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प्राचीन Trinetra Ganesha Temple , रणथम्भौर के रोचक तथ्य


भगवान गणेश के अनेक मंदिर हैं, जिसमे सबसे पहले प्राचीन Trinetra Ganesha Temple  रणथम्भौर, राजस्थान में स्थित है। हिंदू धार्मिक मान्यताओं के आधार पर कोई भी कार्य शुरू करने से पहले गणेश जी की पूजा का प्रावधान है। इन्हें विघ्नहर्ता भी कहते हैं, ऐसा माना जाता है कि हर कार्य को शुरू करने से पहले भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए ताकि वह कार्य निर्विघ्न रूप से संपन्न हो। तभी तो इन्हें विघ्नहर्ता भी कहते हैं।

देवताओं ने भी अपने हर कार्य की शुरुआत श्री गणेश की पूजा से ही की थी। ऐसा हमारे धार्मिक ग्रंथो में वर्णित है। भगवान गणेश के अनेक नाम हैं जैसे-एकदन्त, गजानन, विनायक इत्यादि। यह धन, बुद्धि एवं ऋद्धि-सिद्धि के दाता हैं। भारत वर्ष में प्राचीन काल से ही गणेश जी को पूजा जाता रहा है। अतः उस समय के प्राचीन मंदिर आज भी भारत में मौजूद हैं जिनमे से एक है प्राचीन त्रिनेत्र गणेश मंदिर रणथम्भौर। तो आइए जानते हैं इस मंदिर के रोचक तथ्य।

Trinetra Ganesha Temple

त्रिनेत्र गणेश जी सपरिवार

प्राचीन Trinetra Ganesha Temple , रणथम्भौर :

गणेश जी का यह मंदिर भारत का ही नहीं, बल्कि  विश्व का प्रथम गणेश मंदिर माना जाता है।
यह मंदिर राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के रणथम्भौर किले में स्थित है। यह किला 1579 फीट ऊंचाई पर अरावली और विंध्याचल की पहाड़ियों पर स्थित है।
ऐसा कहा जाता है कि यहाँ भगवान गणेश की त्रिनेत्र मूर्ति स्वयं भू है। ऐसा मन जाता है कि यह मूर्ति 6500 साल पुरानी है।
यहाँ गणपति जी अपने पूरे परिवार के साथ विराजमान हैं, जिसमे पत्नी ऋद्धि -सिद्धि और दोनों पुत्र शुभ व लाभ हैं।

प्राचीन Trinetra Ganesha Temple का इतिहास :

इस मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। ऐसा कहा जाता है कि साल 1299 -1301 ई. के दौरान महाराज हम्मीरदेव चौहान व दिल्ली के शासक अलाउद्दीन खिलजी के बीच युद्ध हुआ था, जो नौ महीनों से भी ज्यादा चला। उस दौरान दुर्ग की समस्त खाद्य सामग्री समाप्त होने लगी, तब गणेश जी ने स्वप्न में राजा को दर्शन दिए और उस स्थान पर पूजा करने के लिए कहा जहाँ गणेश जी की त्रिनेत्र प्रतिमा है।
प्रातः काल जब राजा ने उस जगह पर देखा तो उसे भगवान की स्वयंभू प्रतिमा मिली। फिर राजा ने वहां मंदिर का निर्माण कराया। आपने देखा कितना रोचक इतिहास है इस मंदिर का। इसलिए  यह प्राचीन त्रिनेत्र मंदिर कहा जाता है।

प्राचीन Trinetra Ganesha Temple के अन्य रोचक तथ्य :

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण और रुक्मणी के विवाह का प्रथम निमंत्रण भी भगवान त्रिनेत्र गणेश के मंदिर में  दिया गया था।
इसके पीछे एक रोचक कथा है। माना जाता है कि द्धापर युग में  जब भगवान श्री कृष्ण और रुक्मणी जी का विवाह हो रहा था तब वो विवाह के समय गणेश जी को बुलाना भूल गए, तब गणेश जी के चूहों ने श्री कृष्ण के रथ के आगे पीछे सभी जगह से ज़मीन को खोद दिया, जिससे वह रथ नहीं चला पा  रहे थे। तब उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने गणेश जी को मनाया।
यह रणथम्भौर का वही स्थान है जहाँ श्री कृष्ण ने गणेश जी की पूजा की थी। तब से ही यह परंपरा बनी हुई है कि कोई भी विवाह समारोह का कार्य शुरू करने से पहले भगवान त्रिनेत्र गणेश जी को प्रथम निमंत्रण दिया जाता है। बहुत से लोग अपने विवाह का निमंत्रण डाक द्वारा भी भेजते हैं। यहाँ तक की कोई भी व्यक्ति अपनी परेशानी लिख कर भी डाक द्वारा पत्र के माध्यम से भेज सकता है।
है न यह मंदिर की एक अनूठी विशेषता, यहाँ सच्चे मन से मांगी हर मुराद पूरी होती है।

Trinetra Ganesha Temple _ Ranthambore Fort

रणथम्भौर किला

रणथम्भौर के अन्य पर्यटन स्थल 

इसके अलावा आप रणथम्भौर किला भी देख सकते है जो कि अपनी भव्यता के लिए प्रसिद्ध है। यह सवाई माधोपुर स्टेशन से 13 किलोमीटर दूर है। यह 12 किलोमीटर की परिधि में बना है। UNESCO  इसे विश्व धरोहर घोषित कर चुका है।

Trinetra Ganesh Temple( Ranthambhore jheel)                                            रणथम्भौर झील                                            

इस किले में एक झील भी है। इसके अलावा किले के परिसर में मंदिर भी हैं, जिनमे प्राचीन त्रिनेत्र गणेश मंदिर व दुर्गा मंदिर भी हैं। यह किला अपनी भव्यता का प्रतीक है। किले के चारो तरफ का विशाल क्षेत्रफल है जहाँ अभ्यारण्य बना दिया गया है।
इसके अतिरिक्त यहाँ रणथम्भौर नेशनल पार्क भी है जो एक अभ्यारण्य है जहाँ बाघों का संरक्षण किया जाता है।

RANTHAMBORE National Park( Trinetra Ganesha Temple)

रणथम्भौर नेशनल पार्क

इस अभ्यारण्य में बाघों के साथ हिरन, लंगूर, मोर तथा विभिन्न प्रकार के पक्षी भी देखने को मिल जायेंगे। इसी नेशनल पार्क की सीमा पर खंदार किला भी है। यह किला भी दर्शनीय है।

Ranthambhore National Park( Trinetra Ganesha TEMPLE )

रणथम्भौर नेशनल पार्क

निष्कर्ष — 

इस प्रकार आप प्राचीन गणेश मंदिर के साथ साथ किलों और अभ्यारण्य का लुत्फ़ भी उठा सकते हैं।यदि आप इन जगहों पर जाएँगे तो अवश्य ही आपकी यात्रा अविस्मरणीय रहेगी। आपको यह लेख कैसा लगा, अपनी राय अवश्य लिखे।

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