Jibhi – जीभी के दर्शनीय स्थल एवं रोचक गतिविधियां
जीभी प्राकृतिक सम्पदा से भरपूर एक छोटा गांव है, जो कि हिमाचल प्रदेश की तीर्थन / बंजर घाटी में स्थित है। यह समुद्र तल से 1600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। जीभी अपने प्राकृतिक नजारों, शांत वातावरण, हरे भरे देवदार के जंगल और पहाड़ों से घिरा, मीठे पानी की झीलें और प्राचीन मंदिर के कारण उन लोगो की पहली पसंद है जो भीड़-भाड़ से दूर फुर्सत के कुछ पल यहाँ बिताना चाहते हैं। तो आइए जानते हैं Jibhi के दर्शनीय स्थलों एवं रोचक गतिविधियों के बारे में।
Jibhi Jalori Pass – (जलोरी दर्रा)
जलोरी दर्रा उत्तरी हिमालय का एक खूबसूरत दर्रा है, जो कुल्लू और शिमला जिले के बीच स्थित है। यह जीभी से 12 किमी की दूरी पर लगभग 3000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
Jalori Pass History (जलोरी दर्रा इतिहास)
जलोरी दर्रा से जाने वाली सड़क अंग्रेज़ों ने बनवायी थी ताकि कुल्लू जाने में आसानी हो। इसके अतिरिक्त इतिहास में अँगरेज़ कमांडर इन चीफ की बेटी पेनेलोप चेडवुड भारत यात्रा करने के दौरान कुल्लू आती थी और यहाँ के स्थानीय निवासियों में काफी लोकप्रिय थी।
Jalori Pass Flora & Fauna (जलोरी दर्रा वनस्पति और प्राणी)
Jibhi (जीभी) के पास स्थित जलोरी दर्रा प्राकृतिक संपदा से भरा हुआ है। यहाँ हरे-भरे घने देवदार के जंगल, विभिन्न प्रकार के फूल इस घाटी को बेहद खूबसूरत बनाते हैं। इसके अलावा चहचहाते हुए पक्षियों की अनेक प्रजातियां जैसे बुलबुल, रेड स्टार, ट्री पाई, येलो बिल्ड ब्लू मैगपाई, ब्लू रोबिन आदि तथा प्रवासी पक्षियों को भी आप यहाँ देख सकते हैं।
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बुलबुल
Jalori Pass, Temple (जलोरी दर्रा मंदिर)
यहाँ पर आप जलोरी माता का मंदिर भी देख सकते हैं, जो कि इस दर्रे से 3 किमी की दूरी पर स्थित है। यहाँ के स्थानीय निवासी और आस पास के गावं से लोग दर्शन करने यहाँ आते हैं।
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जीभी – बूढ़ी नागिन मंदिर
Jalori Pass, Budhi Naagin Temple (जलोरी दर्रा बूढ़ी नागिन मंदिर)
यह भी जलोरी पास का एक प्रमुख मंदिर है। ऐसा कहा जाता है कि सर्पों की माता सेरोलसर झील में रहती थी। उनकी दो साथी चिड़िया वहीँ आस पास रहती थीं। जो झील की निगरानी और सफाई करके उसे शुद्ध एवं पवित्र रखती थीं। मान्यता है कि पांडव भी अपने वनवास के दौरान इस स्थान पर आए थे।
Weather & Best Time To Visit Jalori Pass (जलोरी दर्रा मौसम और समय)
जलोरी पास घूमने का सबसे अच्छा समय अप्रैल से नवंबर का है। इस समय यहाँ का वातावरण मनमोहक रहता है। जबकि सर्दियों में यहाँ चारो ओर बर्फ ही बर्फ ढकी रहती है। इसी कारण यह पास दिसंबर से मार्च के दूसरे हफ्ते तक बंद रहता है।
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जीभी – सेरोलसर झील
Jibhi Serolsar Lake (सेरोलसर झील)
सेरोलसर झील जीभी का एक प्रमुख दर्शनीय स्थल है। यह जलोरी दर्रा से लगभग 5 किमी पूर्व में 3040 मीटर की ऊंचाई पर स्थित एक खूबसूरत झील है। इस झील तक आप ट्रेकिंग के द्वारा पहुँच सकते हैं। यहाँ का वातावरण असीम शांति से पूर्ण, देवदार के घने जंगल से घिरा हुआ मनोरम स्थान है।
Story :
इस झील के बारे में एक कथा प्रचलित है कि यहाँ चारों ओर देवदार एवं ओक के वृक्ष हैं। इसके बावजूद भी यहाँ एक भी पत्ता आप झील के बाहर नहीं पाएंगे, है न अद्भुद ? इसके बारे में ऐसी मान्यता है कि दो चिड़िया इस झील के आस पास रहती हैं जैसे ही एक भी पत्ता गिरता है यह दोनों चिड़िया उसे तुरंत बाहर निकाल देती हैं।
इसके अलावा यह स्थान बूढी नागिन जो कि सर्पों की माता थी उनको भी समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि यह झील उनका निवास स्थान था और आज भी उनके सौ पुत्र इस स्थान की सुरक्षा करते हैं।
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जीभी – वाटर फॉल
Jibhi Water Fall – वाटर फॉल :
जीभी वाटर फॉल देखने के लिए आपको घने जंगल के अंदर जाना पड़ेगा। इस स्थान पर आकर आप प्राकृतिक नज़ारों के साथ झरने का मधुर संगीत का भी आनंद ले सकते हैं। यहाँ का शांत वातावरण आपको मन एवं आत्मा से एक अलग सी ही शांति प्रदान करता है। प्रकृति से जोड़ता है। यहाँ झरने के पास कुछ लकड़ी के छोटे पुल भी बनाये गए हैं जो यहाँ की खूबसूरती में चार चाँद लगा देते हैं।
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जीभी — चैनी कोठी
Jibhi Chaini Kothi (चैनी कोठी)
चैनी कोठी जीभी घाटी में स्थित है, जो तीर्थन घाटी के बगल में है। इस कोठी का नाम चैनी गांव पर पड़ा है। यह मुख्यतः पहाड़ी शैली की वास्तुकला के आधार पर बनी हुई है। यह लगभग 1500 वर्ष पुरानी कोठी है, जो लकड़ी और पत्थर से बनी हुई है। इस कोठी का लकड़ी का टावर 40 मीटर ऊँचा है, जहाँ से आप चारों ओर मनोरम दृश्य का आनंद ले सकते हैं।
इस कोठी में भूमिगत सुरंग भी है। इस चैनी कोठी को अब भगवान कृष्ण के मंदिर में बदल दिया गया है।
Jibhi Shringi Rishi Temple (श्रृंग ऋषि मंदिर)
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जीभी — श्रृंगी ऋषि मंदिर
जीभी से लगभग 500 किमी की दूरी पर स्थित श्रृंग ऋषि का मंदिर एक पौराणिक मंदिर है। यहाँ के स्थानीय लोग श्रृंग ऋषि मंदिर को बहुत पवित्र मानते है। इस धार्मिक स्थल पर आकर पूजा करते हैं। श्रृंग ऋषि मंदिर चारों ओर हरियाली, घने पेड़ों और फूलों से घिरा हुआ है। यहाँ आकर असीम शांति की अनुभूति होती है।
Jibhi Raghupur Fort (रघुपुर किला)
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जीभी – रघुपुर फोर्ट
इस किले का निर्माण मंडी शासकों ने आक्रमणकारियों से बचने के लिए करा था। रघुपुर किला जलोरी पास से लगभग 3 किमी की दूरी पर शोजा में स्थित है। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई लगभग 3450 मीटर है। इस किले में एक कुआँ भी हैं जिसे अंग्रेज़ों ने बनवाया था।
इस किले का काफी हिस्सा ध्वस्त हो चुका है। यहाँ तक पहुंचने के लिए घने जंगलों को पार करके पैदल जाना पड़ता है। इन जंगलों के बीच से गुजरते रास्तों में चलना और प्रकृति को इतने करीब से महसूस करना अकल्पनीय है। कुछ हिस्सा तो मैदानी है जबकि लगभग 1 किमी तक खड़ी चढ़ाई है।
खड़ी चढ़ाई के बाद फिर आपको मैदानी भाग मिलेगा यहीं रघुपुर किला है। इतनी ऊंचाई पर आकर आप यहाँ से 360 डिग्री का पूरा दृश्य देख सकते हैं। यहाँ से आपको शिमला, मंडी तो दिख ही जाएगा लेकिन इसके अलावा पीर पंजाल, धौलागर पर्वत श्रृंखला, हिमाचल की चारों श्रृंखलाएं- मणि महेश, चूर्णद्धार, श्री खंड महादेव और किन्नर कैलाश के अतुल्नीय एवं अविस्मरणीय दर्शन हो जाएंगे।
यह किला काफी ऊंचाई पर है जिसके कारण यहाँ पेड़-पौधे तो नहीं हैं, लेकिन बड़े-बड़े घास के मैदान हैं जहाँ चरवाहे अपनी भेड़ो को चरवाते हुए मिल जाएंगे। नीचे हरे घास के मैदान, ऊपर नीला आसमान और उस पर चारों ओर 100 से भी अधिक हिमालय की श्रृंखलाएं किसी स्वर्ग से कम नहीं लगता हैं।
रघुपुर किले के पास अन्य दर्शनीय स्थान :
पंचवीर मंदिर :
ऐसी मान्यता हैं कि पांडव अपने वनवास के दौरान इस स्थान पर आकर रहे थे। उन्हीं के नाम पर यह पंचवीर मंदिर बना हुआ है।
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जीभी — पाण्डुरोपा
पाण्डुरोपा :
पंचवीर मंदिर से आधा किमी की दूरी पर पाण्डुरोपा स्थान हैं। ऐसी मान्यता हैं कि पांडव यहाँ अपने धान उगाने आते थे। वे लोग शाम को धान बोते थे और सुबह तक उनके धान पक भी जाते थे, जिसे वह अपने भोजन के लिए काट कर ले जाते थे। जबकि अब यदि इस स्थान पर धान बोए जाते है तो वह हरे ही रहते हैं कभी पकते नहीं हैं। है न अद्भुद ?
रघुपुर झील :
यहाँ रघुपुर किला जब आप घूमेंगे, तो एक छोटी झील भी मिलेगी जिसे रघुपुर लेक के नाम से जाना जाता है।
यहाँ बहुत से पर्यटक रघुपुर किले के आस पास के हरे मैदानों में रात में कैम्पों में नाईट स्टे भी करते हैं। जिससे वह sunrise, sunset और रात में खुले आकाश में तारों को देख सकें। बारिश के बाद यदि आपको आने का अवसर मिले, तो इन नज़ारों का आनंद और बड़ जाता है। क्योंकि आकाश साफ़ हो जाता है।
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जीभी – ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क
The Great Himalayan National Park (ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क)
यह पार्क कुल्लू क्षेत्र में स्थित भारत के सबसे बड़े नेशनल पार्क में से एक है। यहाँ विभिन्न प्रकार के सुन्दर अल्पाइन पेड़- पौधों एवं प्राणी जाति (flora and fauna ) पाए जाते हैं। इसका निर्माण सन 1984 में हुआ था तथा 1999 में इसे नेशनल पार्क घोषित कर दिया था। सन 2014 में ग्रेट हिमालय नेशनल पार्क को वर्ल्ड हेरिटेज साइट UNESCO के द्वारा घोषित कर दिया गया।
भोगौलिक स्थिति :
यह नेशनल पार्क सिराज फारेस्ट डिवीज़न में, जो कि कुल्लू से 60 किमी दूर स्थित है। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 1500-6000 मीटर है। यह पार्क 754 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैला हुआ है।
जैव विविधता :
इस पार्क में विभिन्न प्रकार के पौधों, जानवरों और चिड़ियों की प्रजातियां पाई जाती है।
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Verditer फ्लाई कैचर ( ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क)
प्राणिजाति ( Fauna) :
यहाँ 375 प्राणियों की प्रजातियां जिनमे स्तनधारी(mammals), सरिसर्प (reptiles), मोलस्क (molluscs), कीड़े (insects) और चिड़ियाएं हैं। जबकि जंगली प्रजातियों में ब्राउन भालू, मस्क डियर, थार, गोराल, स्नो लेपर्ड, भरल, मोनल कोकलास, ट्रैगोपैन, तहर और ब्लू शीप तथा इसके अलावा 181 चिड़ियों की प्रजातियां पाई जाती हैं।
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स्नो लेपर्ड
वनस्पति जाति ( flora) :
इस नेशनल पार्क में पेड़ पौधों की बात की जाए तो ओक, देवदार तथा 100 अन्य पौधों की प्रजातियां जिनमे मेडिसिनल हर्ब्स, पाइन, चेस्टनट, स्प्रुसेस, जुनिपर्स और अल्पाइन हर्ब्स हैं।
घूमने का सही समय :
यहाँ घूमने का सही समय मार्च से जून तक फिर सितम्बर से नवंबर तक है। सर्दियों में यहाँ नहीं आना चाहिए क्योंकि इस समय यहाँ बहुत अधिक ठण्ड और बर्फ गिरी होती है। इसके अलावा मॉनसून के समय जुलाई से सितम्बर के महीनों में भी नहीं आना चाहिए।
एंट्री फीस और परमिट :
यहाँ इस पार्क में घूमने के लिए परमिट का होना अति आवश्यक है। इस पर्मियत को आप शामशी के हेड ऑफिस से और शैरोपा और रोपा के जोनल ऑफिस से प्राप्त कर सकते हैं।
भारतियों के लिए 100 रूपये प्रतिदिन तथा विदेशियों के लिए 400 रूपये प्रति दिन देना अनिवार्य है।
ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क के आस-पास आपको होटल व रिसोर्ट नहीं मिलेंगे। आप साइरोपा के फारेस्ट रेस्ट हाउस या टूरिस्ट सेंटर में रह सकते हैं।
जीभी – कौन सी रोचक गतिविधियां कर सकते हैं ?
जीभी में आप बहुत सी रोचक गतिविधियां कर सकते हैं। जिनमे कैंपिंग, हाइकिंग, फिशिंग, बर्ड वाचिंग, वॉटरफॉल रेपेल्लिंग, ट्रेकिंग , रॉक क्लाइम्बिंग। सर्दियों में यहाँ काफी अधिक बर्फ पड़ती है।
जीभी – यात्रा के दौरान सावधानियां :
जीभी की यात्रा करते समय आपके पास एक मेडिकल किट होना चाहिए जिसमे फर्स्ट ऐड की सभी सामग्री होनी चाहिए।
इसके अलावा अच्छे स्पोर्ट्स शू ( जूते) होना बहुत ज्यादा जरूरी है।
पहाड़ों को देखते हुए कुछ कपडे ठण्ड के भी जरूर रखने चाहिए। हालाँकि गर्मियों में मौसम सुहावना रहता है लेकिन सुबह एवं रात में थोड़ा ठंडा रहता है।
पहाड़ो पर घूमने फिरने के लिए आराम दायक एवं ढीले कपड़े पहनना सही रहता है।
ट्रैकिंग के दौरान पानी साथ लेकर चलना जरूरी है। थोड़ा-थोड़ा पानी पीते रहना चाहिए जिससे आपकी बॉडी हाइड्रेट रहे।
Best Time To Visit Jibhi (घूमने का सही समय)
जीभी घूमने का सर्वोत्तम समय मार्च से जून का तथा अक्टूबर का है। इसके साथ यदि आप सर्दियों में बर्फ का आनंद लेना चाहते हैं तो नवंबर से फरवरी में भी आ सकते हैं। लेकिन उस दौरान यहाँ अधिक ठण्ड पड़ती है।
तो अब आप ट्रिप प्लान कर सकते हैं और जीभी के दर्शनीय स्थलों एवं रोचक गतिविधियों का आनंद ले सकते हैं।
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