आज तक नहीं बनी इस मिठाई की कॉपी, विदेशों तक पहुंची झुमरी तिलैया कलाकंद की डिमांड, जानें क्यों है खास
कोडरमा. आज के आधुनिक समय में किसी भी लोकप्रिय वस्तु की कॉपी होना कोई बड़ी बात नहीं है। यहां तक कि खाने-पीने की चीजों और मिठाइयों की भी नकल होने लगी है. लेकिन, विदेशों में अपनी मिठास की छाप छोड़ने वाले कोडरमा के मशहूर मलाईदार और दानेदार केसर कलाकंद की नकल आज तक कोई नहीं कर पाया है. दिलचस्प बात यह है कि कई मिठाई दुकानदारों ने कोडरमा के कलाकंद कारीगरों को दूसरे शहर में ले जाकर प्रसिद्ध केसर कलाकंद बनाने की कोशिश की, लेकिन जिले के बाहर के कारीगर भी इसमें सफल नहीं हो सके.
लोग पहली बार पागल हो जाते हैं
झुमरी तिलैया में केसरिया कलाकंद के लिए मशहूर कन्हैया स्वीट्स के संचालक विकास सेठ ने लोकल 18 को बताया कि यहां का कलाकंद वर्षों से आपसी रिश्तों की मिठास बढ़ाने का भी माध्यम रहा है. मलाईदार और दानेदार केसर कलाकंद मुंह में जाते ही घुल जाता है. कम मिठास में भी लोगों को लाजवाब स्वाद देता है. बॉस को खुश करना हो या राजनीतिक दलों के बड़े नेताओं का स्वागत करना हो या फिर किसी शादी में शामिल होना हो, शहरवासी यहां से कलाकंद जरूर ले जाते हैं।
विदेशों में भी मांग
आगे बताया गया कि इस कलाकंद की डिमांड इसलिए है क्योंकि इसे चखने के बाद लोग इससे प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाते हैं. इसे उपहार में देने वाले लोग अपनी अगली मुलाकात में इस कलाकंद को लाने का अनुरोध भी करते हैं। दुबई, दक्षिण अफ्रीका और अन्य देशों में रहने वाले कोडरमा के लोग विदेशों में कलाकंद अपने साथ ले जाते हैं और जो भी एक बार इसका स्वाद चख लेता है वह इसका दीवाना हो जाता है.
20 मिनिट में तैयार, ड्राई फ्रूट्स से सजाइये
विकास ने बताया, कलाकंद को तैयार करने में 15 से 20 मिनट का समय लगता है. आवश्यकतानुसार दूध को धीमी और तेज आंच पर उबाला और गाढ़ा किया जाता है। इसके बाद इसमें थोड़ी मात्रा में फिटकरी मिलाकर इसे दानेदार बना लिया जाता है। फिर इसे एक ट्रे में डालकर ठंडा होने के लिए छोड़ दिया जाता है. ठंडा होने के बाद इसे केसर, बादाम और पिस्ता से गार्निश किया जाता है. इसके बाद इसे छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर ग्राहक की मांग के अनुसार डिब्बों में उपलब्ध कराया जाता है। बताया कि ठंड के दिनों में कलाकंद 72 घंटे तक पूरी तरह सुरक्षित रहता है। दूध से बनी मिठाई होने के कारण इसे ज्यादा दिनों तक स्टोर करके नहीं रखा जा सकता.
केसर कलाकंद की मांग अधिक है
वर्तमान में झुमरी तिलैया में चार प्रकार के कलाकंद उपलब्ध हैं। इनमें सफेद, केसर, गुड़ कलाकंद और शुगर फ्री कलाकंद की रोजाना बड़े पैमाने पर बिक्री होती है। इनमें केसर कलाकंद सबसे ज्यादा बिकता है। सादा कलाकंद, केसर कलाकंद 480 रुपये प्रति किलो, शुगर फ्री कलाकंद, गुड़ कलाकंद 520 रुपये प्रति किलो बिक रहा है।
कोडरमा में कलाकंद का इतिहास
जानकार बताते हैं कि 1955-56 में जब यहां बड़े पैमाने पर अभ्रक का काम होता था. तब कलाकंद की मिठाई सबसे पहले झुमरी तिलैया के भाटिया मिष्ठान भंडार में बनाई गई थी। पंजाब से तिलैया आकर बसे होटल मालिक करण सिंह भाटिया और उनके बेटे हंसराज भाटिया और मुल्क राज भाटिया को यह भी नहीं पता था कि कलाकंद कैसे बनता है. फिर उन्होंने किसी तरह छेना जमाकर इसे तैयार करना शुरू किया. लेकिन, यहां के पानी और वातावरण ने कलाकंद को बहुत स्वादिष्ट और मलाईदार बना दिया। शुरूआती दौर में कलाकंद केवल भाटिया स्वीट शॉप में ही बिकता था। 1980 के आसपास झंडा चौक स्थित भाटिया मिष्ठान भंडार किसी कारणवश बंद हो गया था।
20 नवंबर, 2024