जयपुर की इस अनोखी मिठाई की साल भर रहती है डिमांड, बनाना है बेहद आसान, तुरंत नोट कर लें रेसिपी
जयपुर. जयपुर अपने लजीज जायके के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। जयपुर की मशहूर मिठाइयों की डिमांड पूरी दुनिया में है. मालपुआ भी यहां की खास मिठाई है, सर्दियों में इसकी काफी मांग रहती है. इस अनोखी मिठाई की उत्पत्ति 500 साल पहले जयपुर से 25 किलोमीटर दूर गोनेर कस्बे में हुई थी। आज यह अनोखी मिठाई गोनेर कस्बे की खास पहचान बन गई है। गोनेर कस्बे में 70 से 80 मालपुआ की दुकानें हैं, जहां हर समय मालपुआ बनाया जाता है.
यह अनोखी मिठाई गोनेर के मंदिर में जगदीश महाराज को चढ़ाई जाती है। यहां के लोग पीढ़ी दर पीढ़ी मालपुआ मिठाई बनाते आ रहे हैं. मालपुआ मिठाई एक ऐसी अनोखी मिठाई है, जिसे बनाने में सबसे कम खर्च आता है और इसका स्वाद सबसे अच्छा होता है. यह एक ऐसी मिठाई है, जिसका लोग स्वाद के तौर पर नहीं बल्कि भरपूर आनंद लेते हैं. गोनेर में होने वाली सवामणियों में इसका प्रयोग सबसे अधिक होता है।
मालपुआ दो प्रकार के बनाये जाते हैं
गोनेर में बनने वाली यह अनोखी मिठाई हर जगह बनाई जाती है, लेकिन इसका असली स्वाद गोनेर में ही आता है. आपको बता दें कि मालपुआ दो तरह से बनाया जाता है. एक शुद्ध देसी घी में और दूसरा सामान्य तेल में तैयार किया जाता है. दोनों तरह से बनाई गई मिठाइयों के स्वाद में अंतर होता है. साथ ही यह अनोखी मिठाई तीखे मसालों के बिना अधूरी मानी जाती है. इसलिए इसके साथ राजस्थान का मशहूर मिर्च टपोरा और केरी अचार भी परोसा जाता है. यहां दूर-दूर से लोग पैकिंग करवाने आते हैं। हर तरह के प्रोग्राम में मालपुआ की डिमांड रहती है. इसलिए इसकी मांग साल भर बनी रहती है.
इस तरह तैयार होता है मालपुआ
आपको बता दें कि मालपुआ गेहूं के आटे के मीठे घोल से बनाया जाता है. जिसे एक बड़े आकार के पैन में शुद्ध देसी घी में कुछ मिनटों तक तला जाता है. जब यह अच्छे से पक जाए तो इसे मीठी चीनी की चाशनी में डुबोया जाता है और कुछ मिनटों के बाद इसे चाशनी से निकालकर एक बड़े बर्तन में रख दिया जाता है. इसके बाद इसे खाने के लिए परोसा जाता है. लोगों की मांग के अनुसार मालपुए बड़े और छोटे दोनों साइज में बनाये जाते हैं. मालपुआ बनाने में ज्यादा समय नहीं लगता है. शुद्ध देसी घी का मालपुआ 200 रुपये प्रति किलो और तेल का मालपुआ 100 रुपये प्रति किलो मिलता है. साथ ही बड़ी रसोई जहां 2-3 हजार लोग मालपुआ प्रसाद लेते हैं, वहां इसकी कीमत अलग होती है.
27 नवंबर, 2024