर इस किले का निर्माण करवाया। इसका निर्माण एक गढ़ के रूप में इसलिए किया गया ताकि राज्य को दुश्मनों के आक्रमण से बचाया जा सके। 

यह किला खिलजी, राठौर, तुगलक और मुग़ल राजाओं के साथ कई युद्धों का गवाह रहा है। अलाउद्दीन खिलजी की सेना ने 8-9 वर्षों तक जैसलमेर के किले को घेरे रखा। वह हर बार असफल रहे इसे जीतने में, लेकिन सन 1294 में भट्टी शासकों को हराकर इस पर कब्ज़ा कर लिया। उस समय 25 हज़ार महिलाओं ने अपनी अखण्डता की रक्षा हेतु जौहर कर लिया। हालाँकि दो साल बाद भट्टी शासकों ने किले को जीत कर उसका गौरव पुनः स्थापित किया।   

एक बार पुनः जैसलमेर किले पर 14 वीं शताब्दी के अंत में फ़िरोज़ शाह तुग़लक़ ने आक्रमण किया और किले को जीत लिया। उस समय में भी महिलाओं ने जौहर किया था।

सन 1541 में मुग़ल सम्राट हुमायूँ ने इस किले पर हमला किया। बाद में सन 1570 में रावल राजा ने अपनी बेटी की शादी सम्राट अकबर से कर दी थी।

सन 1762 के बाद महाराज मूलराज ने इस किले पर पुनः कब्ज़ा कर लिया। उन्होंने बाद में ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ संधि की और जैसलमेर को रियासत का दर्ज़ा मिल गया।

Jaisalmer Fort _ Architecture

जैसलमेर किले की वास्तुकला

Jaisalmer Fort – वास्तुकला

जैसलमेर किले का निर्माण पीले बलुआ पत्थर से हुआ है। जिसके कारण सूरज की रोशनी पड़ने पर इसका रंग सुनहरा दिखता है। यही वजह है कि इसे सोनार किला या गोल्डन किला भी कहा जाता है। इस किले को देखने आने वाले पर्यटकों को यहाँ से सूर्यास्त का नज़ारा देखना भी बेहद पसंद आता है।

इस किले की वास्तुकला राजस्थानी है, जो कि इस्लामी और राजपूत शैली का मिश्रण रूप है। यह किला 250 फुट ऊँचा है तथा 30 फुट लम्बी दीवारों से पूर्णतः सुरक्षित है। इसमें 99 गढ़ हैं और चार मुख्य द्वार हैं – गणेश पोल, हवा पोल, अक्षय पोल व सूरज पोल। यह सभी द्वार किले के सबसे प्रसिद्ध सार्वजनिक चौराहे दशहरा चौक की ओर खुलते हैं। इन दरवाजों पर बनी नक्काशी और कलाकृतियां देखते ही बनती है।

किले के अंदर की वास्तुकला भी बेहद सुन्दर है। इसके अंदर दोहरे किले बंदी वाली दीवारें और गोलाकार बुर्ज हैं जो इस बात को दर्शाते हैं कि इसका निर्माण किले की सुरक्षा और युद्ध के समय इसको संरक्षित रखा जा सके यह दर्शाता है। इसके अलावा यह इसके सौंदर्य को भी बढ़ाते हैं।

यहाँ आपको संकरी गलियां मिलेंगी लेकिन किले के अंदर बेहतरीन नक्काशी, सुन्दर अलंकृत बालकनियां, मंदिर, हवेलियां, महल की वास्तुकला आपको अचंभित कर देगी।

किले के मुख्य आकर्षण –   

महल व हवेलियां :

राजमहल –

किले के अंदर बहुत से महल और मंदिर बने हुए हैं। जिनमे राजमहल जो कि शाही परिवार का निवास स्थान था सबसे भव्य बताया जाता है। इसकी भव्यता आपको यहाँ की गयी कलाकृतियों, यहाँ के खम्बे, बालकनियों में नज़र आएँगी। इसे महरवाल महल भी कहते हैं। इस महल की वास्तुकला देखते ही बनती है। जब आप महल में प्रवेश करेंगे तो आपको नारंगी – केसरिया रंग के हाथों के निशान मिलेंगे जो महल की स्त्रियों द्वारा जौहर करने से पहले बनाये गए थे।

राज महल कई मंजिला है। इसका अधिकाँश भाग अब एक संग्राहलय बना दिया गया है। इसमें शाही परिवार के आभूषण, पोशाकें, चित्र, शस्त्र और अन्य इतिहास से जुडी चीज़े भी रखी हुई हैं।   

रानी महल –     

यह थोड़ा छोटा महल है। यहाँ जैसलमेर की रानी अपनी दसियों के साथ रहती थी। यह बलुआ पत्थर से बना हुआ है । महल में सुन्दर नक्काशी झरोखे, बालकनियां बनी हुई हैं। यहाँ गौरी माता का मंदिर भी है जहाँ रानी अपने सेवकों के साथ गंगौर का उत्सव मनाती थीं।

अन्य महल –     

इसके अलावा मोती महल, गज महल, रंग महल, सर्वोत्तम विलास हैं। यह सभी सुन्दर और उत्कृष्ट वास्तुकला को दर्शाते हैं। इनमे मोती महल की वास्तुकला सबसे उत्तम व असाधारण है। 

हवेली –

महलों के अलावा जैसलमेर किला हवेलियों के लिए भी जाना जाता है। यहाँ बड़े व्यापारियों व धनी वर्ग के लोगों की उत्कृष्ट व उन्नत नक्काशी से युक्त हवेलियां हैं। इसके साथ दुकानें, बाजार, संकरी गलियां भी आपको देखने को मिल जाएँगी।

Patwo ki Haweli _ Jaisalmer Fort

पटवों की हवेली

पटवों की हवेली –

किले के भीतर स्थित, पटवों की हवेली पांच हवेलियों का एक समूह है और अपनी विस्तृत वास्तुकला के लिए जाना जाता है। यह राजस्थान की सबसे बड़ी हवेलियों में से एक है और एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण है।

सलीम सिंह की हवेली:

किले के भीतर एक और उल्लेखनीय हवेली सलीम सिंह की हवेली है, जो अपनी विशिष्ट मोर के आकार की वास्तुकला के लिए जानी जाती है। इसका निर्माण 19वीं शताब्दी में तत्कालीन प्रधान मंत्री सलीम सिंह ने करवाया था।

लेकिन पर्यटन के बढ़ने से अब इस किले को अपना अस्तित्व बनाये रखना एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है। क्योंकि यहाँ पर उपस्थित लोग गेस्ट हाउस, होटल्स, बाजार आदि के कारण यहाँ पानी के निकलने अर्थात निकासी में कठिनाई हो रही है।

यह स्थान शुष्क जलवायु को ध्यान में रखकर बनाया गया है लेकिन पानी की उचित निकासी न होने के कारण यह किले के नीचे की चिकनी मिटटी तक पहुंचने लगा है। जिसके फलस्वरूप यह दिन प्रतिदिन अस्थिर होता जा रहा है। इसके अलावा बदलते मौसम और पर्यावरण का खतरा भी इस किले पर असर डाल रहा है। जिसके कारण जैसलमेर के किले की काफी सरंचनाएं नष्ट हो गयीं हैं। 

Jain Temples _ Jaisalmer Fort

जैन मंदिर

जैन मंदिर – 

जैसलमेर किले में 7 जैन मंदिर बने हुए हैं। यह सभी वास्तुकला के उत्कृष्ट नमूनों को दर्शाते हैं। जैन तीर्थंकरों को समर्पित हैं यह मंदिर। यहाँ आकर आपको असीम शांति प्राप्त होगी। यह मान्यता है कि जैसलमेर किले और इन मंदिरों के बीच गुप्त मार्ग बना हुआ है।

लक्ष्मीनाथ मंदिर –      

इस मंदिर का निर्माण राव लूणकरण ने 19 वीं शताब्दी में करवाया था। यह मंदिर भगवान् विष्णु और देवी लक्ष्मी को समर्पित है। जैन मंदिर के पास होने के कारण आप यहाँ भी आसानी से जा सकते हैं।

जल संरक्षण:

किले में एक उन्नत वर्षा जल संचयन प्रणाली है, जो मध्यकाल में राजस्थान के शुष्क क्षेत्र में पानी की कमी के मुद्दों को संबोधित करने के लिए नियोजित एक सरल विधि थी।

फिल्म शूटिंग स्थान:

जैसलमेर किले ने कई भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय फिल्मों के लिए पृष्ठभूमि के रूप में काम किया है, जिसने इसके ऐतिहासिक महत्व से परे इसकी लोकप्रियता में योगदान दिया है।

इसके अलावा आप इस किले में स्थानीय बाजार से जहाँ कपड़े, लकड़ी से बने सामान, हैंड मेड पोशाकों का सामान, सजावट का सामान, हस्त शिल्प, आभूषण आदि  खरीद सकते हैं। विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक प्रदर्शन, लोकनृत्य एवं संगीत का आनंद ले सकते हैं। यही नहीं फरवरी के महीने में लगने वाले डेजर्ट फेस्टिवल का लुत्फ़ भी उठा सकते हैं।

इस किले के अंदर ही आपको रहने के लिए होम स्टे, गेस्ट हाउस और होटल्स मिल जाएंगे वो भी आपके बजट के अंदर। यहाँ आप रह भी सकते हैं और स्थानीय व्यंजनों व मिठाइयों का आनंद भी ले सकते हैं।     

Jaisalmer Fort – कैसे पहुँचे ?

सड़क मार्ग : 

जैसलमेर अधिकतर शहरों से भली भांति जुड़ा हुआ है। जिनमे अहमदाबाद, जयपुर, माउंट आबू, बीकानेर, जोधपुर, बाड़मेर आदि शहर आते हैं। राजस्थान की रोडवेज बसें व अन्य बसें लेकर आप जैसलमेर घूमने जा सकते हैं।

रेल मार्ग : 

जैसलमेर जाने के लिए आप दिल्ली, जोधपुर, जयपुर आदि अन्य शहरों से भी ट्रेन पकड़ सकते हैं। यहाँ ब्रॉड गेज व मीटर गेज दोनों प्रकार के रेल ट्रेक मौजूद हैं। इसके अलावा आप यदि इस यात्रा को ट्रेन द्वारा भी अविस्मरणीय बनाना चाहते हैं तो आप पैलेस ऑन व्हील्स ट्रेन द्वारा भी जा सकते हैं। इस ट्रेन का किराया तो ज्यादा है परन्तु आपको एक शाही यात्रा का अनुभव अवश्य होगा। जैसलमेर किला, रेलवे स्टेशन से मात्र 15-20 मिनट में ऑटो या टैक्सी द्वारा जा सकते हैं।

वायु मार्ग :   

आप जैसलमेर वायु मार्ग द्वारा भी जा सकते हैं। शहर से लगभग 13 किमी दूर दक्षिण-पूर्व में जैसलमेर हवाई अड्डा भी है। इसके अलावा आप जोधपुर हवाई अड्डे, जो कि जैसलमेर का निकटतम हवाई अड्डा है। इसकी दूरी लगभग 285 किमी है। यहाँ तक हवाई मार्ग द्वारा आ सकते हैं। इसके उपरांत टैक्सी या कैब द्वारा आप जा सकते हैं।     

Jaisalmer Fort – देखने का उचित समय 

जैसलमेर किला देखने के लिए सबसे उचित समय अक्टूबर से मार्च तक का है। क्योंकि इस समय तापमान 8-25 डिग्री सेल्सियस के बीच बना रहता है। जिससे आपको अधिक गर्मी का सामना नहीं करना पड़ेगा और सुहावने मौसम में आप जैसलमेर फोर्ट घूमने का आनंद ले सकेंगे। इस मौसम में आप यहाँ होने वाले विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम और डेजर्ट फेस्टिवल का भी आनंद ले सकेंगे। हालांकि सर्दियों के मौसम में यहाँ आपको पर्यटकों के अच्छी खासी भीड़ भी मिलेगी।

जैसलमेर किले देखने का समय –  प्रातः काल 9 बजे से सांय 6 बजे तक 

जैसलमेर किला राजस्थान के समृद्ध इतिहास और सांस्कृतिक विरासत का प्रमाण है। पर्यटक इसकी संकरी घुमावदार गलियों में, बाज़ारों व दुकानों से खरीदारी, सांस्कृतिक आयोजनों में भाग ले सकते हैं और इस रेगिस्तानी गढ़ के आकर्षण का अनुभव कर सकते हैं। भारत के  सांस्कृतिक विरासत में रुचि रखने वालों के लिए Jaisalmer Fort – इतिहास, वास्तुकला, रोचक तथ्य, मुख्य आकर्षण के विषय में जानना व घूमना निश्चितरूप से अविस्मरणीय रहेगा।  

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Kavita Singh

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