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पहाड़ों का स्वाद: स्वाद और सेहत का संगम है पहाड़ों में उगने वाली ये सब्जी, इस खास विधि से बनाई जाती है


गेठी उत्तराखंड के बागेश्वर जैसे कई पहाड़ी इलाकों में बड़े पैमाने पर उगाई और खाई जाती है। गेठी स्वाद में जितनी स्वादिष्ट होती है, उतने ही इसके आयुर्वेदिक फायदे भी होते हैं। आज भी पहाड़ी लोग इसे शुद्ध पहाड़ी शैली में बनाते हैं और बड़े स्वाद से खाते हैं। गेठी की सब्जी सर्दियों में गर्मी बढ़ाने का भी काम करती है. गेठी की सब्जी अपनी अनोखी सुगंध और स्वाद के लिए मशहूर है.

इस सब्जी को बहुत ही सावधानी से बनाया जाता है. गेठी न सिर्फ स्वादिष्ट होती है बल्कि आयुर्वेदिक गुणों से भी भरपूर होती है. इसलिए इसे सेहत के लिए भी फायदेमंद माना जाता है. पहाड़ के लोग इसे पारंपरिक तरीके से बनाते हैं और चाव से खाते हैं.

गेठी की सब्जी कैसे बनाये
गेठी की सब्जी बनाने की विधि थोड़ी अलग और पारंपरिक है. इसे पहले गर्म पानी में उबालकर नरम किया जाता है। इसके बाद इसे पहाड़ी मसालों के साथ पकाया जाता है. इस सब्जी का असली स्वाद तब आता है जब इसमें बिना नशीला भांग के बीज का रस मिलाया जाता है. यह जूस सब्जी को अनोखा स्वाद और गाढ़ापन प्रदान करता है। जिससे सब्जियों का स्वाद चार गुना बढ़ जाता है.

भांग के बीज का उपयोग
गैर-नशीले भांग के बीज, जिन्हें स्थानीय भाषा में ‘भांगजड़ी’ भी कहा जाता है, का उपयोग सब्जी का स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता है। इन बीजों को पीसकर पानी में मिलाकर इसका रस निकाल लिया जाता है और फिर इसे मसाले के रूप में उपयोग किया जाता है। यह सब्जी खाने में स्वादिष्ट बनती है और सर्दियों में शरीर को गर्म रखने में मदद करती है।

स्वाद और सेहत का संगम
गेठी की सब्जी स्वाद और सेहत दोनों के लिए लाजवाब होती है. इसे खाने से ठंड के मौसम में शरीर को ऊर्जा मिलती है और यह पाचन क्रिया को भी बेहतर बनाता है। आयुर्वेद में इसे गर्म प्रकृति वाला और औषधीय गुणों से भरपूर बताया गया है। खासकर पहाड़ी लोगों के बीच इसे पसंद किया जाता है.

पारंपरिक व्यंजनों की बढ़ती लोकप्रियता
गेठी की सब्जी अब सिर्फ पहाड़ी इलाकों तक ही सीमित नहीं रह गई है, बल्कि इसे मैदानी इलाकों में भी पसंद किया जाने लगा है. पारंपरिक व्यंजनों के प्रति बढ़ती रुचि के कारण यह सब्जी नए लोगों को आकर्षित करती है। यह पहाड़ की संस्कृति का अहम हिस्सा होने के साथ-साथ पहाड़ की थाली और चूल्हा की अमूल्य धरोहर भी है।


Kavita Singh

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