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Forest Conservation | वनों का संरक्षण कर पृथ्वी को बचाए


वन हमारे पर्यावरण का एक अनमोल हिस्सा हैं। ये धरती की फेफड़ों की तरह काम करते हैं, हमें शुद्ध हवा, जल, औषधियां और अनगिनत अन्य संसाधन प्रदान करते हैं। लेकिन हाल के दशकों में मानव गतिविधियों के कारण जंगलों का विनाश तेजी से हो रहा है, जिससे पृथ्वी की स्थिरता पर गंभीर खतरा मंडराने लगा है। Forest Conservation (वनों का संरक्षण) अब हमारी प्राथमिकताओं में होना चाहिए, क्योंकि ये हमारी पृथ्वी को बचाने का एकमात्र उपाय हैं। इस लेख में हम वनों के महत्व, उनके सामने आने वाली चुनौतियों और उनके संरक्षण के उपायों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

Forest Conservation

 

वनों का महत्व (Importance of Forests)

वन न केवल पृथ्वी की हरियाली बढ़ाते हैं, बल्कि वे जीवन की महत्वपूर्ण धारा हैं। वनों का महत्व निम्नलिखित पहलुओं में देखा जा सकता है।

1. शुद्ध वायु का स्रोत (Source of Clean Air)

वन कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं और बदले में ऑक्सीजन का उत्पादन करते हैं। एक स्वस्थ वन क्षेत्र पर्यावरण में ऑक्सीजन की मात्रा को संतुलित रखता है। यह वायुमंडल से कार्बन को निकालकर ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में मदद करता है।

2. जल संसाधनों का संरक्षण (Conservation of Water Resources)

वन जल चक्र को नियंत्रित करते हैं। वे जलवायु को स्थिर रखते हैं, बारिश की मात्रा को प्रभावित करते हैं, और भूजल के पुनर्भरण में मदद करते हैं। वनों की जड़ें मृदा में पानी को रोके रखती हैं, जिससे बाढ़ और सूखे जैसी प्राकृतिक आपदाओं की संभावना कम हो जाती है।

Forest Conservation_ waterfall

3. जैव विविधता का संरक्षण (Conservation of Biodiversity)

वन असंख्य जीव-जंतुओं और पौधों का घर होते हैं। वे पृथ्वी की जैव विविधता का आधार हैं और लाखों प्रजातियों के आवास प्रदान करते हैं। वनों का विनाश न केवल पर्यावरणीय संतुलन को प्रभावित करता है, बल्कि कई जीवों के विलुप्त होने का कारण भी बनता है।

4. मानव जीवन के लिए आवश्यक संसाधन (Essential Resources for Human Life)

वन हमें लकड़ी, औषधियां, फल, और कई अन्य संसाधन प्रदान करते हैं। पारंपरिक औषधियों में उपयोग होने वाली कई जड़ी-बूटियां वनों से ही प्राप्त होती हैं।

5. जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने में भूमिका (Role in Controlling Climate Change)

वन कार्बन अवशोषण का प्रमुख स्रोत हैं। वे वातावरण से ग्रीनहाउस गैसों को अवशोषित करते हैं और धरती के तापमान को स्थिर रखने में मदद करते हैं। यदि वनों का विनाश जारी रहा, तो जलवायु परिवर्तन की गति और तेज हो सकती है, जिससे अप्रत्याशित आपदाएं उत्पन्न हो सकती हैं।

वनों के सामने चुनौतियाँ (Challenges Facing Forests)

हालांकि वनों का महत्व स्पष्ट है, फिर भी वे गंभीर खतरों का सामना कर रहे हैं। कुछ प्रमुख चुनौतियाँ निम्नलिखित हैं।

1. वनों की कटाई (Deforestation)

विकास, कृषि विस्तार, और शहरीकरण के कारण वन तेजी से नष्ट हो रहे हैं। प्रतिवर्ष लाखों हेक्टेयर वन भूमि को कृषि, उद्योग, और आवासीय निर्माण के लिए साफ किया जा रहा है। इससे वनों का क्षेत्रफल कम होता जा रहा है और प्राकृतिक संसाधनों की कमी हो रही है।

2. अवैध कटाई और वनोपज की चोरी (Illegal Logging and Resource Theft)

अवैध कटाई वनों के लिए एक बड़ी समस्या है। बिना किसी नियमों का पालन किए जंगलों से लकड़ी निकालना और वन्यजीवों का शिकार करना जंगलों को तेजी से नष्ट कर रहा है।

3. जलवायु परिवर्तन (Climate Change)

जलवायु परिवर्तन वनों पर भी असर डाल रहा है। अत्यधिक गर्मी, अनियमित बारिश और प्राकृतिक आपदाएं वनों की संरचना को प्रभावित कर रही हैं। कई पेड़-पौधे और जीव-जंतु इस बदलाव के अनुकूल नहीं हो पा रहे हैं।

Forest Conservation

4. मानव जनसंख्या का बढ़ता दबाव (Increasing Human Population Pressure)

जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ रही है, वनों पर दबाव भी बढ़ रहा है। कृषि भूमि की बढ़ती मांग, घरों की आवश्यकता, और उद्योगों के विस्तार के लिए वनों का कटान बढ़ रहा है। इससे वनों की प्राकृतिक संपदाओं का निरंतर ह्रास हो रहा है।

5. वन्यजीवों का शिकार और अवैध व्यापार (Wildlife Poaching and Illegal Trade)

अवैध शिकार और वन्यजीवों का व्यापार वनों के विनाश में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। कई दुर्लभ प्रजातियां शिकार और तस्करी का शिकार बन रही हैं, जिससे जैव विविधता को नुकसान हो रहा है।

वनों का संरक्षण क्यों आवश्यक है? (Why is Forest Conservation Necessary?)

वनों का संरक्षण हमारे अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है। ये हमारी जलवायु, जैव विविधता और खाद्य सुरक्षा के संरक्षक हैं। वनों का विनाश पृथ्वी की प्राकृतिक संरचना को गहरे स्तर पर प्रभावित कर सकता है।

1. पर्यावरणीय स्थिरता (Environmental Stability)

वन पर्यावरणीय स्थिरता के लिए अनिवार्य हैं। वे प्राकृतिक आपदाओं से बचाते हैं, जलवायु को स्थिर रखते हैं, और प्राकृतिक संतुलन बनाए रखते हैं।

2. जैव विविधता की सुरक्षा (Protection of Biodiversity)

वन जैव विविधता के लिए सुरक्षित स्थान हैं। उनके संरक्षण से हजारों प्रजातियों का अस्तित्व सुरक्षित रहता है।

3. स्वस्थ मानव जीवन (Healthy Human Life)

वनों के बिना मानव जीवन का स्वस्थ रहना संभव नहीं है। वनों से प्राप्त औषधियां और अन्य प्राकृतिक संसाधन हमें स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।

4. कार्बन अवशोषण और जलवायु नियंत्रण (Carbon Absorption and Climate Control)

वन कार्बन का सबसे बड़ा अवशोषक हैं। वे ग्रीनहाउस गैसों को कम करने में मदद करते हैं और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को नियंत्रित रखते हैं।

वनों के संरक्षण के उपाय (Measures for Forest Conservation)

वनों के संरक्षण के लिए कई प्रभावी उपाय किए जा सकते हैं। ये उपाय न केवल जंगलों की रक्षा करने में मदद करेंगे, बल्कि पृथ्वी के प्राकृतिक संतुलन को भी बनाए रखने में सहायक होंगे।

1. वनारोपण (Afforestation)

वनों का पुनर्वास और नई जगहों पर पेड़ लगाना वनों के संरक्षण का एक प्रमुख उपाय है। इसके लिए हमें बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अभियानों को बढ़ावा देना होगा।

2. वन प्रबंधन में सामुदायिक भागीदारी (Community Participation in Forest Management)

स्थानीय समुदायों को वनों के प्रबंधन में शामिल करना आवश्यक है। जब स्थानीय लोग वनों के संरक्षण की जिम्मेदारी लेंगे, तो वे इसे बेहतर तरीके से सुरक्षित रख पाएंगे।

3. अवैध कटाई पर कड़ी रोकथाम (Strict Prevention of Illegal Logging)

अवैध कटाई को रोकने के लिए कड़े नियम और कानूनों की आवश्यकता है। सरकार और समाज को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि वनों की अवैध कटाई न हो और वन संसाधनों का सतत उपयोग किया जाए।

Forest Conservation

4. पर्यावरण शिक्षा (Environmental Education)

पर्यावरण शिक्षा का प्रसार करके लोगों को वनों के महत्व के बारे में जागरूक करना जरूरी है। स्कूलों, कॉलेजों और समाज में पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाने से लोग वनों के संरक्षण के प्रति अधिक सजग होंगे।

5. वन्यजीव संरक्षण (Wildlife Conservation)

वन्यजीवों का संरक्षण भी वनों के संरक्षण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। वन्यजीवों के अवैध शिकार और व्यापार पर रोक लगाना जरूरी है, ताकि उनकी प्रजातियों का अस्तित्व सुरक्षित रहे।

6. सस्टेनेबल कृषि (Sustainable Agriculture)

कृषि विस्तार के लिए वनों की कटाई को रोकने के लिए सस्टेनेबल कृषि तकनीकों का उपयोग किया जाना चाहिए। इससे खेती के लिए अधिक जमीन की आवश्यकता नहीं होगी और वनों का विनाश कम होगा।

7. वनों की निगरानी और प्रौद्योगिकी का उपयोग (Forest Monitoring and Use of Technology)

टेक्नोलॉजी के जरिए वनों की निगरानी करना आज के समय में बहुत जरूरी हो गया है। सैटेलाइट्स और ड्रोन जैसे उपकरणों का उपयोग करके वनों की स्थिति पर नज़र रखी जा सकती है और अवैध कटाई पर तुरंत कार्रवाई की जा सकती है।

निष्कर्ष (Conclusion)

Forest Conservation (वनों का संरक्षण) पृथ्वी की स्थिरता के लिए अनिवार्य है। वे हमारी जलवायु, जैव विविधता, और जीवन की आधारभूत आवश्यकताओं का प्रमुख स्रोत हैं। वनों के बिना पृथ्वी पर जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। इसलिए, वनों का संरक्षण अब हमारी जिम्मेदारी है। यदि हम अपनी प्राकृतिक संपदाओं की रक्षा नहीं करेंगे, तो भविष्य में मानव जीवन के लिए गंभीर चुनौतियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।

आइए, हम सब मिलकर वनों के संरक्षण के लिए प्रयास करें और हमारी पृथ्वी को एक सुरक्षित और हरित स्थान बनाए रखें।

The Forest Conservation – Amendment Bill, 2023

वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2023 29 मार्च, 2023 को लोकसभा में पेश किया गया था। विधेयक वन संरक्षण अधिनियम, 1980 में संशोधन करता है जो वन भूमि के संरक्षण का प्रावधान करता है। विधेयक कुछ प्रकार की भूमि को अधिनियम के दायरे से जोड़ता है और छूट देता है। इसके अलावा, यह वन भूमि पर की जाने वाली अनुमत गतिविधियों की सूची का विस्तार करता है। विधेयक की मुख्य विशेषताएं हैं।

जंगल में गतिविधियों पर प्रतिबंध: अधिनियम जंगल के गैर-आरक्षण या गैर-वन उद्देश्यों के लिए वन भूमि के उपयोग को प्रतिबंधित करता है। ऐसे प्रतिबंध केंद्र सरकार की पूर्वानुमति से हटाए जा सकते हैं। गैर-वन उद्देश्यों में बागवानी फसलों की खेती के लिए या पुनर्वनीकरण के अलावा किसी अन्य उद्देश्य के लिए भूमि का उपयोग शामिल है। अधिनियम कुछ ऐसी गतिविधियों को निर्दिष्ट करता है जिन्हें गैर-वन उद्देश्यों से बाहर रखा जाएगा, यानी, वन के गैर-आरक्षण या गैर-वन उद्देश्यों के लिए वन भूमि के उपयोग पर प्रतिबंध लागू नहीं होगा।

इन गतिविधियों में वन और वन्यजीवों के संरक्षण, प्रबंधन और विकास से संबंधित कार्य शामिल हैं जैसे चेक पोस्ट, फायर लाइन, बाड़ लगाना और वायरलेस संचार स्थापित करना। विधेयक इस सूची में और गतिविधियाँ जोड़ता है जैसे: (i) वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत संरक्षित क्षेत्रों के अलावा अन्य वन क्षेत्रों में सरकार या किसी प्राधिकरण के स्वामित्व वाले चिड़ियाघर और सफारी, (ii) पर्यावरण-पर्यटन सुविधाएं , (iii) सिल्वीकल्चरल ऑपरेशन (वन विकास को बढ़ाना), और (iv) केंद्र सरकार द्वारा निर्दिष्ट कोई अन्य उद्देश्य। इसके अलावा, केंद्र सरकार किसी भी सर्वेक्षण (जैसे अन्वेषण गतिविधि, भूकंपीय सर्वेक्षण) को गैर-वन उद्देश्य के रूप में वर्गीकृत करने से बाहर करने के लिए नियम और शर्तें निर्दिष्ट कर सकती है।

अधिनियम के दायरे में भूमि: विधेयक में प्रावधान है कि दो प्रकार की भूमि अधिनियम के दायरे में होगी: (i) भारतीय वन अधिनियम, 1927 या किसी अन्य कानून के तहत वन के रूप में घोषित/अधिसूचित भूमि, या ( ii) वह भूमि जो पहली श्रेणी में शामिल नहीं है लेकिन सरकारी रिकॉर्ड में 25 अक्टूबर 1980 को या उसके बाद जंगल के रूप में अधिसूचित की गई है। इसके अलावा, यह अधिनियम किसी राज्य/केंद्रशासित प्रदेश द्वारा अधिकृत किसी प्राधिकारी द्वारा 12 दिसंबर 1996 को या उससे पहले वन उपयोग से गैर-वन उपयोग में बदली गई भूमि पर लागू नहीं होगा।

भूमि की छूट वाली श्रेणियां: विधेयक कुछ प्रकार की भूमि को भी अधिनियम के प्रावधानों से छूट देता है, जैसे रेल लाइन या सरकार द्वारा बनाए गए सार्वजनिक सड़क के किनारे वन भूमि, जो किसी बस्ती तक पहुंच प्रदान करती है, या रेल और सड़क के किनारे की सुविधा प्रदान करती है। अधिकतम आकार 0.10 हेक्टेयर तक। जिन वन भूमि को भी छूट दी जाएगी उनमें शामिल हैं:

(i) अंतरराष्ट्रीय सीमाओं, नियंत्रण रेखा या वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ 100 किमी के भीतर स्थित भूमि, जिसका उपयोग राष्ट्रीय महत्व या सुरक्षा के लिए रणनीतिक रैखिक परियोजना के निर्माण के लिए किया जाना प्रस्तावित है, (ii) ) 10 हेक्टेयर तक की भूमि, जिसका उपयोग सुरक्षा संबंधी बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए किया जाना प्रस्तावित है, या (iii) रक्षा संबंधी परियोजना, अर्धसैनिक बलों के लिए शिविर, या केंद्र सरकार द्वारा निर्दिष्ट सार्वजनिक उपयोगिता परियोजनाओं के निर्माण के लिए उपयोग की जाने वाली प्रस्तावित भूमि (पांच से अधिक नहीं) वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र में हेक्टेयर)। ये छूट केंद्र सरकार द्वारा दिशानिर्देशों द्वारा निर्दिष्ट नियमों और शर्तों के अधीन होंगी।

पट्टे के माध्यम से या अन्यथा भूमि आवंटित करना: अधिनियम के तहत, राज्य सरकार या किसी प्राधिकरण को वन भूमि को पट्टे के माध्यम से या अन्यथा किसी संगठन (जैसे निजी व्यक्ति, एजेंसी, प्राधिकरण) को आवंटित करने का निर्देश देने के लिए केंद्र सरकार की पूर्व मंजूरी की आवश्यकता होती है। निगम) सरकार के स्वामित्व में नहीं है। विधेयक में प्रावधान है कि ऐसा कार्यभार किसी भी संगठन (जैसे निजी व्यक्ति, एजेंसी, प्राधिकरण, निगम) को केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित नियमों और शर्तों के अधीन किया जा सकता है।

निर्देश जारी करने की शक्ति: विधेयक में कहा गया है कि केंद्र सरकार केंद्र, राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के तहत या मान्यता प्राप्त किसी अन्य प्राधिकरण/संगठन को अधिनियम के कार्यान्वयन के लिए निर्देश जारी कर सकती है।

भारत में कुछ वन जो संरक्षण में हैं

  1. Attappadi Reserve Forest : केरल में स्थित, यह भारत के प्रमुख आरक्षित वनों में से एक है।
  2. Palani Hills Forest Conservation Area : तमिलनाडु में स्थित, यह भारत के प्रमुख आरक्षित वनों में से एक है
  3. Western Ghats : यह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल अपने उष्णकटिबंधीय वर्षावनों के लिए जाना जाता है। यह महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल सहित कई राज्यों तक फैला हुआ है।
  4. Sundarbans National Park : पश्चिम बंगाल में स्थित यह भारत के सबसे बड़े जंगलों में से एक है।
  5. Namdapha National Park  : पश्चिम बंगाल में स्थित यह भारत के सबसे बड़े जंगलों में से एक है।
  6. Gir National Park : गुजरात में स्थित यह भी भारत के बड़े जंगलों में से एक है।
  7. Kanha National Park : मध्य प्रदेश में स्थित यह भी प्रमुख आरक्षित वनों में से एक है।

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Kavita Singh

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