Bharatpur बर्ड सैंक्चुअरी,फोर्ट, मंदिर, पैलेस, म्यूजियम
Bharatpur राजस्थान का एक प्राचीन शहर है जो अपने जो अपने प्राकृतिक सौंदर्य, ऐतिहासिक महत्व एवं पर्यटन स्थलों के लिए विश्व प्रसिद्ध है। भारत में अनेक राजस्व संस्कृतियां हुई थी जिनमे भरतपुर का नाम भी इस श्रेणी में आता है। आज हम इस लेख के द्वारा जानेंगे Bharatpur – बर्ड सैंक्चुअरी, फोर्ट , मंदिर, पैलेस, म्यूजियम आदि के बारे में। यदि आप भी कोई ट्रिप प्लान कर रहें है तो भरतपुर निश्चित रूप से आपकी लिस्ट में शामिल हो सकता है।
किंग फिशर ( भरतपुर बर्ड सैंक्चुअरी )
भरतपुर का इतिहास –
भरतपुर का इतिहास काफी रोचक है। इसके नाम की बात की जाए तो श्री राम के छोटे भाई, भारत के नाम पर भरतपुर पड़ा है। लक्ष्मण को यहाँ के लोग अपना कुल देवता मानते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस क्षेत्र में सबसे पहले सोगड़िया जाट सरदार जिसका नाम रुस्तम था उसका अधिकार था। बाद में सूरजमल ने इस क्षेत्र पर सन 1733 में विजय प्राप्त की और भरतपुर को अपनी राजधानी बनाया।
आपको जानकर यह आश्चर्य होगा कि उस समय भरतपुर की सीमा बहुत विस्तृत क्षेत्र तक फ़ैली हुई थी जिसमे अलवर, आगरा, मैनपुरी, हाथरस, धौलपुर, इटावा, मेरठ, अलीगढ, मेवात, रेवाड़ी, पलवल, गुड़गांव, मथुरा आदि शामिल थे।
भरतपुर के ब्रज क्षेत्र में होने के कारण इसे राजस्थान का पूर्वी द्वार भी कहा जाता है। यह 600 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित है।
Bharatpur Distance —
दिल्ली से भरतपुर की दूरी सड़क मार्ग द्वारा लगभग 224 किमी है।
जयपुर से भरतपुर की दूरी लगभग सड़क मार्ग द्वारा लगभग 186 किमी है।
उदयपुर से भरतपुर की दूरी सड़क मार्ग द्वारा लगभग 579 किमी है।
चंडीगढ़ से भरतपुर की दूरी सड़क मार्ग द्वारा लगभग 452 किमी है।
आगरा से भरतपुर की दूरी सड़क मार्ग द्वारा लगभग 57.8 किमी है।
जोधपुर से भरतपुर की दूरी सड़क मार्ग द्वारा 521 किमी है।
Bharatpur – दर्शनीय स्थल
ब्लू बर्ड भरतपुर बर्ड सैंक्चुअरी
Bharatpur Bird Sanctuary — Keoladeo National Park
यदि आप प्रकृति से प्रेम करते हैं तो आपको भरतपुर बर्ड सैंक्चुअरी जिसे केवलादेव नेशनल पार्क के रूप में भी जाना जाता है एक अच्छी और रोमांचक जगह है। इसे सन 1985 में UNESCO द्वारा संरक्षित विश्व धरोहर के रूप में रखा गया है। इस पार्क में प्रवासी पक्षियों के साथ अन्य जीव, विभिन्न प्रकार के फूल, पेड़ पौधों के वृक्ष देखने को भी मिल जाएंगे। यहाँ पाए जाने वाले पक्षी और जीव जंतु की बात करें तो
- पक्षियों की प्रजातियां — 375
- मछलियों की प्रजातियां — 50 से अधिक
- वनस्पतियों की प्रजातियां — 380 से अधिक
- साँपों की प्रजातियां — 13
- इसके अलावा कछुए, छिपकलियां आदि की भी अनेक प्रजातियां देखने को मिल जाएंगी।
आप यदि सर्दियों में जाएंगे तो इस राष्ट्रीय उद्यान में घूमने का अधिक आनंद उठा सकते हैं क्योंकि दिन के समय तापमान 24- 26 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहता है।
डीग पैलेस
Deeg Palace – डीग पैलेस
भरतपुर घूमने जाएँ तो डीग पैलेस जरूर देखें। यह स्थान भरतपुर से लगभग 32 किमी की दूरी पर स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि गर्मियों में राजसी परिवार के सदस्य व राजा इसी महल में आकर रहते थे। यह उस समय उनकी ग्रीष्मकालीन राजधानी हुआ करती थी। यह स्थान भव्य जल महलों, सुन्दर बाग- बगीचों, सैकड़ों फव्वारों के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ के महलों की वास्तुकला मुग़ल साम्राज्य से प्रभावित है। जबकि बगीचे आपको चारबाग़ की याद दिला देंगे।
यहाँ बगीचों में चारों ओर आपको सैकड़ों फव्वारे देखने को मिल जाएंगे। इतने फव्वारों में जब एक साथ पानी चलता था तो यहाँ गर्मियों में तापमान में भी गिरावट रहती थी। होली के अवसर पर इन फव्वारों में से रंग बिरंगे पानी गिराया जाता था जो यहाँ के वातावरण को खुशनुमा बना देता था।
इन फव्वारों के द्वारा मानसून जैसा माहौल बनाया जाता था इसके लिए छत पर धातु की गेंदे (metal balls)डाली जाती थी। जो कि पानी के दबाव से इधर से उधर जाती रहती थी जिससे गड़गड़ाहट की आवाज होती थी जो कि मानसून में बादलों की गड़गड़ाहट की तरह लगती थी।
आज भी यहाँ सितम्बर माह में तीन दिन का डीग उत्सव मनाया जाता है।
लोहागढ़ किला
Lohagarh Fort – लोहागढ़ किला
लोहागढ़ किला राजस्थान का प्रमुख किला है। यह एक अभेद्य और मजबूत किला है जिसे मुग़ल, मराठा और अंग्रेज़ भी नहीं जीत सके थे। इसलिए इसको लोहागढ़ किला नाम दिया गया है। इसका निर्माण 1733 में अपार धन सम्पदा खर्च करके राजा सूरजमल ने करवाया था। राजा सूरजमल ने इस किले की मजबूती और सुरक्षा के लिए इसके चारों और सुजान गंगा नहर बनाई गयी।
शहर में प्रवेश के लिए मजबूत 12 गेट बनवाये गए थे। यही नहीं शहर के चारों ओर सुरक्षा की दृष्टि से मिटटी का परकोटा भी बनाया गया। इस किले की दीवारों के विषय में कहा जाता है कि उस समय के तोप, गोले बारूद भी इस को भेद नहीं पाए थे क्योंकि किले की बाहरी दीवारें, सैकड़ों फुट चौड़ी मिट्टी की बनाई जाती थीं। जिससे तोप के गोले इस दीवार में ही धस जाते थे और किले की आंतरिक दीवार को जो कि ईटों- पत्थरों से बनी हुई थी नुक्सान नहीं पहुंचा पाते थे।
आज कल इस किले के अधिकांश भाग में म्यूजियम और सरकारी कार्यालय बना दिए गए हैं।
Ganga Mandir – गंगा महारानी मंदिर
यह राजस्थान का एक प्रमुख मंदिर है जहाँ काफी संख्या में पर्यटक आते हैं। यह मंदिर गंगा मैया को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण सं 1845 में जाट शासक राजा बलवंत सिंह ने करवाया था। आपको जानकार आश्चर्य होगा कि इस मंदिर के निर्माण में करीब 90 वर्ष का समय लग गया। ऐसा कहा जाता है कि जब राजा बलवंत सिंह के यहाँ बहुत समय बीतने तक भी संतान नहीं हुई तब उन्होंने इस मंदिर का निर्माण करने का निश्चय किया।
इस मंदिर में आप गंगा महारानी को मगरमच्छ पर सवारी करते हुए देखेंगे। यह मूर्ति सफ़ेद संगमरमर की बनी हुई है। माँ गंगा की मूर्ति के पास ही राजा भागीरथ की हाथ जोड़कर प्रणाम करते हुए 4 फ़ीट ऊँची प्रतिमा है। यह प्रतिमाएं देखने में बहुत सुन्दर लगती हैं।
गंगा मंदिर का भवन दो मंजिला बना हुआ है। इस मंदिर की दीवारों और स्तम्भों पर आपको सुन्दर नक्काशी के नमूने देखने को मिल जाएंगे। मंदिर की वास्तुकला अपने आप में बेजोड़ है जो कि राजपूताना, दक्षिण भारतीय और मुग़ल शैली का मिश्रण देखने को मिलेगी।
इस मंदिर में गंगा सप्तमी और गंगा दशहरा का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है। प्रशाद में गंगा जल दिया जाता है।
Bharatpur Lakshman Mandir – लक्ष्मण मंदिर
भरतपुर में लक्ष्मण मंदिर एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। यह शहर के मध्य बाज़ार में स्थित है। इस मंदिर की नीव महाराजा बलदेव सिंह ने रखी थी जबकि इसका निर्माण कार्य उनके सुपुत्र राजा बलवंत सिंह ने 300 साल पहले करवाया था। यह मंदिर नया लक्ष्मण मंदिर माना जाता है। जबकि एक पुराना लक्ष्मण मंदिर भी है। ऐसा कहा जाता है कि पुराने मंदिर का निर्माण नागा साधु द्वारा किया गया था।
राजसी परिवार अपने कुल देवता लक्ष्मण जी को मानते हैं इसी कारण यह मंदिर लक्ष्मण जी को समर्पित है। यहाँ लक्ष्मण जी व देवी उर्मिला की बड़ी प्रतिमा है। यहाँ आपको राम जी, भरत, शत्रुघ्न एवं हनुमान जी की भी प्रतिमाएं हैं। सभी मूर्तियां अष्टधातु से निर्मित हैं।
इस मंदिर का निर्माण बंसी पहाड़पुर के बादामी पत्थर से राजस्थानी शैली में करवाया गया है। मंदिर की छत, स्तम्भ, दरवाज़े, आदि पर कलाकृतियों के नमूने देखते ही बनते हैं।
भरतपुर पैलेस
Bharatpur Palace – भरतपुर पैलेस म्यूजियम
भरतपुर शाही परिवार का शाही महल हुआ करता था लेकिन आजकल इस महल को हेरिटेज होटल एवं संग्रहालय में बदल दिया गया है। यह महल बहुत बड़ा एवं भव्य है। महल की वास्तुकला में मुग़ल एवं राजपूत शैली का मिश्रण देखने को मिलता है। संगमरमर से बना यह महल, छत एवं दीवारों पर की गयी उत्कृष्ट कलाकृतियां अपने आप में बेजोड़ है।
भरतपुर पैलेस के अंदर ही संग्रहालय बना हुआ है जिसमे 581 पत्थर की मूर्तियां, पौराणिक शास्त्र, शिल्प का सामान, 861 स्थानीय कला के नमूने रखे है जो भरतपुर की सांस्कृतिक कला को दर्शाती है।
बांके बिहारी मंदिर
Bharatpur Baanke Bihari Temple – बांके बिहारी मंदिर
भरतपुर शहर के मध्य में स्थित बांके बिहारी मंदिर एक सुप्रसिद्ध मंदिर है । यह मंदिर भगवान श्री कृष्ण को समर्पित 7 मंदिरों में से एक है। इसकी वास्तुकला वृन्दावन के बांके बिहारी मंदिर से मिलती जुलती है। यह 150 वर्ष पुराना मंदिर है। मंदिर में श्री राधा कृष्ण की सुन्दर मूर्तियां, दीवारों पर श्री कृष्ण के बचपन की कहानियाँ चित्रित है। इसके अलावा अन्य देवी देवताओं की भी तस्वीरें अलंकृत हैं। यहाँ प्रतिदिन भक्तों की बड़ी संख्या दर्शन के लिए आती हैं।
भरतपुर एक ऐतिहासिक शहर है यहाँ आकर आप प्राकृतिक सौंदर्य, ऐतिहासिक इमारतें तथा प्राचीन मंदिर सभी का एक साथ आनंद उठा सकते हैं। पर्यटन की दृष्टि से यह उत्तम स्थान है। आपको यह जानकारी कैसी लगी कमेंट करें।
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