Gupt Navratri — माँ शक्ति की अराधना का पर्व
नवरात्रि त्योहार का हिन्दुओं के जीवन में अपना एक अलग महत्व है। यह शक्ति को मनाने, व्रत व पूजन का समय होता है। सम्पूर्ण वर्ष में नवरात्रि का त्योहार प्रमुख रूप से चार बार आता है। शारदीय नवरात्रि, चैत्र नवरात्रि तथा दो बार गुप्त नवरात्रि। प्रायः शारदीय नवरात्रि व चैत्र नवरात्रि का पर्व सभी मनाते हैं। इसके अलावा गुप्त नवरात्रि भी अपने आप में अत्यधिक महत्वपूर्ण है। प्रथम गुप्त नवरात्रि माघ माह के शुक्ल पक्ष में तथा द्वितीय गुप्त नवरात्रि आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होती है। Gupt Navratri – माँ शक्ति की अराधना का पर्व इस वर्ष 2024 में 10 फरवरी से प्रारम्भ होकर 18 फरवरी ( माघ) माह में मनाया जाएगा। जबकि दूसरा गुप्त नवरात्रि आषाढ़ माह में मनाया जाएगा । गुप्त नवरात्रि में माँ कालिके, माँ तारा देवी, माँ त्रिपुर सुंदरी, माँ भुवनेश्वरी, माँ चित्रमस्ता, माँ त्रिपुर भैरवी, माँ धूम्रवती,माँ बगलामुखी, माँ मातंगी और माँ कमला देवी की पूजा की जाती है। गुप्त नवरात्रि में इन दस महाविद्याओं की पूजा होती है। इन नौ दिनों में देवी की स्तुति मन्त्रों व दुर्गा सप्तशती के पाठ द्वारा विशेष रूप से सिद्धि प्राप्त करने के लिए की जाती है।
Gupt Navratri- घट स्थापना —

दुर्गा देवी
गुप्त नवरात्रि के लिए घट की स्थापना शुभ मुहूर्त देखकर ही करनी चाहिए। ऐसा करने से देवी प्रसन्न होती है और आपकी पूजा अर्चना सफल होती है।
दस महाविद्याओं की पूजा का महत्व —
गुप्त नवरात्रि में भी नौ माताओं की पूजा होती है। लेकिन कुछ लोग इस समय अघोर साधना के लिए इन दस महाविद्याओं में से किसी एक की साधना करते हैं। जो इन दिनों सफल हो जाती है। यह दिन विशेषकर शक्ति साधना व तांत्रिक क्रियाओं के लिए अधिक महत्व रखते हैं। साधक व्रत व लम्बी साधना कर दुर्लभ शक्तियों को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।
आषाढ़ मास से चतुर्मास भी प्रारम्भ हो जाता है। भगवान विष्णु शयनकाल में चले जाते हैं। जिसके फलस्वरूप देव शक्तियां कमज़ोर होने लगती हैं। इस समय पृथ्वी पर अनेक प्राकृतिक प्रकोप बढ़ने लगते हैं। इन विपत्तियों से बचने के लिए गुप्त नवरात्रि में माँ दुर्गा की पूजा की जाती है।
Gupt Navratri पूजा विधि व उपाय —
गुप्त नवरात्रि में भी हमें शुद्ध आचरण से पवित्रता का ध्यान रखते हुए माँ के सात्विक रूप की अर्चना करनी चाहिए। स्नान आदि नित्य क्रिया करने के बाद माँ की प्रतिमा व घट स्थापना, स्वच्छ लाल वस्त्र बिछाकर करें।अपने पूजा स्थल व घर को गंगा जल छिड़ककर शुद्ध करें।
पूजा का थाल, जिसमे माँ की लाल चुनरी, वस्त्र, 16 श्रृंगार का सामान, सिन्दूर, मेहँदी, सुपारी, लौंग, लाल पुष्प व फल श्रद्धा भाव से अर्पित करें। इसके बाद सरसों के तेल का दीपक जलाकर ॐ दुम दुर्गाय नमः का जाप करें ।
फिर माता को लौंग व बताशे का भोग लगाएं। हलवा व पंचमेवा का भी भोग लगाना सर्वोत्तम होता है।
प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। इसके अलावा दुर्गा चालीसा व दुर्गा जी के 108 नाम का भी पाठ करना उत्तम रहता है।
माता की आरती करें व सभी को प्रसाद दें। इस बात का विशेष ध्यान रखें , कि भोजन कि घर में भोजन सात्विक बनाएँ।
अष्टमी व नवमी के दिन कन्याओं का पूजन अवश्य करें ।
आखिरी दिन दुर्गा माँ की पूजा के उपरांत घट विसर्जन करें और प्रार्थना करें कि विश्व का कल्याण हो।

दुर्गा देवी
नवरात्रि के नौ दिनों में , नौ रंगों का महत्व —
पहला दिन
प्रथम नवरात्रि माँ शैलपुत्री को समर्पित है । इस दिन पीले वस्त्र पहनकर माँ की पूजा करनी चाहिए।
दूसरा दिन
दूसरा दिन माँ ब्रह्मचारिणी को पूजने का दिन है। इस दिन हरे रंग के वस्त्र पहनने चाहिए ।
तीसरा दिन
तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा होती है। इस दिन भूरे रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए।
चौथा दिन
चौथा दिन माँ कुष्मांडा का दिन है। माता को नारंगी रंग के वस्त्र पहनकर पूजना चाहिए।
पांचवा दिन
पांचवा दिन माँ स्कंदमाता को समर्पित है। इस दिन सफ़ेद रंग पहनना शुभ होता है।
छठा दिन
नवरात्रि के छठे दिन माँ कात्यायनी की पूजा की जाती है। इस दिन लाल रंग के वस्त्र पहनकर पूजा करनी चाहिए।
सातवां दिन
सप्तमी के दिन माँ कालरात्रि की पूजा की जाती है। इस दिन नीला रंग पहनना शुभ मानते हैं।
आठवां दिन
नवरात्रि के आठवें दिन महागौरी की पूजा होती है। इस दिन गुलाबी रंग के वस्त्र पहनकर पूजा करना शुभ होता है।
नौवां दिन
नवरात्रि के नौवें दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है । इस दिन बैंगनी रंग के कपड़े पहनने चाहिए।
Gupt Navratri में क्या सावधानियां रखें ?
- गुप्त नवरात्रि के दौरान पूर्ण रूप से सात्विक रहना चाहिए।
- इन नौ दिनों में मांसाहार, लहसुन, प्याज का सेवन नहीं करना चाहिए ।
- यही नहीं शराब और नशीले पदार्थो का सेवन नहीं करना चाहिए।
- माता की पूजा अर्चना, शांत मन और पूरी श्रद्धा से करनी चाहिए।
- दोपहर के समय सोना नहीं चाहिए अपितु माता के भजन, कीर्तन या स्वयं दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
- इस समय बच्चों का मुंडन भी नहीं कराना चाहिए ।
- नौ दिनों तक नाखून व बालों को नहीं कटवाना चाहिए। विशेषकर व्रत करने वालों को।
- इन दिनों में ऐसी मान्यता है कि नीबू नहीं काटना चाहिए क्योंकि तामसिक शक्तियां आप को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
निष्कर्ष —
माता के नवरात्रों का बहुत अधिक महत्व जीवन पर पड़ता है। हमें माता की अराधना पूरी श्रद्धा भाव से करनी चाहिए। विश्व कल्याण की भावना से की गयी स्तुति, देवी निश्चित रूप से सुनती हैं।
FAQ —
1. माता को नवरात्रि के दिनों में कौनसा फूल अर्पित करना चाहिए ?
A देवी माँ को लाल गुड़हल का फूल बहुत प्रिय होता है। इसके अलावा आप लाल गुलाब और कमल का फूल भी अर्पित कर सकते हैं।
2. देवी का प्रिय फल कौन सा है ?
A देवी माँ का प्रिय फल अनार है। उन्हें अनार का भोग अवश्य लगाना चाहिए।
3. नवरात्रि में देवी को श्रृंगार का सामान क्यों अर्पित किया जाता है ?
A देवी माँ को नवरात्रि में श्रृंगार का सामन चढाने से सौभग्य की प्राप्ति होती है।
4. घट स्थापन के समय कलश में क्या डालना चाहिए ?
A कलश में शुद्ध जल भरना चाहिए। फिर जल में 1 रूपये का सिक्का, सुपारी और चावल के दाने डाले जाते हैं। इस कलश को गेहूं के ढेर पर रखना चाहिए। कलश के ऊपर नारियल लाल चुनरी में लपेट कर, 5 आम के पत्ते चारों ओर लगाकर रखना चाहिए।
5. देवी के व्रत में क्या खा सकते हैं ?
A नवरात्रि के व्रत में अन्न, लहसुन, प्याज नहीं खाना चाहिए। इन दिनों में आप फल, सब्ज़ियां, टमाटर, आलू , साबूदाना, कुट्टू व सिंघाड़े का आटा, मूंगफली, दूध, दही मेवे, मखाने खा सकते हैं।
