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Auto Immune Diseases – कारण, लक्षण, बचाव, आहार


आज भले ही हमने विज्ञान में कितनी ही तरक्की क्यों न कर ली हो, लेकिन आज भी विज्ञान के लिए रूमेटाइड अर्थराइटिस, थायरॉयडाइटिस,सिस्टेमेटिक लुपस ऐरीथेमटोसस जैसी कई ऑटो इम्यून डिसीसेस आज भी चुनौती बन कर खड़ी हैं। तो आइए जानते हैं Auto Immune Diseases  – कारण, लक्ष्ण, बचाव आहार के बारे में।

Auto Immune Diseases – क्या होती हैं ऑटो इम्यून व्याधियाँ ?

जैसा कि हम सभी जानते हैं। हमारा इम्यून सिस्टम शरीर पर बाहर से हमला करने वाले जीवाणुओं, एलर्जी, विषद्रव्य आदि को स्वयं ही ख़त्म कर देता है।  इम्यूनो ग्लोब्युलिन्स के द्वारा यह सब करने में सक्ष्म होता है। लेकिन किसी कारणवश जब इंसान का इम्यून सिस्टम बाहरी दुश्मनों के बजाय अपनी ही कोशिकाओं पर हमला करना शुरू कर देता है, तब ऑटोइम्यून व्याधियाँ जन्म लेती हैं। ऑटोइम्यून बिमारियों में हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली शरीर के किसी स्वस्थ हिस्से को बाहरी समझकर उसे नुकसान पहुँचाने लगती है। इसके अलावा यह रोग प्रतिरोधक प्रणाली शरीर के स्वस्थ ऊतकों को नष्ट करने के लिए एंटीबॉडीज बनाने लग जाती है।

Cause – क्या कारण हैं ऑटो इम्यून व्याधियों के ?

ऑटोइम्यून व्याधियाँ क्यों होती हैं ? हालांकि अभी तक इसे वैज्ञानिक भी नहीं समझ पाए हैं। ऐसा पाया गया कि महिलाओं में ऑटोइम्यून डिजीज के अधिक मामले देखे गए हैं, जबकि पुरुषों में इसके मामले कम सामने आये हैं। इसके अलावा अयोग्य जीवन शैली, आहार, विरुद्ध अन्न, मानसिक तनाव व अनुवांशिकता ऐसे अनेक कारणों से ऑटोइम्यून व्याधियों की संभावना बढ़ जाती है।
Auto Immune Diseases _ Stress

मानसिक तनाव

अयोग्य आहार आदि कारणों से जठराग्नि तथा धात्वग्नि में आई हुई दुर्बलता आम को जन्म देती है। ये आम विविध धातुओं में जाकर उन बिमारियों को पैदा करता है, जिन्हे आजकल ऑटोइम्यून बीमारी माना जाता है। इसके अलावा आजकल पर्यावरण में बदलाव, अधिक केमिकल का इस्तेमाल, ड्रग्स का सेवन आदि कारण हैं।

Symptoms – क्या लक्ष्ण हैं ऑटोइम्यून व्याधियों के ?

Auto Immune Diseases के लक्ष्ण आम बीमारियों की तरह सामान्य हैं। जिसकी वजह से यह हमारे शरीर में पनपते रहते हैं और हमें इसका पता भी नहीं चलता है। आमतौर पर इसमें दर्द प्रमुख है। साथ में पाचन तंत्र  कमजोर होना, थकान महसूस करना, सूजन व लालिमा, हल्का बुखार होना, ध्यान देने में कठिनाई होना, त्वचा पर चकत्ते पड़ना, हाथ व पैरों में झनझनाहट व सुन्नपन होना तथा बालों का झड़ना आदि। इसके अलावा ऑटो इम्यून डिजीज शरीर के कौन से हिस्से को प्रभावित कर रही है उसके अनुसार भी अलग अलग लक्ष्ण देखने को मिलते हैं। जैसे- टाइप 1 डायबिटीज़ में ऑटोइम्यून प्रणाली हमारे अग्न्याशय में उपस्थित उन कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने लगती है जो इन्सुलिन बनाती है।

 

Pain IN Stomach in Auto Immune Diseases

पेट दर्द

Prevention – क्या बचाव हैं ऑटोइम्यून व्याधियों के ?

ऑटोइम्यून व्याधियों का इलाज़ पूरी तरह से अभी तक नहीं किया जा सका है। हालाँकि डॉक्टर इससे होने वाले लक्षणों को नियंत्रण में रखने की दवा देते हैं। जिससे जलन, सूजन, लालिमा, दर्द और अनेक परेशानियाँ कम होने लगती हैं। डॉक्टर अनेक शारीरिक परीक्षणों के बाद ही उचित टेस्ट निर्धारित करते हैं।

What to Eat In Auto Immune Diseases – क्या खाएं ऑटोइम्यून व्याधियों में ?

ऑटोइम्यून बीमारियों से बचने के लिए या उनको काबू में रखने के लिए सबसे पहले तो पाचन प्रणाली तथा पाचक अग्नि को मज़बूत रखना चाहिए। संतुलित जठराग्नि व धात्वग्नि भोजन के प्रत्येक तत्वों को पचाने की क्षमता रखती है। इससे ऑटोइम्यून व्याधियाँ उत्पन्न होने की संभावना काफी कम होती है।
 Spices_ Auto Immune Diseases
मसाले
हल्दी, धनिया, अजवाइन, लौंग, सौंठ, जीरा, इलायची, तेज़पत्ता जैसे द्रव्य अग्नि को बल प्रदान करते हैं। आहार में इनके इस्तेमाल से पाचन प्रणाली का कार्य सुधर जाता है।
Fruits n Vegetables _ Auto immune diseases
फल एवं सब्ज़ियां
ऑटोइम्यून व्याधियों से पीड़ित मरीजों में एंटीऑक्सीडेंट की कमी अकसर देखी जाती है। इसलिए एंटीऑक्सीडेंट् बढ़ाने वाले पदार्थों का सेवन अवश्य करना चाहिए। ज्यादातर फल एवं सब्जियाँ एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं।  इनका नियमित सेवन बहुत लाभ देता है।
पेठा, बथुआ, गाजर, टिंडा, तोरई, गोभी, परवल, शलगम, भिंडी, पत्तागोभी, चुकंदर आदि सब्जियाँ तथा सेब, अनार, पपीता, लीची, आड़ू, नाशपाती इत्यादि जैसे फल इसमें लाभदायी माने जाते हैं।

Precautions In Auto Immune Diseases – सावधानियाँ ऑटोइम्यून व्याधियों में —

इसके विपरीत अग्नि को दुर्बल बनाने वाली चीज़ें आम बनाकर ऑटोइम्यून विकारों की संभावना बढ़ा देती हैं। दही, पनीर, भैंस का दूध, आइसक्रीम, मांस, मछली, अंडे, पिज़्ज़ा, ब्रैड, चॉकलेट जैसे खाद्य पदार्थ भारी होने की वज़ह से अग्नि को दुर्बल बनाते हैं।
इसके अलावा मैदा, साबूदाना, हाइड्रोजनेटेड घी एवं मिठाई भी पचने में भारी व आम बनाती है। कई अनाज एवं दालों और उनके छिलकों में ऐसे पदार्थ होते हैं, जिनको हजम करना हमारी अग्नि के लिए मुश्किल होता है। अगर ऐसे द्रव्यों का सेवन बार बार किया जाए तो न पचे हुए तत्व ऑटोइम्म्यूनिटी को जन्म दे सकते हैं।
अरहर, उड़द, चना, छोले, राज़मा,लोबिया, मोठ, गेहूँ, मक्का जैसे अनाजों व दालों का सेवन सावधानीपूर्वक करना चाहिए और वह ठीक प्रकार से हजम हो रहें हैं इस बात का ध्यान रखना चाहिए।
 शीतकाल में शीतल द्रव्य सेवन करना, उष्ण काल में उष्ण द्रव्य अधिक सेवन करना या उष्ण और शीतल द्रव्य एक साथ सेवन करना विरुद्ध अन्न कहलातीँ हैं।
 इसके अलावा योग व व्यायाम को अपनी दिनचर्या में जरूर शामिल करना चाहिए।
इस प्रकार इस बीमारी के संदर्भ मैं यही कहना उचित होगा कि सावधानी में ही बचाव है। सात्विक भोजन और व्यायाम के द्वारा इस रोग पर काबू पाया जा सकता है।

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