Yogasana / योगासन, द्वारा ह्रदय रोग व अन्य रोग नियंत्रण
Benefits Of Yogasana – योगासन से लाभ—
- योगासन के अंतर्गत शरीर की कुछ निश्चित स्तिथियाँ बनानी होती हैं, जिससे शरीर के विभिन्न अंग शक्तिशाली और स्वस्थ बनते हैं।
- हमारे शरीर के अंदर ह्रदय, फेफड़े, पाचन संस्थान, गुर्दे, मस्तिष्क, ग्रंथियाँ, रक्त वाहिनियां और तंत्रिकाएं हैं। आसनो द्वारा इन सबको विकार रहित और स्वस्थ रखा जा सकता है।
- आसनों से शरीर रोग मुक्त रहता है तथा रक्त वाहिनियां साफ़ होती रहती हैं जिससे शरीर में रक्त संचार ठीक रहता है।
- योगासनों से मांस पेशियाँ लचीली रहती हैं, कोलेस्ट्रॉल कम बनता है, रक्तचाप सामान्य रहता है, ह्रदय सशक्त बनता है तथा शरीर हल्का रहता है।
- योगासन करने के लिए अधिक शारीरिक शक्ति की आवश्यकता नहीं पड़ती, इसलिए इनके करने में थकन लगभग नहीं होती है। योगासन, प्राणायाम और मैडिटेशन से शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।
Yogasana Lotus Pose – पदमासन :
जमीन पर बैठकर सबसे पहले बाएं पैर को मोड़कर एड़ी को जंघा रखकर नाभि के पास लाइए और फिर दाएं पैर को इसी प्रकार नाभि के पास लाइए। ऐसा करने से नाभि दोनों एड़ियों के बीच आ जाती है। फिर दोनों हाथों की हथेलियों को ऊपर करके घुटनों पर रखिए। रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए सामने देखिए। मन में ईश्वर का ध्यान कीजिए। यह आसन शुरू में 1 मिनट कीजिए और बढ़ाते बढ़ाते 5 मिनट तक ले आइए। इस आसन से रीढ़ की हड्डी मजबूत व स्वस्थ रहती है, पाचन शक्ति बढ़ती है तथा मन शांत व एकाग्र रहता है।
पद्मासन
Yogasana Diamond Pose – वज्रासन
इस आसन में घुटनों के बल जमीन पर बैठकर दोनों पैरों के पंजों को उलटकर मोड़ लें। इसके बाद दोनों पैरों के पंजो पर नितम्बों के बल बैठ जाएं। पैरों के पंजों से घुटनों तक का हिस्सा ज़मीन को छूना चाहिए। फिर दोनों हाथों को घुटनों पर रखकर रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए सामने देखिए। यह आसन 2 मिनट से आरम्भ करके 10 मिनट तक लगाएं। इस आसन से पाचन शक्ति बढ़ती है। गैस तथा अम्ल की शिकायत कम होती है। जोड़ो का दर्द नहीं होता। इस आसन को भोजन करने के बाद भी किया जा सकता है।
वज्रासन
Yogasana Fish Pose – मत्स्यासन :
यह आसन कई प्रकार से लगाया सकता है। साधारण रूप से इस आसन लिए ज़मीन पर चित लेटिए। इसके बाद दाहिना पैर बाईं जंघा पर और बायां पैर दाहिनी जंघा पर रखकर पदमासन मुद्रा में आ जाइए। आसन को 2 मिनट से शुरू करके 5 मिनट तक लगाएं। इस आसन से शरीर सशक्त होता है, रक्त संचार बढ़ता है तथा पाचन शक्ति ठीक रहती है।
Yogasana Peacock Pose – मयूरासन :
इस आसन को लगाने से शरीर का आकार मोर जैसा बनाना होता है। इसे करने के लिए दोनों एड़ियों को मिलाकर,हाथों को घुटनों के बीच से निकालकर भूमि पर टिकाकर बैठ जाते हैं। दोनों कोहनियों को नाभि केंद्र में लगाकर उन पर सम्पूर्ण भार डालते हुए पैरों को भूमि से उठाकर पीछे की ओर ले जाते हैं। अब धीरे धीरे पैरों को मोर के पंखों की भांति ज़मीन से ऊपर उठा लेते हैं जिससे सारे शरीर का भार कोहनियों पर आ जाता है। इस आसन के करने से कब्ज़, बदहज़मी,गैस आदि कम होते है व पाचन शक्ति बढ़ती है। भुजाएं और कलाइयाँ मज़बूत होती हैं।
मयूरासन
Yogasana Eagle Pose – गरुणासन :
इस आसन को करते समय शरीर की आकृति गरुण जैसी बन जाती है। इसे करने के लिए भूमि पर सीधे खड़े होकर बाएं पैर को दाएं पैर पर लपेटकर तथा दोनों हाथों को लपेटकर गरुण की चोंच की भांति बना लेते हैं तथा बैठने की कोशिश करते हैं। इस आसन को पुनः दाएं पैर को बाएं पैर से लपेटकर करना चाहिए। इस आसन से पैर की पिंडलियाँ,घुटने तथा जंघाएँ मजबूत होती हैं। भुजाएँ भी मजबूत होती हैं। शरीर हल्का फुल्का हो जाता है।
गरुणासन
Yogasana Cobra Pose- भुजंगासन
इस आसन को सर्पासन और सर्पमुद्रा के नाम से भी जाना जाता है। इस आसन को करने के लिए पेट के बल ज़मीन पर लेट जाएँ। अब दोनों हथेलियों को धरती पर इस प्रकार जमाएं कि वह कन्धों के किनारे ठीक नीचे रहें तथा दोनों हाथों की उँगलियाँ परस्पर सटी रहें। .दोनों कोहनियाँ मुड़ी हुई तथा शरीर के मध्य भाग को स्पर्श करती रहनी चाहिए।फिर शरीर की नाभि से ऊपरी हिस्से को हाथों के बल ऊपर उठाकर यथा शक्ति रोकें। इस आसन के करने से रीढ़ की हड्डी लचीली और मजबूत होती है। पेट का मोटापा कम होता है। रक्त संचार की गति तथा चेहरे की कांति बढ़ती है।
भुजंगासन
Yogasana Frog Pose – मंडूकासन :
इस आसन में शरीर को मेढ़क की तरह बनाना होता है। दोनों घुटनों को मोड़कर एड़ियों को नितम्बों के पास रखते हुए वज्रासन की तरह भूमि पर बैठ जाइए। अब दोनों हाथों की मुट्ठियां बाँध कर पेट पर नाभि के पास लाइए। शरीर को आगे झुकाकर, गर्दन को उठाकर सामने की ओर देखिए। इस आसान को प्रतिदिन लगभग 1 मिनट तक करने से मोटापा कम होता है। इससे गैस और कब्ज़ के विकार दूर होते हैं।
Yogasana Gracious Pose – भद्रासन
दोनों पैरों के पंजों को उलटकर घुटनों के बल बैठ जाइए। अब नितम्बों को पंजों पर रखकर दाएं हाथ से बाएं पैर का अंगूठा तथा बाएं हाथ से दाएं पैर का अंगूठा पकड़िए। रीढ़ की हड्डी को सीधा रखकर सामने देखिए। इस आसन से घुटने और पिंडली मजबूत हो जाते हैं।
Mountain Pose- ताड़ासन —
ऊपर की तरफ मुंह करके ज़मीन पर सीधे लेट जाएं। लेटे लेटे लम्बाई में दोनों हाथ सिर के ऊपर ले जाएं। दोनों पावों को मिलाकर बाहर की ओर खींचें। साँस अंदर की ओर खींचकर पैरों को नीचे की ओर और हाथों को ऊपर की ओर पूरी ताकत से खींचें। कुछ पल तक साँस रोककर इसी मुद्रा में रहें। साँस को धीरे धीरे निकालते हुए शरीर को ढीला छोड़ दें। ऐसा दो तीन बार करें। इस आसन से शरीर में चुस्ती आती है तथा रक्त संचार बढ़ता है और रक्त वाहिनियों में कोलेस्ट्रोल का जमाव कम होता है।
Camel Pose- उष्ट्रासन —
घुटनों के बल खड़े होकर, दोनों हाथों को कमर के निचले हिस्से पर टांगों के जोड़ के पास रखें। अब गर्दन और कमर को पीछे की ओर धीरे धीरे मोड़े। साँस बहार निकालते हुए आगे की ओर आएं। इस क्रिया को तीन चार बार करें। इस आसन से रीढ़ की हड्डी मज़बूत होती है, नाड़ी संस्थान खुलता है, स्पोंडलाइटिस नहीं होता है तथा कमर दर्द समाप्त हो जाता है।
उष्ट्रासन
Chair Pose – उत्कटासन —
ऊपर की तरफ मुंह करके ज़मीन पर लेट जाएँ। दोनों पैरों को मिलाकर, हाथों को जांघों पर रखें। अब साँस अंदर खींचते हुए गर्दन और कन्धों को ऊपर उठाकर पैरों की ओर झुकाव करें।पैरों को तानें रखें और धीरे धीरे साँस छोड़ते हुए वापस लेट जाएं। ऐसा तीन चार बार करें। इस आसन से ह्रदय को रक्त पहुंचाने वाली धमनियाँ खुलती हैं और ह्रदय शक्तिशाली बनता है।
Lion Pose – सिंहासन —
घुटने मोड़ कर एड़ियों पर बैठ जाएं। दोनों हाथ घुटनों पर रखें। जीभ को बाहर निकालकर साँस अंदर की ओर लें। अब जीभ को बहार की ओर खींचते हुए गले के अंदर से शेर की भांति तीन चार बार दहाड़ें। इससे गले की ग्रंथियां और फेफड़े साफ़ होते हैं। श्वास तथा भोजन नलिका में जमा बलगम साफ़ होता है। ह्रदय शक्तिशाली बनता है।
Bow Pose – धनुरासन —
पेट के बल लेट जाएं। टांगे मोड़कर टखनों को हाथों से पकड़े। साँस अंदर लेते हुए हाथों को ऊपर उठाएं। पूरी तरह धनुष की आकृति बनाने का प्रयास करें। फिर धीरे धीरे सामान्य स्थिति में आएं। इस क्रिया को तीन चार बार दोहराएं। इससे रीढ़ की हड्डी मज़बूत होती है, गुर्दे शक्तिशाली बनते हैं तथा पाचन शक्ति बढ़ती है। रक्त नलिकाएं साफ होती हैं जिससे ह्रदय शक्तिशाली बनता है।
धनुरासन
Corpse Pose – शवासन —
यह आसन सब आसनों के बाद में करना चाहिए। इससे शरीर को आराम मिलता है। इसे मृतासन भी कहते है। इस आसन को करने के लिए ज़मीन पर पीठ के बल लेटकर दोनों हाथों व पावों को फैलाकर हाथों की हथेलियों को आकाश की ओर रखते हैं। शरीर को स्थिर और ढीला छोड़ देते हैं। शरीर के प्रत्येक अंग को शिथिल करते हैं। थोड़ी ही देर में निद्रावस्था आने लगती है।
यह आसन दायीं और बायीं करवट से भी किया जा सकता है। ह्रदय रोगियों को और स्वस्थ व्यक्तियों को शवासन अवश्य करना चाहिए। इसकी अवधि पांच मिनट से आधे घंटे की हो सकती है। इससे शारीरिक और मानसिक तनाव समाप्त हो जाते हैं और शरीर तरोंताजा हो जाता है। शवासन उच्च रक्तचाप के रोगियों के लिए सबसे अधिक लाभदायक है।
Cycle Exercise – साइकिल चलाना —
इन आसनों के अतिरिक्त एक और आसन है, लेट कर साइकिल चलाना। लेट कर साइकिल चलाने के लिए आप पीठ के बल लेट जाएं। दोनों पैरों को मिलाकर, हाथों को शरीर के साथ सटाते हुए, हथेलियों को ज़मीन पर रखें। अब लेटे लेटे टांगों को साइकिल की तरह चलाएं। यह क्रिया 5 से 7 बार करें। इससे गुर्दों का व्यायाम हो जाता है।
I’m gone to tell my little brother, that he should
also go to see this webpage on regular basis to
take updated from most recent news.
Thanks for comment.