Leh Ladakh Trip | 15 मशहूर पर्यटन स्थल लेह-लद्दाख के
लेह लद्दाख अपनी नैसर्गिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। यह इंडस नदी के किनारे बसा हुआ है। यदि ऐसा कहा जाए कि इंडस नदी लद्दाख की रीढ़ की हड्डी के समान है तो गलत नहीं होगा। यदि आप भी घूमने का प्लान बना रहें है तो लेह लद्दाख के प्राक्रृतिक नज़ारे अवश्य देखें। यह आपके लिए एक यादगार यात्रा बन जाएगी। आज हम इस लेख में Leh Ladakh Trip के 15 मशहूर पर्यटन स्थलों के बारे में जानकारी लेंगे।
पर्वतीय पर्यटन स्थलों की बात की जाए तो सर्वप्रथम जम्मू कश्मीर का नाम ज़हन में आता है। जम्मू कश्मीर राज्य को तीन भागों में बाँटा गया है। जिसमे प्रथम जम्मू, दूसरा कश्मीर और तीसरा लद्दाख है। लद्दाख को भी दो भागों में विभाजित किया गया है। पहला लेह जिला और दूसरा कारगिल जिला है।
लद्दाख
Leh Ladakh – भौगोलिक चित्रण
लद्दाख एक ऊँचे पठार के समान है। यह समुद्र तल से 3500 मीटर(9800 फ़ीट) की ऊंचाई पर स्थित हैं। कराकोरम पर्वत श्रृंखलाएं और हिमालय के बीच स्थित लद्दाख लगभग 33,554 वर्ग मील में फैला हुआ है। भौगोलिक विषमताओं के कारण लद्दाख में रहने लायक जगह बहुत कम हैं। जिसकी वजह से यहाँ की जनसँख्या लगभग 2,36,550 है।
लेह लद्दाख के विषय में ऐसा माना जाता है कि यह मुख्य रूप से किसी बड़ी झील का डूबा हुआ हिस्सा था। जो अनेक वर्षों तक भौगोलिक परिवर्तन के कारण लद्दाख की घाटी बन गया।
लेह लद्दाख
Main Attractions Of Leh Ladakh (मुख्य आकर्षण)
लेह लद्दाख में आपको चारों ओर ऊँचे-ऊँचे पर्वतों की चोटियां, मनोरम झीलें, सुन्दर घाटियाँ, आकर्षक पैलेस, मठ, स्वच्छ आकाश एवं अनेक प्राकृतिक अद्भुत नज़ारे देखने के लिए मिल जाएंगे।
Leh Ladakh, Puga Valley(पूगा घाटी)
पूगा घाटी लद्दाख के दक्षिण पूर्व में चंगथांग में स्थित है। यह लद्दाख का एक ऐसा नगीना है, जो प्राकृतिक नज़ारों और सम्पदा से भरी हुई है।
Geo Thermal Energy (जियोथर्मल एनर्जी)
शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन से पता लगाया है कि पूगा घाटी जियोथर्मल एनर्जी उत्पादन का एक प्रमुख स्रोत हो सकता है। यहाँ के इस क्षेत्र में ऊर्जा उत्पादन की अपार क्षमता है। इस ऊर्जा का उपयोग विभिन्न कार्यों में जैसे-बिजली के उत्पादन में किया जा सकता है।
Hot Springs (गर्म पानी के कुंड)
पूगा घाटी में गर्म पानी के कुंड भी पाए जाते हैं, जिन्हें हॉटस्प्रिंग्स कहते हैं। यह बोरेक्स(Borax) और सल्फर( Sulphur) से निर्मित गर्म पानी के कुंड हैं। जिसके पानी में नहाने से चर्म रोग ठीक हो जाते हैं। यह पानी काफी गर्म होता है। पूगा घाटी में घूमना अपने आप में एक ऐसा अनुभव है जो सदा अविस्मरणीय रहेगा।
पैंगोंग झील
Leh Ladakh Pangong Lake (पैंगोंग झील)
जो भी पर्यटक लेह लद्दाख घूमने आते हैं वह पैंगोंग झील अवश्य घूमते हैं। यह खारे पानी की बहुत ही खूबसूरत झील है, जो लेह से लगभग 250 किमी की दूरी पर स्थित है। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई लगभग 4,350 मीटर है। इस झील की लम्बाई 135 किमी है। भारत में यह लगभग 45 किमी तथा चीन में 90 किमी तक फैली हुई है।
Pangong Lake Temperature ( पैंगोंग झील तापमान )
यहाँ का तापमान -5 डिग्री सेल्सियस से 10 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है। सर्दियों में यह खारे पानी की झील होने के बावजूद भी, यह पूर्ण रूप से बर्फ से जम जाती है।
Natural Scenery (प्राकृतिक नज़ारा)
यहाँ का प्राकृतिक दृश्य अपने आप में पर्यटकों के लिए एक अद्भुत दृश्य है। चारो ओर सुन्दर पहाड़ियाँ, साफ़ नीला आसमान और उस पर नीले रंग की पैंगोंग झील किसी भी पर्यटक के दिल को मोह लेती है। यहीं नहीं पैंगोंग झील का रंग भी बदलता रहता है। कभी हल्का हरा, लाल, सुनहरा और गुलाबी। विशेषज्ञों का मानना है कि इतनी ऊंचाई पर स्थित होने से, जब आकाश का रंग बदलता है तो refraction के कारण पैंगोंग झील का भी रंग बदलता है। सर्दियों मैं पैंगोंग झील जम जाती है। इस समय यहाँ आप ice skating फेस्टिवल का आनंद भी ले सकते हैं। इसके अलावा पैंगोंग झील में sunrise का अद्भुत दृश्य भी देख कर दिल खुश हो जाता है।
Birds In Pangong Lake (पैंगोंग झील में पक्षी)
यदि आप गर्मियों में यहाँ आएंगे तो इस झील में अनेक प्रवासी पक्षियों को भी अठखेलियां करते हुए आनंद लेंगे। यहाँ क्रस्टेशियन प्रजातियां भी पाई जाती है। इसके अलावा यह झील बहुत से पक्षियों का जैसे ब्राह्मणी बत्तख और समुद्री पक्षियों के लिए प्रमुख प्रजनन स्थल भी है। यहाँ पैंगोंग झील के आस पास जंगली गधे और मर्मोट भी देखने को मिल जाएंगे।
पैंगोंग झील में पक्षी
Entry Fees And Permit Of Pangong Lake (एंट्री फीस एवं परमिट)
यहाँ घूमने के लिए आपको एक आंतरिक लाइन परमिट लेना पड़ेगा। जिसके लिए भारतीय नागरिकों को 20 रूपये प्रतिदिन का शुल्क देकर आसानी से यह परमिट प्राप्त कर सकते हैं। यह परमिट लेना इसलिए आवश्यक है क्योंकि पैंगोंग झील चीन भारतीय वास्तविक नियंत्रण रेखा पर आती है।
Best Time To Visit Pangong Lake (घूमने का समय)
यहाँ घूमने का सर्वोत्तम समय जून से सितम्बर के बीच रहता है। क्योंकि इस समय आप यहाँ पर प्रवासी पक्षियों और वनस्पति आदि भी देख सकते हैं। जबकि सर्दियों में यहाँ भारी बर्फ़बारी होती है। जिसके फलस्वरूप मार्ग अवरुद्ध हो जाते हैं और यह झील भी बर्फ से जम जाती है।
पैंगोंग झील वैसे सप्ताह के सातों दिन खुली रहती है। आप सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक आप कभी भी घूम सकते हैं। लेकिन यहाँ घूमने के लिए आपको आराम से 2-3 घंटों का समय चाहिए होगा तभी आप इस मनोरम जगह का आनंद ले पाएंगे।
Places To Stay Near Pangong Lake (रुकने का स्थान)
लेह लद्दाख के मशहूर पर्यटक स्थल पैंगोंग झील में रुकने के लिए आपको यहाँ आस पास या फिर लेह में भी सस्ते एवं महँगे दोनों प्रकार के होटल मिल जाएँगे।
How To Reach Pangong Lake (कैसे जाएँ )
पैंगोंग झील जाने का सबसे अच्छा मार्ग सड़क मार्ग है। यह मार्ग लेह और जम्मू कश्मीर के शहरों से भली भाँति जुड़ा हुआ है। सड़क मार्ग द्वारा यात्रा करने से आप प्राकृतिक नज़ारों का भी आनंद ले पाएंगे।
लेकिन पैंगोंग झील तक हवाई यात्रा या रेल यात्रा उपलब्ध नहीं है। पैंगोंग झील के सबसे समीप का हवाई अड्डा रिम्पोछे हवाई अड्डा है, जो कि लेह में है। इस हवाई अड्डे की पैंगोंग झील से दूरी 225 किमी है। इसके बाद आपको बस या टैक्सी लेनी पड़ेगी।
यदि आप अपने निजी वाहन से पैंगोंग झील जा रहे हैं, तो ईंधन का इंतज़ाम पहले से ही कर लें। क्योंकि पैंगोंग झील के पास कोई पेट्रोल पंप नहीं है।
Leh Ladakh, Leh Palace (लेह पैलेस)
Royal Palace (शाही महल)
यह पैलेस, लेह बस स्टैंड से 2 किमी की दूरी पर स्थित है। लेह पैलेस एक शाही महल है। यह( Tsemo Hill) पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। यह 9 मंजिला खूबसूरत इमारत पत्थर, लकड़ी, मिट्टी एवं सैंड से बनी हुई है। इस भव्य इमारत को 17 वी शताब्दी में राजा सेंग्गे नामग्याल ने बनवाया था। ऐसा कहा जाता है कि राजा अपने परिवार के साथ इस शाही महल की 9 वीं मंजिल पर रहते थे। इस महल की बनावट कुछ लहासा के पोटाला महल से मिलता जुलता है। इसका अन्य नाम Lhachen Palkhar भी है।
लेह पैलेस
इस महल का संरक्षण भारतीय पुरातत्व विभाग के द्वारा किया जाता है। अब इस शाही महल को म्यूजियम में परिवर्तित कर दिया गया है।यहाँ शाही परिवार की वस्तुऐं जैसे गहने, कपडे आदि पर्यटकों के देखने के लिए रखीं गयीं हैं। इस महल के ठीक पीछे बुद्धा की मूर्ति है, जो इस महल की खूबसूरती और बढ़ा देती है। इस महल की 9 वीं मंजिल से पूरे शहर का मनोरम दृश्य दिखता है।
Entry Fees And Visiting Hours (एंट्री फीस एवं घूमने का समय)
यह महल पर्यटकों के लिए सुबह 7 बजे से शाम 4 बजे तक खुला रहता है। इसकी एंट्री फीस भारतियों के लिए 20 रूपये तथा विदेशियों के लिए 100 रूपये है।
Leh Ladakh, Chadar Trek (चादर ट्रैक )
यह पर्यटकों की लद्दाख में सबसे पसंदीदा जगह है। यहाँ सर्दियों में ज़ांस्कर नदी बर्फ से जम जाती है। पर्यटकों के लिए चादर ट्रैक पर चलना अविश्वसनीय और कल्पना से परे है। चादर ट्रैक की यात्रा सबसे कठिन यात्राओं में से एक है।
चादर ट्रैक
Natural Scenery (प्राकृतिक नज़ारा)
जब सूरज की रोशनी हल्के नीले रंग की चादर ट्रैक पर पड़ती है, तो इसका रंग बदलकर हल्का पीला हो जाता है। हांलाकि यह सिर्फ कुछ घंटों के लिए ही होता है। जबकि चन्द्रमा की रोशनी पड़ने पर यह दूधिया दिखता है। यह नज़ारा देखने में अद्भुद लगता है। यहाँ बहुत से पर्यटक कैंप लगाकर भी रहते हैं।
Best Time To Visit (सर्वोत्तम समय)
चादर ट्रैक देखने के लिए सर्वोत्तम समय जनवरी और फरवरी का है। इस समय आपको चारों ओर बर्फ से ढके पहाड़ भी देखने को मिल जाएँगे।
Leh Ladakh, Shanti Stupa (शांति स्तूप)
शांति स्तूप एक धार्मिक स्थल है। यह लेह से लगभग 5 किमी की दूरी पर चंग्स्पा में एक पहाड़ी पर स्थित है। यह लेह लद्दाख के एक प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। इसकी समुद्र तल से ऊंचाई 3609 मीटर है। आप इस स्तूप तक, लेह शहर से 500 सीढ़ियां चढ़कर भी पहुँच सकते हैं।
Construction Of Shanti Stupa (शांति स्तूप का निर्माण)
इसका निर्माण वर्ष 1983 से 1991 के बीच हुआ था। इसे बौद्ध धर्म के 2500 साल पूरा होने के उपलक्ष्य में जापानी बौद्ध भिक्षु गयोम्यो नाकामुरा एवं लद्दाखी बौद्ध भिक्षुओं ने मिलकर बनाया था। उनका इसे बनाने का उद्देश्य विश्व में शांति स्थापित करने का था।
Natural Scenery (प्राकृतिक नज़ारा)
यहाँ आकर आपको आत्मिक शांति का अहसास होगा। इसके अलावा यहाँ घाटी और पर्वतों का दृश्य आपके मन को मोह लेगा। यहाँ से आपको लेह शहर भी दिखेगा। यहाँ पहुँच कर यदि आप सूर्योदय या सूर्यास्त का नज़ारा देखते हैं, तो यह अद्भुत दृश्य आपका मन मोह लेगा। इसके साथ रात्रि में यह सफ़ेद स्तूप चन्द्रमा की रोशनी में जगमगा उठता है।
शांति स्तूप
Inside Shanti Stupa (शांति स्तूप के अंदर)
स्तूप के अंदर आपको बुद्ध की प्रतिमा, धर्मचक्र एवं बुद्ध की जीवन यात्रा से सम्बंधित चित्र दीवारों पर बनाये गए हैं। इसके आधार पर वर्तमान दलाई लामा की तस्वीर भी लगी हुई है। लेह के शांति स्तूप का प्रतिकृति(replica) नई दिल्ली में भी बनाया गया है।
Best Time To Visit (शांति स्तूप घूमने का समय)
शांति स्तूप प्रातः 5 बजे से रात 9 बजे तक सप्ताह के सातों दिन खुला रहता है।
Magnetic Hill (मैग्नेटिक हिल)
यह लेह से 30 किमी की दूरी पर लेह करगिल बाल्टिक नेशनल हाईवे पर स्थित है। यह पहाड़ी समुद्र तल से 14000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इसके पूर्वी हिस्से में सिंधु नदी बहती है। इसे ग्रेविटी हिल भी कहते हैं।
Wonder Of Nature (कुदरत का करिश्मा)
मैग्नेटिक हिल
इस पहाड़ी पर मैग्नेटिक गुण होने के कारण आपका वाहन स्वयं पहाड़ी की ओर चलने लगता है। यदि आप अपनी गाड़ी न्यूट्रल गियर पर भी रखते हैं, तब भी गाड़ी अपने आप 20 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार से लगभग 4 किमी तक चल सकती है। इस कुदरत के करिश्मे को देखने के लिए देश विदेश से अनेक पर्यटक यहाँ आते हैं।
यदि कोई हवाई जहाज भी उड़ रहा होता है, तो वह अधिक ऊंचाई पर उड़ता है ताकि विमान में मैग्नेटिक अवरोध उत्पन्न न हो। ऐसा कहा जाता है कि यहाँ कुछ ऑप्टिकल भ्रम के कारण गाड़ी ऊपर की ओर जाती हुई प्रतीत होती है।
Leh Ladakh Zanskar Valley (जांस्कर घाटी)
जांस्कर घाटी, जम्मू कश्मीर की मशहूर घाटियों में से एक है। चादर ट्रैक, जो कि सबसे कठिन ट्रैक माना जाता है। वह इसी जांस्कर घाटी में स्थित है। स्थानीय लोग इस घाटी को ज़हर या जंगस्कर के नाम से बुलाते हैं। पर्यटकों की ट्रैकिंग और रिवर राफ्टिंग के लिए यह पसंदीदा जगह है।
Geographical Status Of Zanskar Valley (भोगौलिक स्थिति)
जांस्कर घाटी कारगिल जिले में लद्दाख से लगभग 105 किमी पूर्व में स्थित है। इसका क्षेत्रफल लगभग 5000 वर्ग किमी है। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई लगभग 13000 फीट है। जांस्कर घाटी प्राकृतिक रूप से बहुत सुन्दर है। ऊँचे-ऊँचे बर्फ से ढके पहाड़, स्वच्छ निर्मल जांस्कर नदी एवं विभिन्न प्रकार की वनस्पति तथा जीव जंतु यहाँ की सुंदरता और बड़ा देते हैं।
History Of Zanskar Valley (इतिहास)
ऐसा माना जाता है कि जांस्कर घाटी में बौद्ध धर्म की शुरुआत 7 वीं शताब्दी में ही हो गई थी। स्वतंत्रता के बाद जांस्कर घाटी को कुछ संघर्षों के कारण लद्दाख से अलग कर दिया गया था। लेकिन बाद में 1842 में दोनों जम्मू कश्मीर का हिस्सा बन गए। ऐसा इसलिए संभव हो पाया क्योंकि लद्दाख और जांस्कर के राजा एक ही परिवार के थे।
ज़ांस्कर घाटी
Animals Found In Zanskar Valley (पाए जाने वाले जंतु)
यहाँ इस विशाल घाटी में विभिन्न वनस्पतियों के अलावा वन्य प्राणी जैसे स्नो लेपर्ड, भालू , मर्मोट पाए जाते हैं। इसके साथ यहाँ पालतू जानवर जैसे- याक, डोजो, भेड़ और घोड़े भी पाए जाते है।
Best Time To Visit Zanskar Valley (घूमने का समय)
खूबसरत जांस्कर घाटी घूमने जाने का सबसे अच्छा समय जून से सितम्बर तक का है। क्योंकि यहाँ इस समय आप यहाँ प्रकृति के नज़ारों का आनंद ले सकते हैं। जबकि सर्दियों में यह घाटी बर्फ से ढक जाती है। तापमान भी माइनस में चला जाता है और बर्फ़बारी के कारण रास्ते भी अवरूद्ध हो जाते हैं।
Leh Ladakh, Phugtal Monastery (फुगताल मठ)
फुगताल मठ लद्दाख के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक माना जाता है। यह ट्रैकिंग प्रेमियों के लिए एक बेहतरीन जगह है। झुकरी बोली में फुक का अर्थ है गुफा और ताल का अर्थ है आराम।
Geographical Status (भौगोलिक स्थिति)
फुगताल मठ लद्दाख में जांस्कर क्षेत्र के दक्षिणी पूर्वी भाग में स्थित है। यह लद्दाख में लुंगनाक घाटी की चट्टान पर बना हुआ है। वास्तव में यहाँ प्राकृतिक गुफाएं हैं जिसे मठ में बदल दिया गया है।
फुगताल मठ
History Of Phugtal Monastery (इतिहास)
यह काफी प्राचीन मठ है। ऐसा माना जाता है कि यह 2250 साल पुराना मठ है। यह अकेला ऐसा मठ है जहाँ पर पैदल यात्रा करके पहुँचा जा सकता है। इसी कारण यहाँ ट्रैकर्स जाना पसंद करते हैं। प्राचीन काल में इस मठ में बौद्ध भिक्षु ध्यान, शिक्षा, अध्यात्म और आराम करते थे। ऐसा माना जाता है कि यहाँ बुद्ध के प्रारंभिक 16 अनुयायी रहते थे। जिनके चित्र मठ की दीवारों पर बने हुए हैं।
Structure Of Phugtal Monastery (संरचना)
फुगताल मठ प्राकृतिक गुफाओं में बना हुआ है। यह एक छत्ते की तरह दिखता है। इसका निर्माण मिट्टी और लकड़ी से हुआ है। इसमें प्रार्थना कक्ष, अतिथि कक्ष, पुस्तकालय, रसोई एवं अन्य कक्ष भी बने हुए हैं।
फुगताल मठ
Festivals Of Phugtal Monastery (त्योंहार)
फुगताल मठ में अनेक त्योंहार भी मनाये जाते हैं जैसे- स्मोंलेम चेनमो( प्रार्थना उत्सव ), चोंगा चोदपा, यार्न और गडम नागचोद।
Precautions For Visiting Phugtal Monastery (सावधानियां)
पहला इस मठ की यात्रा सिर्फ पैदल ही की जा सकती है। अतः ट्रैकिंग के लिए यह एक अच्छी यात्रा हो सकती है। दूसरा फुगताल मठ का रास्ता एक दुर्गम रास्ता है। यहाँ की यात्रा करने के लिए पूर्ण रूप से स्वस्थ्य होना जरूरी है।
Best Time To Visit Phugtal Monastery (जाने का समय)
इस मठ के घूमने का सबसे अच्छा समय अप्रैल से जून और सितम्बर से अक्टूबर के बीच का है। सर्दियों में यह इलाका बर्फ़बारी से ढका रहता है।
यहाँ की यात्रा आप प्रातः 6 बजे से शाम 4 बजे के बीच कभी भी कर सकते हैं। इसके साथ फुगताल मठ देखने के लिए कोई एंट्री फीस भी नहीं है।
Leh Ladakh, TSO Moriri Lake (त्सो मोरीरी झील)
त्सो मोरीरी भारत की सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित बड़ी झील है। यह पैंगोंग झील की जुड़वाँ झील मानी जाती है। यह चांगटांग क्षेत्र में स्थित वन्य जीव अभ्यारण्य के अंदर है। यह खारे पानी की झील अपने शांत वातावरण एवं प्राकृतिक सुंदरता के लिए जानी जाती है। यहाँ बर्फ से ढके ऊँचे पहाड़ एवं बंजर पहाड़ियां इस झील को चारों ओर से घेरे रहती हैं। इस झील को माउंटेन लेक के नाम से भी जानते हैं।
त्सो मोरीरी झील
Geographical Status (त्सो मोरीरी झील की भौगोलिक स्थिति)
इस झील की समुद्र तल से ऊंचाई लगभग 4, 595 मीटर ( लगभग 15000 फीट) है। यह उत्तर से दक्षिण की ओर 28 किमी तक बहती है। त्सो मोरीरी झील काफी गहरी झील है जिसकी गहराई 100 फीट तक बताई जाती है। इतनी ऊंचाई पर होने की वजह से यहाँ ऑक्सीजन का स्तर भी कम रहता है। शायद यही कारण है कि यहाँ बहुत कम पर्यटक आते हैं।
Flora & Fauna Near TSO Moriri Lake (त्सो मोरीरी झील के आस पास की वनस्पति एवं वन्य जीव)
यहाँ इस क्षेत्र में प्रायः कम ही वनस्पति पायी जाती है। परन्तु कुछ भाग में विशेष प्रकार की वनस्पति भी पायी जाती है जैसे- कैराना, केरेक्स, प्रिमुला, एस्ट्रेगलस, पोटामोगेटोन आदि।
इसके अलावा यहाँ विभिन्न प्रकार के पक्षियों की प्रजातियां जैसे- ब्लैक नेक्ड क्रेन्स, बार हेडेड गीज़, ब्राउन हेडेड गल्स, स्तनधारी जीव जैसे- गोवा एंटीलोप, तिब्बती गधा एवं भेड़ तथा कुछ मांसाहारी जीव जैसे स्नो लेपर्ड, तिब्बेतन वुल्फ भी पाए जाते हैं।
Best Time To Visit TSO Moriri Lake (सर्वोत्तम समय)
यदि आप त्सो मोरीरी झील घूमने का प्लान कर रहे हैं तो इसके लिए सबसे उत्तम समय मई से सितम्बर का है। क्योंकि इस समय तापमान भी ठीक रहता है। आप यहाँ आकर प्रवासी पक्षियों, जीव जंतुओं और वनस्पतियों को भी देख सकते हैं। जबकि सर्दियों में यहाँ चारो और बर्फ जमी रहती है।
Leh Ladakh, Stok Palace (स्टोक पैलेस)
स्टोक पैलेस एक शाही महल है, जो अब संग्राहलय एवं हेरिटेज प्रॉपर्टी में बदल दिया गया है। यह स्टोक गांव में सिंधु नदी से 15 किमी की दूरी पर स्थित है। इस महल का निर्माण सन 1825 में राजा त्सेपाल तोंदूप नामग्याल ने करवाया था। गर्मियों में राजा इसी महल में आकर रहते थे।
स्टोक पैलेस
महल में आपको शाही परिवार के वस्त्र, मुकुट एवं अन्य सामग्रियां भी देखने को मिल जाएंगी। इस महल की वास्तुकला, उद्यान एवं पुस्तकालय भी दर्शनीय है, जो आपको निश्चित रूप से पसंद आएंगे। इस महल को देखने के लिए आप प्राइवेट टैक्सी जो की शेयरिंग में चलती हैं उसके द्वारा भी जा सकते हैं।
Leh Ladakh, Nubra Valley (नुब्रा घाटी)
नुब्रा घाटी बहुत ही खूबसूरत घाटी है। यहाँ ऊँचे ऊँचे बर्फ से ढके हुए पर्वत, रेत, नदियां, मठ इस स्थान की सुंदरता में चार चाँद लगा देते हैं। तीन भुजाओं वाली नुब्रा घाटी लेह सिटी से लगभग 150 किमी उत्तर पूर्व की ओर स्थित है। नुब्रा घाटी को फूलों की घाटी भी कहते हैं। यहाँ पीले और गुलाबी जंगली गुलाबों से यह घाटी सजी रहती है। इसलिए इसे लद्दाख के बाग़ भी कहते हैं।
नुब्रा वैली
Geographical Status (भौगोलिक स्थिति)
यह घाटी समुद्र तल से 10,000 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित है। खूबसूरत नज़ारों से सजी यह घाटी नुब्रा और श्योक नामक दो नदियों के बीच बसी है। नुब्रा घाटी तक पहुँचने के लिए लेह से खरदुंगा ला पास जाना होगा। यह दुनिया का सबसे ऊँचा दर्रा( पास ) है।
History (इतिहास)
यहाँ का इतिहास 7 वीं शताब्दी ईस्वी पूर्व का है। ऐसा कहा जाता है कि यहाँ चीन, मंगोलिया और अरब देशों ने आक्रमण किया था। प्राचीन समय से ही यहाँ बौद्ध धर्म प्रमुख रहा है।
Nearby Attractions (आस पास के दर्शनीय स्थल)
यहाँ आकर आप अन्य दर्शनीय स्थल भी देख सकते है जो कि नुब्रा घाटी के आस पास ही हैं। जैसे- खार्दुंग ला पास, हंडर गांव, पनामिक गांव, दिस्कित मठ, एन्सा मठ आदि।
Best Time To Visit (सर्वोत्तम समय)
नुब्रा घाटी घूमने का सबसे अच्छा समय मई से सितम्बर तक का होता है। क्योंकि इस मौसम में आप यहाँ के ठन्डे माहौल में आनंद ले सकते हैं। सर्दियों और बारिश के मौसम में लद्दाख जाने से बचना चाहिए।
Leh Ladakh TSO Kar Lake (त्सो कर झील)
यह झील लेह से 160 किमी दक्षिण दिशा में स्थित है। त्सो कर झील चांगथंग क्षेत्र में स्थित खारे पानी की झील है, जो दो भागों में बँटी हुई है। पहली त्सो कर झील, जो 1800 हेक्टेयर में उत्तर दिशा में फैली हुई झील है। स्टारतसपुक त्सो, यह 438 हेक्टेयर( मीठे पानी की झील) में फैली हुई है।
इन दोनों झीलों का पानी आपस में मिल जाता है, जो कि त्सोकर काम्प्लेक्स का रूप ले लेता है। इसे रामसर साइट का दर्ज़ा प्राप्त हुआ है।
त्सो कर झील
Area (क्षेत्रफल)
त्सोकर झील 7.5 किमी लम्बी एवं 2.3 किमी चौड़ी है। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 14860 फ़ीट है। अधिक ऊंचाई होने की वजह से यहाँ ऑक्सीजन की कमी हो सकती है। अतः आप ऑक्सीजन सिलेंडर एवं दवाइयों का इंतज़ाम करके ही यात्रा करें।
Living Organism (जीव-जंतु)
त्सोकर झील के समीप आपको काले गर्दन वाले सारस पक्षी, तिब्बती गजेल, भेड़िया एवं लोमड़ी दिख जाएंगे। यहाँ के निवासी पालतू पशुओं में याक और घोडा भी पालते हैं। जिनका प्रयोग वह पर्यटकों की सवारी के रूप में करके अपनी जीविका चलाते हैं।
Diskit Monastery (डिस्किट मठ)
डिस्किट मठ 350 साल पुराना मठ है। यह उत्तरी लद्दाख के नुब्रा घाटी के डिस्किट गांव में श्योक नदी के ऊपर पहाड़ो में स्थित है। यह समुद्र तल से लगभग 10,300 फीट ऊंचाई पर स्थित है। आज भी इस मठ में विभिन्न देशों से आए 100 बौद्ध भिक्षु निवास करते हैं।
History (इतिहास)
इस मठ को 14 वीं सदी में त्सोंगखपा के एक शिष्य चंगज़ेम त्सेराब जंगपो ने करवाया था। यह नुब्रा घाटी का सबसे बड़ा और पुराना मठ है। इसकी संरचना तिब्बती वास्तुकला से प्रेरित है।
डिस्किट मोनेस्टरी
High Lights (मुख्य आकर्षण)
यहाँ का प्रमुख दर्शनीय एवं आकर्षण केंद्र बुद्ध की 106 फीट ऊँची प्रतिमा है। इसके अलावा यहाँ पर फरवरी में बड़े महोत्सव का आयोजन होता है, जिसे देखने के लिए देश विदेश से अनेक पर्यटक यहाँ आते हैं। इस मठ में आकर आपको एक अलग सी शांति का एहसास होगा जो शब्दों में वर्णन नहीं किया जा सकता। यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता भी अतुल्नीय है।
Best Time To Visit (सर्वोत्तम समय)
इस मठ में जाने का सबसे अच्छा समय जून से सितंबर तक का है। क्योंकि इस समय यहाँ प्रकृति के सौंदर्य का आप भरपूर आनंद ले सकते हैं।
Hemis Monastery (हेमिस मठ)
हेमिस मठ लद्दाख का एक प्रसिद्ध और सबसे धनी मठ है। यह लेह से दक्षिण पूर्व दिशा में 45 किमी की दूरी पर स्थित है। भारत के seven wonders(सात अजूबों) में इसको भी गिना जाता है। इस मठ की समुद्र तल से ऊंचाई 12000 फीट है। यह मठ सिंधु नदी के पश्चिमी किनारे पर चारों ओर पहाड़ों से घिरा हुआ है।
History (इतिहास)
हेमिस मठ को सन 1630 में स्टैगसंग रास्पानवांग ग्यात्सो ने बनवाया था। फिर बाद में 1672 ईस्वी में लद्दाखी राजा सेंगे नामग्याल ने पुनः इसका निर्माण कराया।
हेमिस मठ
Architect (वास्तुकला)
हेमिस मठ की वास्तुकला तिब्बती शैली पर आधारित है। रंगों से सजा हुआ यह मठ देखने में बहुत आकर्षक लगता है। यह दो भागों में विभाजित है। जिसमे पहला भाग भवन है, जिसको दुखांग बोलते हैं। जबकि दूसरा भाग मंदिर है, जिसको शोंगखांग बोलते हैं। इसमें एक बड़ा प्रवेश द्वार है जो भवन परिसर के आयताकार प्रांगण में खुलता है।
प्रमुख भवन की दीवारें स्वच्छ एवं शांति का प्रतीक सफ़ेद रंग से सजी हैं। उस पर धार्मिक आकृतियों के चित्र जैसे जीवन को दर्शाता कालचक्र को भी लगाया गया है। आजकल इस मठ की देखभाल द्रुक्पा संप्रदाय, जो कि बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं वही करते हैं।
Highlights (मुख्य आकर्षण)
यहाँ पर भगवान बुद्ध कि तांबे से बनी प्रतिमा है, जो यहाँ का प्रमुख आकर्षण है। इस प्रतिमा के साथ सोने चाँदी के स्तूप भी हैं। दीवारों पर चित्रकारी है जिसमे भगवान वर्धन के जीवन को दिखाया गया है। इसके अलावा यहाँ एक धार्मिक लाइब्रेरी भी है।
बुद्धा ( हेमिस मठ )
यही नहीं यहाँ हर ग्यारह वर्षों में हेमिस त्यौहार भी मनाया जाता है, जो भगवान पद्मसंभव को समर्पित है। यह जून/जुलाई के महीने में आयोजित किया जाता है। यहाँ के स्थानीय लोग पारंपारिक रंग बिरंगे तिब्बती कपड़े पहनकर एवं मास्क लगाकर लामास या चाम नृत्य करते हैं।
Monastery Opening Hours And Entry Fees (मठ खुलने का समय एवं एंट्री फीस)
पर्यटकों के लिए प्रातः 8 बजे से दोपहर 1 बजे तक तथा 2 बजे से शाम 6 बजे तक यह मठ खुला रहता है। यहाँ 50 रुपये प्रति व्यक्ति एंट्री फीस देनी पड़ती है।
Best Time To Visit (सर्वोत्तम समय)
हेमिस मठ घूमने का सर्वोत्तम समय मई से सितंबर महीनों के बीच का होता है। इस समय यहाँ का मौसम बहुत ही खुशनुमा होता है। सर्दियों में यहाँ चारों ओर बर्फ ही बर्फ होती है। जिससे कई बार मार्ग अवरूद्ध भी हो जाते हैं।
Hunder Village (हंडर गाँव)
हंडर गाँव नुब्रा घाटी में श्योक नदी के किनारे स्थित है। यह डिस्किट मठ से 7 किमी और लेह से 160 किमी की दूरी पर स्थित है। इस गाँव में पहुँचने के लिए खार्दूंग ला ( paas ) को पार करना पड़ता है, जो कि विश्व का सबसे ऊँचा वाहन योग्य दर्रा है।
हंडर गाँव
High Lights (मुख्य आकर्षण )
हंडर गाँव हालाँकि एक दूरस्थ गाँव है। लेकिन यहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य अतुल्नीय है। मुख्य आकर्षण की बात करे तो यहाँ के ठन्डे रेगिस्तान (cold desert), रेत के टीले( sand dunes) और बैक्ट्रियन ऊँट देखने के लिए पर्यटक आते हैं।
रेत के टीलों पर ATV rides लेना भी पर्यटकों को काफी भाता है। ALL TERRAIN VEHICLE राइड्स विशेष प्रकार का चार पहियों वाला वाहन होता है। जिसके पहिये मोठे होते हैं। ATV राइड्स के द्वारा रेत के टीलों पर चलना एक रोमांच भर देता है।
इसके अलावा दो कूबड़ वाले ऊँट की सवारी करना भी पर्यटकों को बहुत भाता है। यह दो कूबड़ वाले ऊँट सिर्फ यहीं पर मिलते हैं। यह ऊँट प्राचीन समय में यहाँ आने जाने का साधन हुआ करते थे।
इस गाँव में हंडर गोम्पा (मठ) भी है, जो कि काफी प्राचीन मठ है। यह डिस्किट मठ के समीप स्थित है।
हंडर गाँव में ही आपको sea buckthorn जो कि एक मेडिसिनल प्लांट है। इसे leh berry के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ आपको इसके जंगल मिल जाएंगे। इसके साथ यहाँ खुबानी, अखरोट बादाम, सेब एवं विभिन्न प्रकार के फूल एवं फल के बाग़ भी मिल जाएंगे।
Place To Live (रहने का स्थान)
हंडर गांव में कुछ प्राइवेट होटल एवं गेस्ट हाउस भी हैं। इसके अलावा यहाँ साधारण किराए पर होमस्टे में भी रहा जा सकता है, जो भोजन की सुविधा भी प्रदान करते हैं। यहाँ आर्गेनिक फार्म में बहुत से पर्यटक कैम्पों में भी रहते हैं।
Best Time To Visit (सर्वोत्तम समय)
हंडर गाँव घूमने का सबसे अच्छा समय जून से अगस्त तक का है। गर्मियों में आप इस जगह का आनंद ले सकते हैं।
Precautions (सावधानियाँ)
ऑक्सीजन सिलेंडर :
बस आपको यहाँ यात्रा करने के लिए कुछ सावधनियां रखनी होंगी। सर्वप्रथम आपका पूर्ण रूप से स्वस्थ होना जरूरी है, क्योंकि यह बहुत ऊंचाई वाला स्थान है। यहाँ अधिक ऊंचाई पर ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। इसके लिए बेहतर होगा कि ऑक्सीजन सिलेंडर का इंतज़ाम करके चलें।
मेडिसिन :
कुछ जरूरी दवाइयां अपने डॉक्टर की सलाह से अवश्य रखें।
एटीएम :
यहाँ पर ATM की सुविधा हर स्थान पर नहीं है। अतः आपके पास कैश होना जरूरी है।
टेलीफोन नेटवर्क :
यहाँ पर बहुत सी जगहों पर नेटवर्क नहीं आता है, सिर्फ BSNL और AIRTEL के पोस्टपेड नंबर ही चलते हैं।
परमिट :
यात्रा के दौरान आपके पास आंतरिक लाइन परमिट होना जरूरी है। इस परमिट की कुछ प्रतियाँ भी आपको रखनी चाहिए।
ईंधन :
इसके अलावा यदि आप अपने वाहन से जा रहें हैं तो पेट्रोल पूरा भरवा लें क्योंकि हर जगह पेट्रोल पंप नहीं मिलता है।
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