Ankol – आयुर्वेद की दृष्टि में चिकित्सात्मक पौधे के फायदे
प्रकृति में अनेक प्रकार के पौधे हैं जिनकी हमें पूर्ण जानकारी भी नहीं है। यह प्रकृति द्वारा उपहार स्वरुप पौधे हमारा पोषण ही नहीं अपितु हमारी चिकित्सा करने में भी लाभकारी हैं। उनमे से एक अद्वितीय पौधा है अंकोल जिसे उसके अद्भुत चिकत्सात्मक गुणों के कारण जाना जाता है। इसके सभी भाग जड़, तना, पत्तियां, फल, बीज सभी लाभदायक हैं। लेकिन छाल एवं इसके तेल का प्रयोग प्रमुख रूप से होता है। आइए जानते हैं इस लेख में Ankol – आयुर्वेद की दृष्टि में चिकित्सात्मक पौधे के फायदे के बारे में।

अंकोल (Alangium Salvifolium)
Ankol – कहाँ पाया जाता है ?
अंकोल मुख्य रूप से भारत, श्रीलंका और म्यांमार जैसे एशियाई उपमहाद्वीप के उष्णकटिबंधीय और उपोष्ण प्रदेशों में पाया जाता है। भारत में यह वृक्ष उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल, हिमालय पर्वत के तराई क्षेत्रों, राजस्थान में पाया जाता है।
अंकोल का पेड़ कैसा होता है ?
अंकोल का पेड़ 20-25 मीटर की ऊंचाई तक बढ़ता है। इसकी पत्तियां 3-6 इंच लम्बी तथा घनी हरे रंग की दिखती हैं। जब इस पेड़ की पत्तियां झड़ जाती हैं, तब सफ़ेद रंग के सुगन्धित फूल गुच्छे में लगे होते हैं। इसकी छाल कच्ची और धूसरी-भूरी होती है, जो गहरी मिटटी की सुगंध को छोड़ती है। फल गोल व हरा होता है जो पकने पर बैजनी रंग दिखने लगता है। इन फलों के बीजों में से ही अंकोल का तेल निकलता है।

अंकोल फल
Ankol – विभिन्न भाषाओँ में क्या बोलते हैं ?
वैज्ञानिक नाम – Alangium Salvifolium
अंग्रेजी नाम – Tlebid Alu Retis
हिंदी नाम – अंकोल, ढेरा
संस्कृत नाम – अंकोल, अंकोट, दीर्घकील
मराठी – अंकोल
तेलगु – अंकोलमु

अंकोल का फूल
Ankol – कौन से गुणों के कारण अंकोल फायदेमंद है ?
अंकोल में बहुत से ऐसे गुण पाए जाते हैं जिनके कारण यह चिकित्सीय रूप से अत्यंत लाभकारी है। आइए जानते हैं वो कौन से गुण हैं —
दर्द निवारक गुण – Analgesic
सूजन कम करने का गुण – Anti Inflammatory
बुखार कम करने का गुण – Antipyretic
किटाणु नाशक – Anti Microbial
जहर नाशक – Anti Venom
मूत्रवर्धक – Diuretic
कफ दूर करने वाला – Expectorant
मलत्यागकारी गुण – Laxative
वातनाशक व अग्निवर्धक – Carminative
एंटीऑक्सीडेंट – Antioxidant
पाचन एन्ज़ाइम्स – Digestive Enzymes

अंकोल का पौधा
Ankol – खाने के क्या फायदे हैं ?
अंकोल के अनेक फायदे हैं। यह अकेला पौधा कई बिमारियों और स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियों को दूर करने की सामर्थ्य रखता है। आइए जानते हैं कि अंकोल को अपने जीवन में शामिल करके कैसे स्वस्थ रह सकते हैं। अंकोल तीनों दोषों – वात, पित्त, कफ को हरता है।
गठिया रोग के लिए (Arthritis)
अंकोल में प्राकृतिक दर्दनाशक गुण हैं। इस पौधे में पाए जाने वाले बायोएक्टिव संयोजक जैसे – flavonoids , alkaloids , Tenins गठिया रोग के कारण सूजन और दर्द को दूर करने में सहायक होते हैं। जिसके कारण चलने फिरने में गति मिलती है, जिसके फलस्वरूप रोगी की जीवनशैली में सुधार आ जाता है। इसके लिए अंकोल की जड़ व छाल उपयोगी रहती है।
दमा रोग के लिए (Asthma)
दमा के रोगियों के लिए भी अंकोल की पत्तियां बहुत लाभकारी होती हैं। इसकी पत्तियों में Alkaloids, फ्लवोनोइड्स, Deoxytubulosive जैसे यौगिक पाए जाते हैं। अतः अस्थमा का रोगी यदि इसकी पत्तियों का जूस या काढ़ा बनाकर पीता है तो निश्चित रूप से रोग के लक्ष्णों में आराम मिलता है।
पाचन के लिए (Digestion)
आयुर्वेद के अनुसार अंकोल पाचन क्रिया में भी सहायक होता है। यह Digestive Enzymes के निर्माण की प्रक्रिया को तेज़ करता है, अच्छे पोषण को बढ़ावा देता है और भोजन के पाचन में सहायता करता है। इसके अलावा, यह हल्की मलत्यागकारी गुणांक अपच को कम करने और बायोल मूवमेंट को संचालित करने में सहायक होता है। पाचन के कार्यों को सुधारकर, अंकोला पाचक तंत्र की सहायता करता है।
सांप के डंक के लिए ( Snake and Scorpion Sting )
सांप के डांक मारने पर यदि तुरंत इलाज़ न मिले तो व्यक्ति को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते हैं जैसे – मांस पेशियों को हानि पहुंचना, किडनी ख़राब होना, लकवा (Paralysis), ह्रदय विषाक्त होना, खून जमना, दिमाग को क्षति पहुंचना, नकसीर छूटना और यहाँ तक की मृत्यु भी हो जाती है। ऐसे में जरूरी है कि प्राथमिक उपचार तुरंत मिले। अंकोल इस स्थिति में बेहद लाभदायक होता है। इसकी जड़ व छाल का काढ़ा पीना लाभदायक होता है। इसके अलावा यदि 15 ग्राम अंकोल की जड़ में लगभग 10 दाने काली मिर्च के पीसकर, 50 ग्राम शुद्ध देसी घी के साथ देने पर भी सांप के जहर से बचाव करता है। यह नुस्खा हर तीन घंटे में देना चाहिए।
कीटाणु व जीवाणुओं का नाश्क ( Antimicrobial )
अंकोल में एंटीमाइक्रोबियल गुण भी पाए जाते हैं। अध्ययनों से पता चला है कि यह कीटाणुओं, फंगस और वायरसों जैसे विभिन्न पैथोजनों के खिलाफ प्रभावी होता है। अंकोल के एंटी माइक्रोबियल गुण के द्वारा, यह जीवाणुओं की वृद्धि और उनके अनुगमन को रोकने में सक्षम होता है। जिसके फलस्वरूप अंकोल का उपयोग त्वचा संक्रमण, मूत्रमार्ग संक्रमण और श्वसन रोगों के लिए प्राकृतिक रूप से किया जाता है।
एंटी ऑक्सीडेंट गुण (Antioxidant)
अंकोल में एंटीऑक्सिडेंट गुणों की भी विशेषता होती है, जो हमारे स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में एक मूल्यवान साधन है। हानिकारक रेडिकल्स हमारे शरीर में metabolism व अन्य क्रियाओं के दौरान बनते रहते हैं, जो शरीर के लिए हानिकारक होते हैं।अंकोल में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट तत्व इन हानिकारक रेडिकल्स को व इनके नकारात्मक प्रभावों को समाप्त करते हैं और हृदयरोग और कुछ कैंसरों जैसे ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस से जुड़े रोगों के खतरे को कम करने में मदद करते हैं। अंकोला के प्रतिदिन के सेवन से शरीर में एक स्वस्थ ऑक्सिडेटिव संतुलन को बनाए रखने में मदद मिल सकती है।
मिर्गी के दौरे के लिए (Epilepsy)
मिर्गी के दौरे का सम्बन्ध मस्तिष्क से होता है। हालाँकि मिर्गी के दौरों के लिए डॉक्टर अंग्रेजी दवाइयों के माध्यम से, मैडिटेशन व सर्जरी के द्वारा ठीक करने की सलाह देते हैं। लेकिन इस बीमारी में अंकोल बहुत फायदेमंद है। अंकोल के पत्तों के जूस में अल्कलॉइड, टेनिन,स्टेरॉयड ट्राईटरपीन पाए जाते हैं जो कि मिर्गी के रोगी के लिए काफी असरदार होते हैं।
घाव भरने के लिए (For Wounds)
अंकोल की पत्तियों को पीसकर यदि इसका लेप घाव पर लगाया जाता है तो घाव जल्दी ठीक हो जाता है।
डेंगू के मरीजों के लिए (For Dengue)
डेंगू बीमारी में भी अंकोल बहुत फायदेमंद होता है। इसकी पत्तियों का जूस और जड़ को यदि डेंगू से ग्रसित मरीज़ लेता है तो उसका स्वास्थ्य जल्दी ठीक होने लगता है। अंकोल का फल भी खाना इस रोग में फायदेमंद रहता है। इसके फल में प्रचुरमात्रा में विटामिन C पाया जाता है।
सिर दर्द के लिए ( For Headache)
जिन लोगों के सिर में अकसर दर्द रहता है उन्हें अंकोल के तेल से अपने सिर की मालिश नियमित करनी चाहिए। यह दर्द निवारक होने के साथ बालों की ग्रोथ के लिए भी अच्छा होता है।
ह्रदय के लिए (For Heart)
अंकोल ह्रदय के लिए भी बहुत स्वास्थ्यवर्धक है। इसका एंटीऑक्सीडेंट गुण, glycocides , alkanoids ब्लड प्रेशर ( रक्त चाप ) नियंत्रित करने में मदद करते हैं। इसकी जड़ का चूर्ण बनाकर या फिर जड़ को पानी में उबालकर काढ़े के रूप में लेना चाहिए। अंकोल का फल खाना भी फायदेमंद रहता है इसमें विटामिन C प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जो कि ह्रदय के लिए लाभदायक है।
लिवर के लिए (For Liver)
अंकोल में एंटी इंफ्लेमेटरी व एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। यह लिवर के लिए भी बहुत लाभदायक है। लिवर से जुड़े सभी रोग चाहे पीलिया (Jaundice), सूजन या अन्य सभी रोगों पर अंकोल की जड़ व छाल के चूर्ण या काढ़े का उपयोग काफी प्रभावकारी माना गया है। Billirubin एक पीले रंग का पदार्थ होता है जो कि RBCs के विघटन के समय बनता रहता है। हालाँकि ये लिवर में पहुँच कर हमारे शरीर से फिर बहार निकल जाता है। लेकिन जब इसकी लिवर में ज्यादा हो जाती है उस स्थिति में लिवर में परेशानी होने लगती है। अंकोल का सेवन बिलीरुबिन के स्तर को कम करने में प्राकृतिक रूप से सक्ष्म है।
कोढ़ के लिए ( For Leprosy)
अंकोल कोढ़ बीमारी के लिए आशार्यजनक रूप से लाभ पहुंचाता है। अंकोल के जड़ व छाल के चूर्ण को जावित्री, जायफल के साथ बराबर मात्रा में मिलाकर सुबह शाम आधी चम्मच लेने से कोढ़ ठीक होने लगता है।
इसके अलावा भी अंकोल बवासीर, फ्लू , मधुमेह, बुखार, शीघ्रपतन, अतिसार, चर्म रोग व पेट के कीड़ों को मारने में सक्ष्म है।
Benefits Of Ankol Oil – अंकोल तेल के फायदे
- अंकोल का तेल दर्दनिवारक और सूजन को ख़त्म करता है जिसकी वजह से यह जोड़ों के दर्द , गठिया सम्बंधित लक्ष्णों पर अति लाभ दायक होता है।
- जो लोग सफ़ेद दाग और कुष्ठ रोग से प्रभावित होते हैं उन्हें अंकोल का तेल लगाना चाहिए। यही नहीं आप इस तेल को चर्म रोग पर भी लगा सकते हैं। यह बहुत प्रभावकारी सिद्ध होता है।
- चोट या घाव पर अंकोल का तेल लगाने से यह जल्दी ठीक हो जाता है।
- सिर दर्द की समस्या में अंकोल का तेल दर्दनिवारक होने के कारण आराम पहुंचाता है। इसके अलावा यह बालों की अनेक समस्याओं के लिए भी फायदेमंद रहता है।
- यदि आपका धारदार चीज़ जैसे-चाकू आदि से हाथ कट जाता है, तो इस स्थिति में यदि अंकोल का तेल लगाया जाए तो खून बहना बंद हो जाता है।
अंकोल का तेल आपको आसानी से Amazon पर मिल जाएगा।
- CHACHAN Ankol Oil 100 ml. Check Price
- CHACHAN Ankol Oil 500 ml Check Price
- Pmw Ankol Seed Oil 100 ml Check Price
Ankol – नुकसान ( Side Effects)
अंकोल का अधिक मात्रा में सेवन नहीं करना चाहिए। वैसे भी हर चीज़ के फायदे व नुकसान दोनों होते हैं। यदि हम सही और निश्चित मात्रा में अंकोल का सेवन करते है तो इसका पूर्ण लाभ उठा सकते हैं। इसकी जड़ व छाल का सेवन 100-2000 mg तक, पत्तियों, फल व बीज को 2 gm से ज्यादा नहीं लेना चाहिए। अंकोल के तेल की बात करें तो 15 बूंदों तक इस्तेमाल किया जा सकता है। वैसे हर बीमारी में कितना लिया जाए इसका परामर्श वैद्य द्वारा लेंगे तो उत्तम रहेगा। यदि आप अधिक मात्रा में लेंगे तो निम्न साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं —
- उल्टी
- दस्त
- सिर दर्द व चक्कर आना
- पेट व सीने में जलन
- अनिद्रा
निष्कर्ष – ( Conclusion)
इस प्रकार हम यह कह सकते हैं कि अंकोल आयुर्वेदिक दृष्टि में चिकत्सात्मक पौधा है जिसके अनेक फायदे हैं। प्रकृति के चमत्कारों की दृष्टि से एक साक्षात्कार है। इसके प्राकृतिक दर्दनाशक, एंटीमाइक्रोबियल, एंटीऑक्सिडेंट और पाचन सहायक गुण इसे एक बहुमुखी और मूल्यवान औषधीय पौधा बनाते हैं। हालांकि, इसे अपनी स्वास्थ्य देखभाल नीति में शामिल करने से पहले सतर्क रहना और वैद्यकीय सलाह लेना महत्वपूर्ण है। हमें प्रकृति के इस मूल्यवान उपहार का संरक्षण करना चाहिए, जिससे आने वाली पीढियां भी इसका लाभ उठा सकें।
Read More :
- Poppy Seeds | खसखस- बेजोड़ हर्ब के औषधीय गुण एवं फायदे
- Fenugreek | मेथी – डायबिटीज में लाभकारी, फायदे व उपयोग
- 14 Benefits Of Lemon Grass | लेमन ग्रास के फायदे In Hindi
