रीढ़ की हड्डी तंत्रिका तंत्र का एक अनिवार्य हिस्सा | स्पाइनल कॉर्ड इंजरी | कार्य व लक्षण
रीढ़ की हड्डी तंत्रिका तंत्र का एक अनिवार्य हिस्सा है
रीढ़ की हड्डी हमारे तंत्रिका तंत्र का मुख्य भाग है। यह तंत्रिकाओं और कोशिकाओं से बना होता है जो मस्तिष्क से शरीर के बाकी हिस्सों तक संदेश भेजता है।
- मस्तिष्कमेरु द्रव का रिसाव कब होता है?
- रीढ़ की हड्डी में चोट लगने से क्या समस्याएँ हो सकती हैं?
- रीढ़ की हड्डी की देखभाल कैसे करें?
ब्रेन और स्पाइनल कॉर्ड से मिलकर हमारा सेंट्रल नर्वस सिस्टम बनता है। यह शरीर की सभी एक्टिविटीज को नियंत्रित करता है। इसलिए स्पाइनल कॉर्ड में चोट लगने से पैरालिसिस, मेमोरी लॉस, ब्रेन डैमेज जैसी कोई भी गंभीर समस्या हो सकती है।
रीढ़ की हड्डी से पूरा शरीर चलता है
रीढ़ की हड्डी हमारे मस्तिष्क से शरीर के बाकी हिस्सों और पीठ तक तंत्रिका संकेतों (संदेशों) को पहुंचाती है। ये सिग्नल विद्युत संदेश हैं। इनकी मदद से हमारा शरीर ठीक से काम कर पाता है।
इसे ऐसे समझें कि शरीर के सभी छोटे-बड़े कार्यों में रीढ़ की हड्डी ही काम करती है। यदि धूल के कण तेज गति से आंखों की ओर आते दिखाई दें तो रीढ़ की हड्डी की जिम्मेदारी है कि वह तुरंत पलकें बंद कर आंखों की सुरक्षा करें।

मस्तिष्क द्रव क्या है
दरअसल, हमारी रीढ़ की हड्डी और मस्तिष्क के चारों ओर सेरेब्रोस्पाइनल द्रव का एक कवच होता है। यह ढाल नाजुक मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को गंभीर चोट से बचाती है।
cerebrospinal fluid (CSF) एक क्लियर लिक्विड है। यह नाज़ुक ब्रेन और स्पाइनल कॉर्ड के लिए कुशन की तरह काम करता है। चोट लगने पर यह cushion पंक्चर हो जाता है और फ्लूइड बाहर निकल जाता है।
रीढ़ की हड्डी में चोट लगने पर दिख सकते हैं ये संकेत
यदि कोई चोट मस्तिष्कमेरु द्रव अवरोध को तोड़ती है और रीढ़ की हड्डी तक पहुंचती है। तो यह नसों और ऊतकों को नुकसान पहुंचा सकती है। इससे पक्षाघात, स्मृति हानि या शरीर के कार्यों पर नियंत्रण की हानि हो सकती है।
हमें चलने और संतुलन बनाने में दिक्कत हो सकती है. यदि मूत्राशय पर नियंत्रण खो जाता है, तो न चाहते हुए भी मूत्र निकल सकता है। ऐसी स्थिति में और क्या लक्षण दिख सकते हैं, यह जानने के लिए ग्राफिक देखें।

रीढ़ की हड्डी की चोट से बचने के लिए क्या करें?
चूंकि रीढ़ की हड्डी तंत्रिका तंत्र का मुख्य भाग है। इसलिए छोटी सी चोट भी बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है। यदि हम नियमित व्यायाम और स्ट्रेचिंग करते हैं, तो रीढ़ के आसपास की मांसपेशियां अधिक लचीली और मजबूत हो जाती हैं। इससे चोट से होने वाला नुकसान कम हो जाता है। हमारे लिए अपना पॉश्चर सही रखना भी बहुत जरूरी है।

रीढ़ की हड्डी से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण सवाल और जवाब
प्रश्न: रीढ़ की हड्डी में चोट कब लगती है?
उत्तर: ज्यादातर मामलों में रीढ़ की हड्डी में चोट अधिक ऊंचाई से गिरने, सड़क दुर्घटना या खेल के दौरान चोट लगने के कारण होती है। यह ट्यूमर, अपक्षयी रोगों और संवहनी स्थितियों के कारण भी हो सकता है।
प्रश्न: रीढ़ की हड्डी की चोट से ठीक होने में कितना समय लगता है?
उत्तर: आमतौर पर रीढ़ की हड्डी में चोट लगने पर सर्जरी की जरूरत पड़ती है। इससे उबरने में 6-12 महीने तक का समय लग सकता है। इस दौरान आपको डॉक्टर के सभी निर्देशों का पालन करना चाहिए। इस दौरान सिगरेट और शराब का सेवन न करें। इसके अलावा चाय और कॉफी पीने से भी बचें।
प्रश्न: मस्तिष्कमेरु द्रव रिसाव के लक्षण क्या हैं?
उत्तर: मस्तिष्कमेरु द्रव का रिसाव आमतौर पर इतना छोटा होता है कि इसका मस्तिष्क पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं पड़ता है। कभी-कभी इसके लक्षणों को पहचानना भी मुश्किल हो जाता है।
यदि घाव गहरा है और तरल पदार्थ अत्यधिक रिस रहा है, तो निम्नलिखित लक्षण दिखाई दे सकते हैं:
- स्वाद और सूंघने की क्षमता कम हो सकती है.
- दृष्टि में धुंधलापन हो सकता है.
- सुनने की क्षमता कम हो सकती है.
- आपकी नाड़ी या दिल की धड़कन सुनाई देने लगती है।
- गर्दन के आसपास बहुत अधिक तनाव या दर्द हो सकता है।
- असहनीय सिरदर्द या पीठ दर्द हो सकता है.
- मतली और उल्टी हो सकती है.
- फोटोफोबिया हो सकता है, यानी रोशनी की समस्या हो सकती है।
प्रश्न: सेरेब्रोस्पाइनल रिसाव कितने समय तक रहता है?
उत्तर: यह इस बात पर निर्भर करता है कि मस्तिष्कमेरु द्रव में कितना बड़ा छेद है और इसका कारण क्या है। यह रिसाव कई दिनों, हफ्तों या महीनों तक बना रह सकता है। हालाँकि, समय पर इलाज कराना बहुत ज़रूरी है।
