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Diabetes Care / मधुमेह का इलाज़-आयुर्वेद, भोजन व जीवन शैली


आधुनिक समय में Diabetes का रोग निरंतर बढ़ता जा रहा है। पुराने समय में यह अमीरों का रोग कहलाता था, लेकिन आज मधुमेह (Diabetes) जनमानस के हर वर्ग में देखने को मिलता है। आधुनिक चिकित्सा प्रणाली में मधुमेह रोग पर नियंत्रण पाने के लिए अनेक प्रयास किए हैं। अनेक औषधियों का आविष्कार हुआ है। लेकिन इतने प्रयास के बावजूद भी मधुमेह रोग तेजी से फ़ैल रहा है। ऐसी स्थिति में हमारे देश की प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद, मधुमेह के नियंत्रण में लाभकारी सिद्ध हो सकती है। अतः यह कहना गलत नहीं होगा कि Diabetes Care  / मधुमेह का इलाज- आयुर्वेद, सही भोजन व जीवन शैली अपनाकर किया जा सकता है।

आयुर्वेद शास्त्र में मधुमेह के बारे में विस्तृत वर्णन मिलता है अर्थात यह कहा जा सकता है कि वैदिक काल से ही भारतियों को इस रोग का ज्ञान था।
 (Diabetes Test)
रक्त शर्करा जांच

आयुर्वेद के अनुसार Diabetes / मधुमेह क्या है ?

डायबिटीज मेलिटस (टाइप 2) को आयुर्वेद में मधुमेह के नाम से जाना जाता है। शरीर में उच्च रक्त शुगर के साथ कफ तत्व का बढ़ जाना मधुमेह का कारण बनता है। मधुमेह से पीड़ित व्यक्तियों के शरीर में शुगर की अधिकता दो कारणों से होती है —
  • अग्नाशय (PANCREAS) इन्सुलिन बनाना बंद कर दे या फिर अपर्याप्त मात्रा में इन्सुलिन बनाए।
  • चैनलों में रूकावट के कारण बनाई गई इन्सुलिन को कोशिकाएं न सोख पाएं।
परिणामस्वरूप, खून में ग्लूकोज़ खतरनाक स्तर तक बढ़ जाता है, जो आमतौर पर मधुमेह की स्तिथि पैदा करता है। आयुर्वेद मधुमेह को महारोग की श्रेणी में रखता है, क्योंकि इससे शरीर के अधिकांश अंगों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की सम्भावना होती है — जैसे गुर्दे( किडनी ) का काम करना बंद करना, तंत्रिका तंत्र को नुक्सान पहुंचना, नेत्रहीनता और लम्बे समय तक रहने पर ह्रदय रोग हो जाना।
Symptoms of diabetes

Diabetes के मुख्य लक्षण क्या है ?

  • इसके सामान्य लक्षणों में बार-बार प्यास लगना, ज्यादा भूख लगना और बार-बार पेशाब आना प्रमुख है।
  • अन्य लक्षणों में थकान, दृष्टि में बदलाव, घावों का देर से भरना और त्वचा में परिवर्तन भी प्रमुख है।

Diabetes के मुख्य कारण क्या हैं ?

मधुमेह जीवन शैली (LIFE STYLE ) के कारण पैदा होने वाला रोग है, जो आज के आधुनिक समय में नीचे दिए हुए कारणों से पैदा होता है :
  • अनुचित आहार
  • व्यायाम में कमी या न करना
  • अनुचित पाचन
  • ज्यादा बैठे रहकर काम करना
यह सब आगे चलकर शरीर में कफ बनाता है और यह रूकावट के साथ-साथ, शरीर में इन्सुलिन बनने में बाधा डालता है। अधिक मीठा, गरिष्ट, तला हुआ एवं कफ वर्धक भोजन, आराम देह जीवन शैली एवं मानसिक तनाव मधुमेह के मुख्य कारण हैं।
बीते हुए 2-3 दशकों में यदि गौर करें तो, हमारी जीवनशैली में बहुत अधिक बदलाव आया है। ज्यादातर लोग चाय के शौक़ीन होते है, वे लगभग दिन में 2-3 कप मीठी चाय पीते हैं। कुछ लोग तो इससे भी ज्यादा चाय पीते हैं। इसके अलावा तले हुए खाद्य पदार्थ, मिठाइयाँ एवं जंक फ़ूड खाने का चलन बढ़ गया है। यही नहीं कई सुविधाओं ने हमारे जीवन में प्रवेश कर लिया है जिसके चलते हुए, हम शारीरिक परिश्रम एवं व्यायाम को अपने जीवन में कम महत्व देने लग गए हैं।
छुट्टी वाले दिन या खाली समय में व्यायाम करने के बजाय, टीवी के सामने बैठकर चाय एवं गरिष्ठ भोजन करना ज्यादा पसंद करते हैं। इसके अतिरिक्त आर्थिक, पारिवारिक, व्यवसायिक  एवं सामाजिक कारणों से मानसिक तनाव का रहना भी जीवन का हिस्सा बन गया है। इन्ही कारणों से आज करीब हर वर्ग एवं आयु के व्यक्ति को मधुमेह रोग हो रहा है।

Diabetes रोग की गंभीरता किस प्रकार है ?

मधुमेह को महारोग भी कहा जाता है। क्योंकि यह पूरे शरीर को प्रभावित करता है। मधुमेह रोग में ओजस कम हो जाता है। ओजस सभी धातुओं का सार है तथा हमारी शारीरिक व मानसिक शक्ति को दर्शाता है। ओज के कम होने से रोग प्रतिरोधक शक्ति भी कम हो जाती है। यही कारण है कि मधुमेह रोगी का ह्रदय, किडनी, आँख व नर्वस सिस्टम कमजोर हो जाते हैं। मधुमेह रोगियों में अनेक प्रकार के रोग हो जाते हैं जैसे-अजीर्ण, कब्ज़ और चैनल्स भी ब्लॉक हो जाते हैं। अतः यह बीमारी अन्य अंगों पर भी असर डालती है।
ज्यादातर लोग जो मधुमेह से पीड़ित हैं, रक्त शर्करा की मात्रा को नियंत्रित रखने के लिए औषधि लेते हैं और उसे सामान्य रखने की कोशिश करते हैं, लेकिन इसके साथ-साथ उन्हें शरीर की धातु, ओजस, एवं विभिन्न अंगों की रक्षा के लिए आयुर्वेदिक औषधियों का सेवन करते रहना चहिए। इसके साथ अपने आहार और विहार का भी ध्यान रखना चाहिए।

मधुमेह रोग में आयुर्वेदिक दवा का क्या महत्व है ?

मधुमेह को नियंत्रित करने के लिए सबसे कारगर उपाय प्राय लोग इन्सुलिन के इंजेक्शन को लगाकर करते हैं। कुछ समय तक तो यह उपचार काफी लाभप्रद रहता है परन्तु यदि लम्बे समय तक किया जाए तो इसके विपरीत परिणाम भी हो सकते हैं। क्योंकि अग्नाशय को बाहर से इन्सुलिन लेने की आदत हो जाती है, जिससे ग्रंथि को यह लगने लगता है कि शरीर के लिए उचित मात्रा में इन्सुलिन उत्पादन की आवश्यकता नहीं है। ऐसी स्तिथि में अग्नाशय या पैंक्रियास से इन्सुलिन का उत्पादन धीमा पड़ जाता है। जिसकी वजह से रोगी कृत्रिम इन्सुलिन लेने पर ज्यादा से ज्यादा निर्भर होने लगता है।
मधुमेह में प्रयोग की जाने वाली आयुर्वेदिक औषधियाँ न केवल रक्त में शर्करा को सामान्य करती है,वे अग्नाशय को भी स्वस्थ रखती है। इसके अतिरिक्त आयुर्वेदिक औषधियाँ शरीर में धातुओं को भी संतुलित रखती हैं। इसके साथ पाचन में सुधार करती हैं। हमारी इम्युनिटी को बढ़ाने में मदद करती है व टॉक्सिन्स को बाहर निकालती है
मधुमेह के रोगियों को नियमित रुप से व्यायाम व योग करना बहुत आवश्यक है, इन रोगियों को अपने जीवन में सक्रिय व चुस्ती-फुर्ती वाला रहना चाहिए और इसके अलावा मानसिक स्तर पर भी प्रसन्न रहना चाहिए।

मधुमेह में उपयोगी जड़ी बूटियाँ —

आयुर्वेद में बहुत से शोध व अनुसंधान निरंतर हो रहे हैं। जिनसे सिद्ध होता है कि कुछ जड़ी बूटियाँ हैं, जिनका चमत्कारिक प्रभाव पड़ता है, मधुमेह के रोगियों पर जिनमे — गुड़मार, मेथी, करेला, जामुन की गुठली, विजयसार, घृतकुमारी, गिलोय, नीम व तुलसी प्रमुख हैं।
आयुर्वेदिक औषधियाँ रोग की जड़ पर काम करती हैं। इसके कोई साइड इफेक्ट्स नहीं होते हैं।
Salad for Diabetes
मधुमेह रोगी के लिए सलाद

Diabetes के उपचार में आहार का क्या योगदान है ?

मधुमेह को ठीक रखने के लिए यह जरूरी है, कि हम अपने आहार पर नियंत्रण रखें। शरीर के अंदर जमा विषाक्त पदार्थों को, जो कि बहुत वर्षों से असंतुलित भोजन लेने के कारण जमा हो गए हैं उन्हें शरीर से बाहर निकालने व नियंत्रित करने की आवश्यकता है। इसे दो प्रकार से नियंत्रित किया जा सकता है।
  • शरीर की अनैच्छिक भोजन की आपूर्ति को कम करके, विषाक्त पदार्थों के बनने में कमी लाकर।
  • पौष्टिक भोजन, सब्ज़ियाँ और फलों के द्वारा मौजूदा विषाक्त पदार्थों को शरीर से बाहर निकालना।
यदि मधुमेह के रोगी अपनी खुराक नियंत्रित नहीं करते, तो ऐसी दशा में दवा व इन्सुलिन के इंजेक्शन भी कुछ अधिक लाभ नहीं कर पाएंगे। अतः इस बात पर ध्यान देना अति आवश्यक है, कि आप क्या खाते हैं, इसे कैसे बनाया गया है, आप कितना खाते हैं और किस समय भोजन करते हैं। अतः दवाओं के साथ साथ डाइट चार्ट को भी अपनाना चाहिए।
fruits _ Diabetes
फल

मधुमेह के रोगियों के लिए कौन सा भोजन सही है ?

मधुमेह वाले लोगों को अपने भोजन में निम्नलिखित चीज़ें शामिल करनी चाहिए —
  • मक्का, बाजरा, ज्वार, चने व सोयाबीन के आटे से बनी रोटियों का सेवन करना चाहिए।
  • सब्जियों में लौकी, तोरई, परवल, कच्चा केला व करेला खाना लाभकारी रहता है। इसके अलावा फाइबर युक्त फल और सब्ज़ियाँ भी सम्मलित करें जैसे पालक, मेथी, चौलाई, राई और चना आदि।
  • अरहर दाल, मूंग दाल , अंकुरित चने, अंकुरित मूंग दाल तथा सलाद में खीरा, ककड़ी, टमाटर व ब्रॉकली आदि का सेवन भी लाभकारी रहता है।
  • फलों मैं संतरा, जामुन, अमरुद, पपीता, सेब आदि का सेवन करना चाहिए।
  • इसके अलावा पनीर, बिना क्रीम का दूध, छाछ व भीगे हुए बादाम का सेवन करना लाभप्रद रहता है।
  • सब्ज़ी बनाते समय कम तेल का इस्तेमाल करना चाहिए। सरसों का तेल, ऑलिव ऑयल व गाय का देसी घी का प्रयोग कर सकते हैं।
  • इसके अलावा जड़ी बूटियां जैसे सर्पगंधा, अश्वगंधा, काली मिर्च, बेल, तुलसी, नीम, हल्दी प्याज़ और लहसुन आदि।

Diabetes से बचने के लिए आहार में क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए ?

प्रभावी रूप से मधुमेह के रोग से बचने के लिए हमें अपने आहार में निम्नलिखित सावधानियाँ रखनी  चाहिए —
  • फास्ट फ़ूड खाना बंद कर देना चाहिए।
  • देसी घी और ऑलिव ऑयल का इस्तेमाल भोजन बनाने में कर सकते हैं, लेकिन बहुत कम मात्रा में भोजन में यह इस्तेमाल होना चाहिए।
  • आहार में शर्करा व कार्बोहाइड्रेट्स का इस्तेमाल कम करना चाहिए।
  • ताज़ी हरी सब्ज़ियां व फलों का सेवन करना चाहिए।
  • कोशिश करें कि अपने आहार में ऊपर बताई गयी जड़ी-बूटियाँ , मसाले शामिल करने चाहिए।
  • ज्यादा तला भुना भोजन नहीं बनाना चाहिए। कोशिश करें की बेक्ड, ग्रिल्ड या कम तेल डालकर पकाए।
  • हो सके तो डाइट चार्ट अपनाए।

Diabetes के रोगियों के लिए कौन से योगासन उपयोगी हैं ?

morning walk _ Diabetes
प्रातः सैर

 

मधुमेह के रोगियों को प्रतिदिन व्यायाम करना व सक्रिय रहना नितांत आवश्यक है। मधुमेह के रोगियों को रोज़ाना 2-3 किमी की सैर अवश्य करनी चाहिए। इसके साथ कुछ योगासन भी हैं जिन्हे करके वह स्वस्थ्य रह सकते हैं।

 

Yoga_ Diabetes
योगासन

 

  • अर्धमत्स्येन्द्र आस
  • मंडूकासन
  • पश्चिमोत्तानासन
  • हलासन
  • धनुरासन
  • भुजंगासन
  • पवनमुक्तासन
  • शलभासन
  • सूर्य नमस्कार
 इन आसनों को अपनी दिनचर्या में अपनाकर मधुमेह टाइप 2 को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।

निष्कर्ष :

इस प्रकार मधुमेह को हम आयुर्वेद को अपनाकर तथा  नियम, संयम, खान-पान व जीवनशैली को नियंत्रित करके सही कर सकते हैं।

 

 
 

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