Vitamin D क्यों जरूरी है बढ़ती उम्र में, क्या खाएं, फायदे
हमारे शरीर को स्वस्थ बनाये रखने के लिए पोषक तत्वों का बहुत महत्त्व हैं और इसके लिए हम संतुलित भोजन (Balanced Diet) लेते हैं। जिसमे प्रोटीन्स, कार्बोहाइड्रेट्स, फैट्स, विटामिन्स, मिनरल्स, फाइबर सभी का उचित मात्रा में शामिल होना बहुत जरूरी है। लेकिन एक ऐसा विटामिन भी है जिसको आप सूरज की रोशनी द्वारा अपने शरीर में निर्माण कर सकते हैं। जी हाँ हम बात कर रहे हैं Vitamin D की। आज हम इस लेख के माध्यम से Vitamin D क्यों जरूरी है बढ़ती उम्र में, क्या खाएं व फायदों के बारे में बात करेंगे।
विटामिन डी
Vitamin D क्या है ?
विटामिन डी सूरज की रोशनी से हमारे शरीर में बनने वाला एक मात्र विटामिन है। जो Fat Soluble विटामिन की श्रेणी, Sect Steroid का एक समूह है। यह मुख्य रूप से कैल्शियम के अवशोषण में सहायक होता है जिसकी वजह से हड्डियां मजबूत बनती हैं। विटामिन डी कई प्रकार के होते हैं जिनमे D2 और D3 प्रमुख हैं। यह दोनों रूप अपने स्रोतों और शरीर में इनके संसाधित (processed) होने के तरीकों में भिन्न हैं।
Vitamin D2 (Ergocalciferol):
स्रोत( Sources) – पौधे-आधारित स्रोतों से प्राप्त होता है, जैसे कि कुछ प्रकार के कवक(fungi) और मशरूम, और आमतौर पर आहार के माध्यम से प्राप्त किया जाता है।
उत्पादन( Production) – यह पराबैंगनी प्रकाश के साथ खमीर(yeast) या कवक(fungi) के विकिरण द्वारा निर्मित होता है।
पूरक( Supplements) – अक्सर गरिष्ठ खाद्य पदार्थों(fortified foods) और कुछ पूरकों(supplements) में पाया जाता है।
चिकित्सीय उपयोग( Medical Uses) – यह विटामिन कुछ ऐसे व्यक्तियों को दिया जाता है, जिन्हें प्राकृतिक स्रोतों से विटामिन डी को अवशोषित करने में कठिनाई होती है।
Vitamin D3 (Cholecalciferol):
स्रोत( Sources) – सूर्य के प्रकाश से पराबैंगनी बी (UVB) विकिरण के संपर्क में आने पर त्वचा में संश्लेषित होता है। इसे पशु-आधारित खाद्य स्रोतों से भी प्राप्त किया जा सकता है।
उत्पादन(Production) – विटामिन डी3 का अग्रदूत(precursor) त्वचा में मौजूद होता है, और जब यूवीबी प्रकाश के संपर्क में आता है, तो यह विटामिन डी3 बनने के लिए रूपांतरण प्रक्रिया से गुजरता है।
खाद्य स्रोत(Food Sources) – वसायुक्त मछली (जैसे सैल्मन, मैकेरल और टूना), मछली के जिगर के तेल, अंडे की जर्दी और फोर्टिफाइड डेयरी उत्पादों में पाया जाता है।
पूरक( Supplements) विटामिन डी के रक्त स्तर को बढ़ाने में इसकी प्रभावशीलता के कारण अक्सर पूरक(supplement) के रूप में इसे प्राथमिकता दी जाती है।
चिकित्सीय उपयोग( Medicinal Uses) – आमतौर पर विटामिन डी की कमी वाले व्यक्तियों और विभिन्न स्वास्थ्य सम्बंधित परेशानियों के लिए दिया जाता है।
विटामिन D2 और D3 दोनों ही लीवर और किडनी में अपने सक्रिय रूपों में परिवर्तित हो जाते हैं, जो कैल्शियम और फास्फोरस चयापचय (metabolism), हड्डियों के स्वास्थ्य और प्रतिरक्षा कार्य(immune function) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
जबकि विटामिन D2 कुछ हद तक प्रभावी है, विटामिन D3 को आम तौर पर अधिक शक्तिशाली माना जाता है और यह त्वचा में प्राकृतिक रूप से उत्पादित होता है। पूरकता के लिए D2 और D3 के बीच का चुनाव आहार संबंधी प्राथमिकताओं, चिकित्सीय स्थितियों और व्यक्तिगत आवश्यकताओं पर निर्भर करता है।
Vitamin D का महत्त्व और कार्य –
1. हड्डियों के लिए महत्वपूर्ण:
विटामिन डी हड्डियों के लिए बहुत जरूरी है। यह कैल्शियम को शरीर में अच्छे से अवशोषित करने में सहायक होता है, जिससे हड्डियों की मजबूती बनी रहती है। बढ़ती उम्र में, जब हड्डियों की कमजोरी का खतरा बढ़ता है, विटामिन D इस खतरे को कम करने में मदद करता है।
2. मांसपेशियों के विकास में सहायक:
यह मांसपेशियों के सही विकास और क्रियाशीलता में मदद करता है, जिससे शारीरिक शक्ति में सुधार होता है। विटामिन D की कमी से मांसपेशियों की कमजोरी और दर्द होता है, जो बढ़ती उम्र में आम समस्या हो सकती है।
3. इम्यून सिस्टम को मजबूती प्रदान करना:
विटामिन D इम्यून सिस्टम को मजबूती प्रदान करने में मदद करता है और रोगों से लड़ने की क्षमता में सुधार करता है। बढ़ती उम्र में, जब इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है, विटामिन D का यह कार्य और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।
4. मानसिक स्वास्थ्य को सुधारना:
विटामिन D की कमी से मानसिक स्वास्थ्य पर असर हो सकता है, और इसे नियमित रूप से लेने से डिप्रेशन और अवसाद को कम किया जा सकता है।
5. ह्रदय में सुधार:
यह हृदय को स्वस्थ्य बनाए रखने में सहायक होता है यह धमनियों को लचकदार बनाता है जिससे उच्च रक्तचाप नियंत्रित रहता है। इस प्रकार हृदय रोगों की संभावना को कम करता है।
6. वजन घटाने में सहायक :
विटामिन डी की शरीर में संतुलित मात्रा से वजन को कम किया जा सकता है। जबकि इसकी कमी से मोटापा नियंत्रण में मुश्किलें आती हैं। इस प्रकार यह कहा जा सकता हैं कि यदि आप वजन कम करना चाहते हैं तो विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा लेना अनिवार्य हैं।
7. डायबिटीज का संरक्षण:
विटामिन D की उचित मात्रा शरीर में बनाए रखने से डायबिटीज की संभावना भी कम हो जाती है। क्योंकि यह इन्सुलिन एवं रक्त शर्करा का संतुलन बनाए रखता है।
8. कैंसर की रोकथाम:
जैसा कि यह हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है जिससे बाहरी बीमारियां आसानी से प्रवेश नहीं करती हैं। इसके साथ विटामिन D की सही मात्रा से एपोपटोसिस (कैंसर को शरीर द्वारा मृत्यु)को बढ़ावा मिल सकता है जिससे अनैतिक शरीर को बाधित करने की क्षमता मिलती है।
विटामिन D से कुछ एंटी-कैंसर जीन की शक्ति में वृद्धि हो सकती है, जिससे शरीर को कैंसर की बनावट से लड़ने के लिए साहस मिलता है।
9. फ्लू (इंफ्ल्यूएंजा) के खतरे को कम करना:
विटामिन D इम्यून सिस्टम को मजबूत करके वायरसों और इंफेक्शन से लड़ने की क्षमता को बढ़ाता है, जिससे फ्लू जैसी बीमारियों का सामना करना आसान होता है।
विटामिन D की गुणकारी गुणस्तरें इंफ्लेमेशन को कम करने में मदद करती हैं।
इसका सही स्तर स्वस्थ मुक्तकाय स्थिति को बनाए रखने में मदद करता है, जिससे फ्लू के कारकों का सामना करना आसान होता है।
10. स्वस्थ गर्भावस्था:
शरीर में विटामिन डी की उचित मात्रा स्वस्थ्य गर्भावस्था के लिए भी जरूरी है।
Vitamin D क्यों जरूरी है बढ़ती उम्र में –
हड्डियों की मजबूती:
बढ़ती उम्र में, हड्डियों की कमजोरी का खतरा बढ़ता है, जिससे घातक चोटों का खतरा बढ़ता है। विटामिन D की सही मात्रा से हड्डियों को मजबूती मिलती है और यह चोटों की संभावना को कम कर सकता है।
मांसपेशियों की रखरखाव:
बूढ़े होने पर मांसपेशियों के सही रखरखाव से उनकी सुरक्षा होती है और यह दर्द और असहजता को कम कर सकता है। विटामिन D की कमी से मांसपेशियों की कमजोरी और दर्द हो सकता है, जो बूढ़े व्यक्तियों के लिए सामान्य समस्या है।
इम्यून सिस्टम को सहारा:
बूढ़ी औरतों का इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है, जिससे वायरस और इंफेक्शन का खतरा बढ़ता है। विटामिन D इम्यून सिस्टम को मजबूती प्रदान करके सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है।
डिप्रेशन और मानसिक स्वास्थ्य:
बूढ़े होने पर डिप्रेशन और अवसाद का खतरा बढ़ सकता है। विटामिन D की कमी से इन समस्याओं का सामान्यता से अधिक खतरा हो सकता है।
इसलिए, बूढ़े औरतों के लिए विटामिन D का सही स्तर बनाए रखना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। सुनिश्चित करें कि विटामिन D की सही मात्रा के साथ संतुलित आहार, सूरज की किरणों का सम्मिलन और योग्य चिकित्सक से सलाह लेकर आप अपने स्वास्थ्य को बनाए रख सकती हैं।
विटामिन डी की कमी
Vitamin D की कमी के कारण –
सूरज की कमी:
सबसे मुख्य कारण है सूरज की कमी के कारण, क्योंकि विटामिन D सूरज की किरणों से मिलता है। अगर व्यक्ति सूरज से पर्याप्त समय तक बाहर नहीं जाता है, तो उसे विटामिन D की कमी हो सकती है।
आहार की कमी:
विटामिन D का पूर्ण रूप से आहार से मिलना मुश्किल है। कुछ आहार में विटामिन D होता है, लेकिन इसकी मात्रा सामान्यत: कम होती है।
डेरी उत्पादों जैसे दूध, दही का सेवन कम करना या बिलकुल नहीं करना भी विटामिन डी की कमी का एक कारण है।
आहार से पूर्ण रूप से किसी न किसी कारण से विटामिन डी अवशोषित नहीं कर पाना भी एक कारण हो सकता है।
बौद्धिक श्रम और कम दिन की रोशनी:
बौद्धिक श्रम(Mental Work) ज्यादा करना और शारीरिक श्रम कम करना, दिन की रोशनी में काम नहीं करना और बुरी दिनचर्या के कारण भी विटामिन D की कमी हो सकती है।
विटामिन D की अवसादप्रद प्रभावितता:
कुछ रोग, जैसे कि किडनी समस्याएं, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रोग, या बौद्धिक स्वास्थ्य समस्याएं, विटामिन D को पूरी तरह से अवशोषण और परिवर्तित करने में बाधा डालती है।
Vitamin D की कमी के लक्षण –
हड्डियों और मांसपेशियों में दर्द:
विटामिन D की कमी से हड्डियों और मांसपेशियों में दर्द होता है, जिसे विटामिन D की कमी से होने वाले रिकेट्स (Rickets) और ओस्टीमालेशिया (Osteomalacia) जैसी स्थितियों के लिए जाना जाता है।
सामान्य थकान:
विटामिन D की कमी से व्यक्ति में सामान्य थकान और कमजोरी की अनुभूति होती है।
कमजोर पक्षाघात:
विटामिन D की कमी के कारण व्यक्ति को कमजोर पक्षाघात (Paralysis) का सामना करना पड़ सकता है।
इम्यून सिस्टम की कमजोरी:
विटामिन D की कमी से इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है, जिससे व्यक्ति को आम इंफेक्शन और बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है।
वजन में कमी:
विटामिन D की कमी के कारण व्यक्ति का वजन में कमी हो सकती है, क्योंकि यह विटामिन और कैल्शियम के सही अवशोषण में मदद करता है।
व्यक्तिगत और मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं:
विटामिन D की कमी से व्यक्ति में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं, जैसे कि डिप्रेशन और अवसाद, बढ़ सकती हैं।
बाल झड़ना:
यदि आपको अधिक तनाव रहता है और शरीर में विटामिन डी की भी कमी है तो बाल झड़ने की भी समस्या देखी गयी है।
घाव का देर से भरना:
यदि आपके शरीर में विटामिन डी की कमी है तो किसी दुर्घटना के कारण या फिर किसी चोट के कारण होने वाले घावों को देर से भरते देखा गया है।
Vitamin D के लिए क्या खाएं –
विटामिन डी का सबसे प्राकृतिक स्रोत सूर्य की किरणें हैं। इसके अलावा कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ भी हैं जो इस विटामिन को प्रदान करते हैं।
दूध और दूध से बनी चीजें:
दूध, दही और पनीर में विटामिन डी पाया जाता है। इन्हें अपने दैनिक आहार में शामिल करना हमारे शरीर को, पूर्ण विटामिन से परिपूर्ण रखेगा।
मछलियां:
मछलियां, इनमें से सैल्मन, मैकेरल, और सार्डिन, विटामिन डी का अच्छा स्रोत हैं। इनमें ओमेगा-3 फैटी एसिड भी होते हैं जो हड्डियों के लिए भी फ़ायदेमंद होते हैं।
अंडे:
अंडा भी एक अच्छा स्रोत है विटामिन डी का। इसमें विटामिन डी3 होता है, जो हमारे शरीर के लिए अधिक प्रभावकारी होता है।
मशरूम:
कुछ खास प्रकार के मशरूम भी विटामिन डी के अच्छे स्रोत होते हैं। सूर्य की रोशनी में रखे गए मशरूम, विटामिन डी बनाने में सक्षम होते हैं।
फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थ:
कुछ खाद्य पदार्थ ऐसे भी होते हैं जो विटामिन डी से भरपूर होते हैं। जैसे कि कुछ दूध, दही, अनाज, और सोया उत्पाद।
Vitamin D के स्तर को बनाए रखने के लिए उपाय –
सूर्य किरणो का लाभ उठाएं:
रोज़ाना सूरज की रोशनी में 15-20 मिनट तक खड़े रहना विटामिन डी के स्तर को सुधारने में मददगार हो सकता है।
विटामिन डी युक्त आहार शामिल करें:
अपने भोजन में विटामिन डी से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे कि मछलियां, अंडे, दूध और मशरूम शामिल करें।
पूरक(Supplements) का इस्तेमल:
अगर आपके शरीर में विटामिन डी की कमी है, तो आप डॉक्टर की सलाह से सप्लीमेंट का उपयोग कर सकते हैं।
नियमित व्यायाम:
नियमित व्यायाम भी हड्डियों को मजबूत बनाने रखने में सहायक होता है, और इसमें भी विटामिन डी का रोल होता है।
नियमित स्वास्थ्य जांच:
नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच करवाएं ताकि आपके विटामिन डी के स्तर पर नजर रहे।
विभिन्न आयु समूहों के लिए विटामिन D की दैनिक आवश्यकता:
नवजात शिशु (0-1 वर्ष): नवजात शिशु को दिन में लगभग 400 IU विटामिन D की आवश्यकता होती है।
1 से 18 वर्ष इस आयु समूह के बच्चों और किशोरों को लगभग 600 IU से 1,000 IU विटामिन D प्रतिदिन की आवश्यकता होती है।
19 से 70 वर्ष के वयस्कों को लगभग 600 IU से 2,000 IU विटामिन D प्रतिदिन की आवश्यकता होती है।
71 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों को लगभग 800 IU से 2,000 IU विटामिन D प्रतिदिन की आवश्यकता होती है।
निष्कर्ष –
Vitamin D हमारे शरीर के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके सही लेवल बनाएं रखने के लिए सूर्य किरणें का सही इस्तमाल और विटामिन डी युक्त आहार का सेवन करना आवश्यक है। विटामिन डी की कमी से होने वाले असर को समझकर हमें इसे बचाने के लिए जरूरी कदम उठाने चाहिए। सामान्य सेहत और स्वास्थ्य के लिए, विटामिन डी को अपनी दैनिक जीवनशैली में शामिल करना चाहिए।
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