Gwalior | 17 मशहूर पर्यटन स्थल ऐतिहासिक नगर ग्वालियर के
Gwalior एक ऐतिहासिक नगर है। यह भारत के मध्य प्रदेश राज्य का प्रमुख शहर है। इस शहर का निर्माण बघेल शासक सूरज सेन पाल ने करवाया था। यह शहर अपने मंदिरों, प्राचीन महलों और विभिन्न स्मारकों के लिए जाना जाता है। आइए जानते हैं, 17 मशहूर पर्यटन स्थल ग्वालियर के जिनको देखे बगैर ग्वालियर की यात्रा पूर्ण नहीं हो पाती है।
History Of Gwalior (इतिहास)
ग्वालियर के इतिहास का भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान है। वर्ष 1857 में पहली क्रांति यहीं से आरंभ हुई थी। इस लड़ाई में मराठा वंश की झाँसी की महारानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों के विरूद्ध लड़ते हुए अपने प्राण न्यौछावर किए थे। इसके अलावा ग्वालियर शहर को गालव ऋषि की तपोभूमि भी कहा जाता है।
इस शहर के नाम की बात की जाये तो इसके पीछे भी एक कथा जुड़ी हुई है। एक बार राजा सूरजसेन पाल गंभीर रूप से बीमार पड़ गए थे। तब ग्वालिपा नामक संत ने उन्हें स्वस्थ कर नया जीवन दिया था। तब से उन्हीं के नाम पर ग्वालियर शहर का नाम पड़ गया।
ग्वालियर शहर किलों के लिए प्रसिद्ध है। इसीलिए ग्वालियर को हिन्दुस्तान के किलों के हार का मोती भी कहा जाता है। यहाँ पत्थरों से निर्मित मंदिर और मूर्तियाँ वास्तुकला का एक अद्भुत नमूना हैं। ग्वालियर का किला अपनी भव्यता के लिए प्रसिद्द है। आप किले से पूरे शहर का नज़ारा देख सकते हैं।
ग्वालियर शहर में आप इन 12 पर्यटक स्थलों को घूमने का आनंद तो उठा सकते ही हैं, लेकिन इसके साथ यहाँ प्राकृतिक सौंदर्य भी अपार है। खूबसूरत पहाड़ियां, चारों ओर हरियाली और यहाँ की खुशनुमा जलवायु आपकी यात्रा का आनंद और बढ़ा देगी।
Fort Of Gwalior (ग्वालियर का किला)
ग्वालियर का किला एक विशाल और भव्य किला है। यह लगभग 3 किमी के क्षेत्र में फैला हुआ है। इसकी ऊंचाई 35 मीटर है जो एक पहाड़ी पर स्थित है। इस किले के अंदर से मिले शिलालेख से ज्ञात होता है, कि यह किला 6 वी शताब्दी या इससे पहले से रहा होगा। ग्वालियर फोर्ट का निर्माण लाल बलुआ पत्थर से हुआ है।
इस किले का निर्माण दो भाग में हुआ था। पहला भाग तोमर शासन द्वारा बनवाया गया था, जिसे मान मंदिर कहते हैं। दूसरा भाग जिसे गुर्जरी महल के नाम से जाना जाता है, राजा मान सिंह तोमर ने अपनी रानी मृगनयनी के लिए बनवाया था। इस किले पर कई राजपूत राजाओं ने राज्य किया। आजकल यह संग्राहलय और महल के रूप में है।
ग्वालियर का किला भारत का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण किला माना जाता है। इसलिए इस किले को भारत का ज़िब्रालटर भी कहते हैं। यह किला रक्षात्मक दृष्टिकोण से भी बना है। दुश्मनों द्वारा इसे जीत पाना बहुत मुश्किल था। यहाँ पर पाए जाने वाले शिलालेख 1500 साल पुराने हैं। इस मंदिर में दुनिया में शून्य का दूसरा सबसे पुराना रिकॉर्ड पाया गया है।
ग्वालियर किले की वाह्य दीवार
इस किले के अंदर देखने लायक बहुत सारी जगह हैं। अतः यदि आप ग्वालियर शहर घूमने आ रहे हैं, तो एक दिन इस किले को देखने के लिए रखें।
Places TO Visit Inside Gwalior Fort (ग्वालियर किले के अंदर दर्शनीय स्थल)
कर्ण महल :
कर्ण महल, ग्वालियर किले के अंदर ही स्थित है। इसका निर्माण तोमर वंश के दूसरे शासक कीर्ति सिंह ने करवाया था। कीर्ति सिंह का एक अन्य नाम कर्ण सिंह भी था। अतः उन्हीं के नाम पर इस महल का नाम पड़ा। यह दो मंज़िला, आयताकार एवं हिन्दू शैली में बना हुआ है।
कर्ण महल
मान सिंह पैलेस :
मान सिंह महल सबसे आकर्षक, सुन्दर एवं भव्य महल है। यह ग्वालियर के किले के अंदर ही बना हुआ है। यह 4 मंजिला महल है, जो कि फूल-पत्तियों, जानवरों एवं रंग बिरंगी नक्काशी से सजा हुआ है। यह देखने में बहुत आकर्षक है। इसे पेटेंट हाउस भी कहा जाता है। इस महल में अंदर की ओर जाने पर एक गोल कारागृह भी है। ऐसा कहा जाता है कि औरंगज़ेब ने अपने भाई मुराद की हत्या इसी स्थान पर की थी।
मान सिंह मंदिर
इस मंदिर में स्टाइलिश टाइलों को लगाया गया है, जिसके कारण इसे प्रिंटेड पैलेस के रूप में भी जाना जाता है। आजकल इस महल में पर्यटकों के लिए लाइट और साउंड के शो का भी आयोजन किया जाता है।
विक्रम महल :
विक्रम महल का निर्माण राजा विक्रमादित्य सिंह ने करवाया था। राजा विक्रमादित्य सिंह, महाराजा मान सिंह के पुत्र थे। वह भगवान शिव के अनन्य भक्त थे।
विक्रम महल
जहांगीर महल एवं शाहजहां महल :
यह दोनों महल भी ग्वालियर किले के अंदर स्थित हैं। दोनों महलों का निर्माण अलग-अलग समय पर मुग़ल शासकों द्वारा करवाया गया था। यह भी बहुत आकर्षक एवं सुन्दर महल है। इन महलों के बीच एक प्रांगण भी है।
भीम सिंह राजा की छतरी :
राजा भीम सिंह राणा गोहाद के जाट राजा थे। उन्हीं के स्मारक के रूप में यह छतरी बनाई गई थी। इस छतरी का निर्माण उनके उत्तराधिकारी छत्र सिंह ने करवाया था। इसके अलावा भीम सिंह ने किले में भीमताल झील का निर्माण भी करवाया था। इस छतरी का निर्माण भूरे बलुआ पत्थर से करवाया गया था। यह एक चबूतरे पर बनी हुई है। यह तीन मंजिला छतरी है, जिसके ऊपर गुम्बद के आकार का शिखर है। छतरी के चारों ओर परिक्रमा पथ बनाया गया है।
गुरुद्वारा श्री दाता बंदी छोड़ साहिब :
श्री दाता बंदी छोड़ साहिब गुरुद्वारा ग्वालियर के किले के अंदर स्थित है। यह एक प्रसिद्ध गुरुद्वारा है जिसे हरगोबिंद सिंह की याद में बनाया गया है। इस गुरूद्वारे का नाम दाता बंदी छोड़ साहिब इसलिए पड़ा क्योंकि गुरुगोविंद साहब जी ने जहांगीर की कैद से 52 हिन्दू राजाओं को मुक्त कराया था। इस गुरूद्वारे में रहने की व्यवस्था भी है। इसके अलावा यहाँ एक बड़ा तालाब और लंगर हॉल भी है।
तेली का मंदिर :
तेली का मंदिर ग्वालियर के किले के अंदर बना हुआ है। यह सबसे ऊँचा मंदिर है जिसकी ऊंचाई लगभग 30 मीटर है। यह मुख्य रूप से भगवान विष्णु का मंदिर था। लेकिन जब मुस्लिम आक्रमण हुआ तो इसे नष्ट कर दिया गया। बाद में एक बार फिर इस मंदिर का पुनर्निर्माण करवाकर शिव मंदिर बनाया गया।
इस तेली के मंदिर का निर्माण प्रतिहार सम्राट मिहिर भोज ने करवाया था और इसके बारे में यह भी कहा जाता है कि तेल व्यापारियों द्वारा दिए गए धन से इस मंदिर का निर्माण कराया गया था।
तेली का मंदिर
इस मंदिर की वास्तुकला दक्षिण एवं उत्तर भारतीय शैली का मिश्रण है। इस मंदिर के अंदर देवी, साँपों, मनुष्य आदि अन्य मूर्तियां देखने को मिल जाएंगी।
सहस्त्र बाहु मंदिर :
यह मंदिर ग्वालियर किले के पूर्व में स्थित है। इस मंदिर के नाम को बिगाड़ कर सास बहु का मंदिर कहा जाने लगा। परन्तु इसका सही नाम सहस्त्रबाहु मंदिर है। यहाँ दो मंदिर बने हुए हैं। प्रथम मंदिर को सास का मंदिर कहते हैं, जबकि वास्तविकता में यह विष्णु भगवान का मंदिर है। दूसरे मंदिर को बहु का मंदिर कहते हैं। यह भगवान शिव का मंदिर है। यह मंदिर कछवाहा वंश के राजा महिपाल ने 11 वी शताब्दी में बनवाया था।
सहस्त्र बाहु मंदिर
सूरज कुंड ग्वालियर :
यह भी किले के अंदर ही स्थित एक कुंड है। यहाँ का पानी काफी चमत्कारिक माना जाता है। कुंड के बीचोबीच भगवान शिव का मंदिर भी है। कहते हैं कि जो भी इस कुंड में नहाता है उसके सभी रोग दूर हो जाते हैं।
अस्सी खम्भों वाली बावड़ी :
जब आप किले के अंदर घूमेंगे तो आपको अस्सी खम्भों वाली बावड़ी मिलेगी। जल के भंडारण के लिए इसको बनवाया गया था। इसका निर्माण भी राजा मान सिंह तोमर ने करवाया था। इसमें रानियों के स्नान के लिए अलग-अलग कक्ष की व्यवस्था थी। इस बावड़ी में ऐसा कहा जाता है, कि एक भूमिगत रास्ता भी है। लेकिन अभी यह बंद कर दिया गया है।
सिद्धाचल जैन मंदिर गुफाएं :
जैन टेम्पल ग्वालियर
ग्वालियर किले के अंदर ही आपको घूमने के लिए सिद्धाचल जैन मंदिर कि गुफाएं मिल जाएंगी। यहाँ जैन तीर्थंकरों की मूर्तियां मिलेंगी। हालाँकि अधिकांश मूर्तियां नष्ट हो चुकी है। मुग़ल शासक बाबर के आदेश पर इन मूर्तियों को नष्ट कर दिया था। लेकिन शेष मूर्तियां आज भी बहुत सुन्दर हैं इन्हें बड़ी खूबसूरती से तराशा गया है। यहाँ बहुत सी गुफाएं भी हैं। प्राकृतिक दृष्टि से यहाँ चारों ओर हरियाली दिखती है। बारिश के मौसम में यहाँ का नज़ारा देखने लायक होता है।
Other Places To Visit (ग्वालियर के अन्य दर्शनीय स्थल)
जय विलास पैलेस :
ग्वालियर आएं और जय विलास पैलेस न देखें , तो ग्वालियर की यात्रा पूरी नहीं होती है। यह एक बहुत बड़ा महल है, जिसमे आज भी सिंधिया परिवार रहता है। इस महल को जीवाजी राव सिंधिया ने सन 1809 में बनवाया था। यह महल सफ़ेद संगमरमर से बना हुआ है। इस महल के आधे भाग को आजकल संग्राहलय में परिवर्तित कर दिया गया है।
जय विलास पैलेस
यहाँ शाहजहां, औरंगजेब के समय के एवं रानी लक्ष्मी बाई के शासनकाल के दौरान जो हथियार इस्तेमाल हुए थे, वे सभी इस संग्राहलय में आप देख सकते हैं। इसके अतिरिक्त यहाँ जीवाजी राव महाराज से सम्बंधित वस्तुऐं भी आप देख सकते हैं। यह एक भव्य महल है। इसमें बड़े-बड़े झूमर लगे हुए हैं। आप यहाँ कुछ शुल्क देकर इस महल की भव्यता देख सकते हैं।
गुज़री महल :
यह महल ग्वालियर किले से थोड़ी दूरी पर स्थित है। आजकल यह एक संग्राहलय है। इसमें आपको बहुत सी पुराने समय की चीज़ें देखने को मिल जाएंगी। इस महल के बारे में कहा जाता है, कि यह महल राजा मान सिंह ने अपनी रानी मृगनयनी के लिए बनवाया था। जिसमे पानी की व्यवस्था के लिए नदी से पाइप लाइन के माध्यम से महल तक लाया गया था।
गुजरी महल
इस संग्राहलय में हथियार, मूर्तियां, पेंटिंग्स, शिलालेख, विभिन्न रत्न, मिट्टी के बर्तन आदि प्रदर्शित किये गए हैं। इस संग्राहलय में महान संगीतकार तानसेन से जुड़ी वस्तुएं भी आप देख सकते हैं। यह एक प्रसिद्ध संग्राहलय है।
तानसेन का मकबरा :
ग्वालियर में तानसेन का मकबरा देखने योग्य स्थान है। वास्तव में यहाँ तानसेन की कब्र है, जो कि उनके गुरु मोहम्मद गौस की कब्र के पास बनी हुई है। मोहम्मद गौस तानसेन के गुरु थे। जिन्होंने उन्हें शास्त्रीय संगीत की शिक्षा दी थी। तानसेन एक महान संगीतकार थे। वह अकबर के दरबार में नौ रत्नों में से एक थे। जब वह मेघ मल्हार राग गाते थे, तो बादल आ जाते थे और बारिश होने लगती थी। उनकी याद में ही प्रतिवर्ष नवंबर- दिसम्बर के महीने में संगीत का आयोजन किया जाता है। जिसमे समस्त भारत वर्ष से संगीतकार आते हैं और अपना हुनर दिखाते हैं।
सूर्य मंदिर :
सूर्य मंदिर भी ग्वालियर का प्रमुख दर्शनीय स्थल है। यह मुख्य रूप से भगवान सूर्य को समर्पित है। इसको प्रसिद्ध उद्योगपति जी डी बिड़ला जी ने सन 1988 मे बनवाया था। इसको बनाने में बलुआ पत्थर और संगमरमर का इस्तेमाल किया गया है। इसकी वास्तुकला उड़ीसा के कोणार्क में सूर्य मंदिर के सामान ही है। यहाँ आकर आत्मिक शांति की प्राप्ति होती है।
सूर्य मंदिर
फूल बाग :
फूल बाग को सन 1922 में माधव राव शिंदे ने बनवाया था। वेल्स के राजकुमार की भारत यात्रा के दौरान इस बाग का उद्घाटन किया गया था। इस बाग के अंदर ही ग्वालियर ज़ू , संग्रहालय, गुरुद्वारा, मंदिर व मस्जिद स्थित है। यहाँ सांभर की अनेक प्रजातियां, चित्तीदार हिरन, लकड़बग्घा, बाइसन, काले हिरन, सफ़ेद बाघ आदि देखे जा सकते हैं।
तो यह थे मशहूर पर्यटन स्थल, ग्वालियर के। यहाँ आकर आप इस ऐतिहासिक शहर को देख कर निश्चित रूप से गौरान्वित एवं आन्दित होंगे।
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